-राजीव कुमार भारती
कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी को हरि प्रबोधिनी देवोत्थान एकादशी के नाम से जाना जाता है। ठाकुर बाड़ी मंदिर के आचार्य पं. मनोज मिश्रा ने बताया इस साल शुक्रवार को एकादशी है।
कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी को हरि प्रबोधिनी देवोत्थान एकादशी के नाम से जाना जाता है। ठाकुर बाड़ी मंदिर के आचार्य पं. मनोज मिश्रा ने बताया इस साल शुक्रवार को एकादशी है। गन्ने के खेत में पूजा कर स्वयं भी उसका सेवन करें। एकादशी व्रत करने वालों को चाहिए कि एक दिन पहले (दशमी के दिन) एकाहार करें। तेल की जगह घी का प्रयोग, सेंधा नमक, गेंहू के आटा खा सकते हैं।
एकादशी के दिन सुबह स्नान के बाद शालिग्राम की मूर्ति या भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने बैठकर उनका ध्यान करते हुए मंत्र ऊं नमो नारायणाय का जप करना चाहिए। इसका कारण है कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी को भगवान विष्णु ने शंखासुर का वध कर के शयन किया था इसलिए कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागृत हुए थे।
एकादशी पूजा- विधि-
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह भी होता है।
इस दिन भगवान विष्णु के शालीग्राम अवतार और माता तुलसी का विवाह किया जाता है।
इस दिन माता तुलसी और शालीग्राम भगवान की भी विधि- विधान से पूजा करें।
भगवान की आरती करें।
भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
एकादशी व्रत पूजा सामग्री लिस्ट
श्री विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति
पुष्प
नारियल
सुपारी
फल
लौंग
धूप
दीप
घी
पंचामृत
अक्षत
तुलसी दल
चंदन
मिष्ठान