“गरीबी उन्मूलन और एसिड अटैक” पर जागरूकता अभियान,एसिड अटैक अपराध के लिए है सजा का प्रावधानः मनोज

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डुमरांवः अरियांव पंचायत के गांवों में जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष आनन्द नन्दन सिंह एवं अवर न्यायाधीश सह सचिव देवेश कुमार जिला विधिक सेवा प्राधिकार बक्सर के निर्देशन में पैनल अधिवक्ता मनोज कुमार श्रीवास्तव एवं पीएलवी अनिशा भारती द्वारा “गरीबी उन्मूलन और एसिड अटैक” विषय पर जागरूकता अभियान चला कर लोगों को इसकी विधिवत विधिक जानकारी दी गई।मौके पर वार्ड सदस्य मो0 इरफान, पंच लड्डू साह, शिव अवतार यादव,सुभाष गोस्वामी,राम अवतार यादव,बिशनी यादव, अपराजिता कुमारी, प्रीति कुमारी, देवराज यादव, मनजी ,अखिलेश कुमार विरंजन,कृष्णा कुमार आदि उपस्थित रहे।
अधिवक्ता मनोज श्रीवास्तव ने बताया देश में गरीबी का मुख्य कारण बढ़ती जनसंख्या है।इसमें अशिक्षा, खराब स्वास्थ्य सुविधाएं और वित्तीय संसाधनों की कमी की दर बढ़ती है।एक अनुमान के मुताबिक देश की आबादी सन 2026 तक 1.5 बिलियन हो सकती है।देश की आबादी जिस रफ्तार से बढ़ रहा है उस हिसाब से अर्थ व्यवस्था नहीं बढ़ रही है।गरीबी एक बीमारी की तरह है जिसमें अन्य समस्याएं हैं।अपराध,धीमा विकास आदि जुड़े हैं।
पीएलवी अनिशा भारती ने बताया कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोग गन्दी हालातों में रहते हैं और बीमारियों का शिकार बनते हैं।इसके साथ खराब सेहत,शिक्षा की कमी और बढ़ती गरीबी का यह दुष्चक्र चलता रहता है।बुनियादी वस्तुओं की लगातार बढ़ती कीमतें भी गरीबी का एक मुख्य कारण है।औद्योगिक क्षेत्र में भी देश पिछड़ा है केवल 3% लोगों को रोजगार मिला है।
भारत सरकार गरीबी के चंगुल से बाहर निकालने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है।विभिन्न योजनाओं को लागू किया है, एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम, जवाहर ग्राम समृद्धि योजना, प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना, राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम, वृद्धवस्था पेंशन,मातृत्व लाभ,पारिवारिक लाभ, अन्नपूर्णा योजना आदि। साथ हीं स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण और स्वच्छता जैसे क्षेत्रों में तेजी से विकास करना।मई 2021 तक लगभग 84 मिलियन लोग गम्भीर अभाव में रह रहे थे।
मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि कानूनी तौर पर देखें तो एसिड अटैक अपराध के लिए आईपीसी की धारा 326Aऔर 326B के तहत सजा का प्रावधान है।यानी यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी पर तेजाब फेंकता है तो उसे 10 साल की सजा और अधिकतम उम्र कैद हो सकती है।कानून में पुलिस अधिकारियों द्वारा पीड़ितों की प्राथमिकी दर्ज करने या उपचार से इनकार करने पर एक साल की कैद हो सकती है और कर्त्तव्य की अवहेलना करने पर दो साल की कैद हो सकती है।एसिड अटैक पीड़ितों को 3 लाख से 10 लाख तक का मुआवजा राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रदेश द्वारा दिया जाता है।

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