महाबली रामभक्त श्री हनुमान जी के अस्त्र-शस्त्रों में पहला स्थान गदा का है

धर्म ज्योतिष
  • आचार्य मोहित पांडेय

श्री हनुमान जी के अस्त्र-शस्त्र

महाबली रामभक्त श्री हनुमान जी के अस्त्र-शस्त्रों में पहला स्थान उनकी गदा का है । आपको जानकर हैरानी होगी कि केवल गदा के साथ दिखने वाले महाबली हनुमान दस आयुध (अस्त्र-शस्त्र) धारण करने वाले हैं । हनुमान जी अपने प्रभु श्रीराम के चरणों में पूर्ण स‍मर्पित आप्तकाम निष्‍काम सेवक है ।
उनका सर्वस्व प्रभु की सेवा का उपकरण है उनके संपूर्ण अंग-प्रत्यंग, रद, मुष्ठि, नख, पूंछ, गदा एवं गिरि, पादप आदि प्रभु के अमंगलों का नाश करने के लिए एक दिव्यास्त्र के समान है । हनुमान जी वज्रांग हैं ।

यम ने उन्हें अपने दंड से अभयदान दिया है, कुबेर ने गदाघात से अप्रभावित होने का वर दिया है , भगवान शंकर ने हनुमान जी को शूल एवं पाशुपत आदि अस्त्रों से अभय होने का वरदान दिया था , अस्त्र-शस्त्र के कर्ता विश्‍वकर्मा ने हनुमान जी को समस्त आयुधों से अवध्‍य होने का वरदान दिया है ।

ये दस हैं हनुमान जी के आयुध

शास्त्रों में हनुमान जी को दस आयुधों से अलंकृत कहा गया है । हनुमान जी के आयुधों की व्याख्‍या में खड्ग, त्रिशूल, खट्वांग, पाश, पर्वत, अंकुश, स्तम्भ, मुष्टि, गदा और वृक्ष हैं । हनुमान जी का बायां हाथ गदा से युक्त कहा गया है ” वामहस्तगदायुक्तम् “
श्री लक्ष्‍मण और रावण के बीच युद्ध में हनुमान जी ने रावण के साथ युद्ध में गदा का प्रयोग किया था उन्होंने गदा के प्रहार से ही रावण के रथ को खंडित किया था ।
स्कंदपुराण में हनुमान जी को वज्रायुध धारण करने वाला कहकर उनको नमस्कार किया गया है उनके हाथ में वज्र सदा विराजमान रहता है । अशोक वाटिका में हनुमान जी ने राक्षसों के संहार के लिए वृक्ष की डाली का उपयोग किया था , हनुमान जी का एक अस्त्र उनकी पूंछ भी है , अपनी मुष्टिप्रहार से उन्होंने कई दुष्‍टों का संहार किया है ।

खड्गं त्रिशूलं खट्वाङ्गं पाशाङ्कुशसुपर्वतम् ।
मुष्टिद्रुमगदाभिन्दिपालज्ञानेन संयुतम् ॥
एतान्यायुधजालानि धारयन्तं यजामहे ।
प्रेतासनोपविष्टं तु सर्वाभरणभूषितम् ॥

पवन है हनुमान जी का वाहन

हनुमान जी का वाहन होने की शक्ति किसमें है ? यह एक ऐसा प्रश्‍न है जिसमें केवल यही कहकर संतोष किया जा सकता है कि उनके सिवा उनका वाहन होने की शक्ति और किसी में भी नहीं है । हनुमान जी इतने वेगवान है कि उनकी वेग की तुलना कोई और कर ही नहीं सकता है । ‘हनुमत्सहस्त्रनामस्तोत्र’ के 72वें श्‍लोक में उन्हें ‘वायुवाहन:’ कहा गया है और यह युक्तिसंगत भी है, तथापि वायु भी उनके भार का वहन करने में प्राय: असमर्थ ही हैं ।
हनुमान जी ने एक बार जगतपति श्रीराम और शेषनाग के रूप श्री लक्ष्‍मण को अपने कंधे पर बैठाकर उड़ान भरा था । जगदाधार शेष को उठानेवाले हनुमानजी को वहन करने की शक्ति किसी में भी नहीं है । हनुमानजी के वेग का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक बार लक्ष्मण जी को मेघनाद द्वारा ” शक्ति बाण ” लगने पर , हनुमान जी ने बात-बात में द्रोणाचल पर्वत को उखाड़कर लंका ले गये और उसी रात को यथास्थान रख आए थे । समूचे द्रोणाचल पर्वत को उखाड़कर क्षणमात्र में उसे लंका में पहुंचाने और यथास्थल रख आने वाले पवनपुत्र के वेग से बढ़कर किसका वेग हो सकता है !!!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *