आदिवासी हमारी सांस्कृतिक धरोहर, उनके अधिकारों का संरक्षण जरूरीः मनोज श्रीवास्तव

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डुमरांव (बक्सर) : आदिवासी हमारी सांस्कृतिक धरोहर है।आदिवासियों के भूमि,भाषा,जाती,धर्म,आदिवासी इज्जत,आबादी, रोजगार और आत्मनिर्णय आदि अधिकारों का संरक्षण एवं संवर्धन आवश्यक है। आदिवासियों के संरक्षण व प्रवर्तन के लिए बक्सर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण प्रतिबद्ध है।यह बात पैनल अधिवक्ता मनोज कुमार श्रीवास्तव ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष आनन्द नन्दन सिंह के निर्देशन में डुमराँव प्रखंड के अटावँ गांव में लगे शिविर में जनजाति प्रवर्तन कार्यक्रम में अवर न्यायाधीश सह सचिव देवेश कुमार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बक्सर के मार्गदर्शन में कहा। मौके पर पीएलवी अनिशा भारती,सुभाष, विजय के अलावे अन्य लोग उपस्थित रहे।                 

         पैनल अधिवक्ता मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि जनजातियों की एकजुटता व उन्हें आगे बढ़ाने के लिए आदिवासी समाज के भीतर विद्दमान नशापान, अंधविश्वास, ईर्ष्या, द्वेष, आदि बुराइयों से मुक्त  होने की आवश्यकता है तथा आने वाली पीढ़ी को शिक्षित एवं खेलों की ओर जागरूक करने का भी प्रयास करने की आवश्यकता है।

         आदिवासियों के अधिकारों का संरक्षण एवं प्रवर्तन योजना 2015 निशुल्क विधिक सहायता,घरेलू हिंसा एवं नशा मुक्ति के सम्बंध में जानकारी प्रदान की।पीएलवी अनिशा भारती ने आदिवासियों की उन्नति में शिक्षा एवं स्वास्थ्य की आवश्यकता के सम्बंध में अपना विचार रखा।

        आदिवासियों के विधिक  अधिकारों की रक्षा करने व न्याय तक उनकी पहुंच बढ़ाने के उद्देश्य से इस योजना को प्रस्तुत किया गया।इस योजना का लक्ष्य भारत में जनजातियों तक न्याय की पहुंच  सुनिश्चित करना सामाजिक व आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए किए गए कई कानूनी प्रावधानों के बावजूद अनुसूचित जनजाति वर्ग के जीवन स्तर में आजादी के इतने वर्षों बाद भी मामूली सुधार हो पाया है।अभी भी इस वर्ग का बड़ा हिस्सा शिक्षा से वंचित है।

       आदिवासी नागरिकों के अधिकारों को बढ़ावा देने व उनकी रक्षा करना सबका दायित्व है।अनुसूचित जनजाति पर होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए एस सी/एस टी एक्ट बनाया गया है। शीघ्र न्याय प्रदान करने के उद्देश्य से विशेष कोर्ट  स्थापित किया गया है।शिविर में निशुल्क विधिक सहायता योजना के बारे में जानकारी दी गयी।

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