दिल्लीः केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने संसद में ‘आर्थिक समीक्षा 2022-23’ पेश करते हुए बताया कि स्वास्थ्य सामाजिक कल्याण का एक अभिन्न अंग है और सरकार की प्रमुख प्राथमिकता है। व्यापक एवं ‘किसी को पीछे न छोड़ने’ का दृष्टिकोण स्वास्थ्य देखभाल का आधारभूत सिद्धांत है।
बजट-पूर्व समीक्षा में कहा गया है कि नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना सरकार की प्रमुख प्राथमिकता है। इस उद्देश्य की दिशा में नागरिकों के बेहतर समग्र स्वास्थ्य के लिए बहु-आयामी पहलें शुरू की गई है और आगे बढ़ाई गई है, जैसाकि नीचे बताया गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत सरकार ने सभी प्रासंगिक क्षेत्रों और हितधारकों से जुड़ने के लिए ठोस प्रयास किए हैं। जिससे सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी) प्राप्त करने और सभी नागरिकों को सस्ती कीमत पर गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाए देने की दिशा में आगे बढ़ा जा सके।
आर्थिक समीक्षा में रेखांकित किया गया है कि आज भारतीय स्वास्थ्य सेवा नेटवर्क दुनिया के सबसे बड़े स्वास्थ्य सेवा नेटवर्क में से एक है। स्वास्थ्य संबंधी कुछ महत्वपूर्ण संकेतकों में सुधार के रूप में एक प्रभावी स्वास्थ्य दृष्टिकोण के परिणाम दिखाई दे रहे है।
प्रजनन, मातृ, नवजात शिशु, बच्चे, किशोर स्वास्थ्य सहित पोषण (आरएमएनसीएएच+एन) रणनीति के तहत किए गए ठोस प्रयासों के साथ, भारत ने माताओं और बच्चों दोनों की स्वास्थ्य स्थिति में लगातार सुधार करने में काफी प्रगति की है। नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने 2020 तक मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) को 100 प्रति लाख जीवित जन्मों से नीचे लाने के बड़े लक्ष्य को सफलतापूर्वक हासिल कर लिया है (राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017-19 में निर्धारित) 2018-20 में जीवित जन्म दर 97 प्रति लाख दर्ज की गई, जबकि 2014-16 में यह दर 130 प्रति लाख थी। 2030 तक एमएमआर को 70 प्रति लाख जीवित जन्म से कम करने एसडीजी लक्ष्य को 8 राज्यों से पहले ही हासिल कर लिया है। इनमें केरल (19), महाराष्ट्र (33), तेलंगाना (43), आंध्र प्रदेश (45), तमिलनाडु (54), झारखंड (56), गुजरात (57), और कर्नाटक (69) शामिल हैं।
स्वास्थ्य सेवा वितरण को मजबूत करने; गुणवत्ता आश्वासन; आरएमएनसीएएच+एन; मानव संसाधन, सामुदायिक प्रक्रियाए; सूचना और ज्ञानः दवाओं और निदान, और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, आदि के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा कवरेज बढ़ाने की दिशा में देशव्यापी प्रयासों के परिणामस्वरूप शिशु मृत्यु दर (आईएमआर), पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर (यू5एमआर) और नवजात मृत्यु दर (एनएमआर) में लगातार गिरावट की प्रवृत्ति के बाद और गिरावट आई है।