प्रभु श्रीकृष्ण परमब्रह्म थे: देवराहा शिवनाथ

धर्म ज्योतिष

खगड़िया: जिला के मां राधा भवानी मैरेज हॉल में ब्रम्हलीन श्रीदेवराहा बाबाजी महाराज के परमशिष्य त्रिकालदर्शी परमसिद्ध विदेह संतश्रीदेवराहाशिवनाथदासजी महाराज के सान्निध्य में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया। वहीं इस अवसर पर भजन कीर्तन का भी आयोजन किया गया।

भजन कीर्तन से पूर्व श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए संतश्रीदेवराहाशिवनाथदासजी महाराज ने कहा कि माली के बागीचे में दो आम का पेड़ लगाया गया।एक पेड़ खट्टा फल देता था और एक मीठा फल देता था। मालिक दोनों पेड़ों पर फले हुए आम को किसी को तोड़ने नहीं देता था क्योंकि दोनों पेड़ों पर मालिक का ममत्व एकसमान था। पेड़ पर लगे हुए खट्टे आम का मालिक आचार बनाकर अपने उपयोग में लाया था वहीं जबकि दूसरा पेड़ जिस पर मीठा फल लगता था।उसे वह पकाकर अपने उपयोग में लाता था। इसी प्रकार अच्छे और बुरे प्रवृत्ति के लोग दोनों ही संत के दृष्टिकोण में एकसमान होते हैं।

दोनों पर संतों का ममत्व एकसमान होता है।दोनों प्रवृत्ति के लोगों को संत उपयोग में लाना जानते हैं ,क्योंकि दोनों प्रकार के लोगों को उपयोग में लाने की कला केवल संतों के पास ही होती है।संतश्री ने आगे कहा कि भगवान श्रीकृष्ण रणभूमि में गीता जैसे महान उपदेश का ज्ञान दिए थे और गोपियों के साथ प्रेम वश नृत्य भी किए थे। परंतु ना तो कृष्ण युद्ध में थे और ना ही नृत्य में थे क्योंकि वह परमब्रह्म थे। वहीं कार्यक्रम को सफल बनाने में मुख्य भूमिका मोहन चौधरी आहोक,धुर्व जी, ललित सिंह, डाक्टर लाल बिहारी गुप्ता, संतोष चौधरी, मंटू चौधरी जी का रहा। वहीं इस दौरान हजारों श्रद्धालु भक्त भाग लिए।

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