VKSU में सम्बद्ध डिग्री कॉलेजों में 2008 के बाद नियुक्त और कार्यरत शिक्षकों को मिलेगा अनुदान,बिहार विवि संशोधन अधिनियम की गलत व्याख्या को ले शिक्षा विभाग में जल्द होगी विवि अधिकारियों के साथ बैठक

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शाहाबाद ब्यूरो: वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा में बिहार विश्वविद्यालय संशोधन अधिनियम 2017 की धारा 57( क) की गलत व्याख्या करके राज्य सरकार से विभिन्न शैक्षणिक सत्रों के लिए दिए जाने वाले अनुदान की राशि को सिर्फ और सिर्फ चयनित शिक्षको के बीच वितरित करने के फैलाये जा रहे भ्रम पर सरकार ने सख्त एक्शन लिया है और स्पष्ट निर्देश दिया है कि अनुदान की राशि 26.3.2008 के बाद विधिवत रूप से नियुक्त और कार्यरत शिक्षको एवं कर्मचारियों को देनी होगी।
बिहार सरकार के उच्च शिक्षा विभाग की निदेशक रेखा कुमारी ने सभी विश्वविद्यालयों को चेताया है कि वे भ्रम की स्थिति पैदा न करे क्योंकि सरकार ने 19.4.2007 के पूर्व नियुक्त शिक्षकों की नियुक्ति और अर्हता की जांच कराने के लिए विश्वविद्यालय स्तर पर चयन समिति बनाने और ऐसे शिक्षकों को चयनित होने के बाद ही राज्य सरकार से प्राप्त अनुदान की राशि देने का आदेश दिया और इसके लिए बिहार विश्वविद्यालय संशोधन अधिनियम 2017 की धारा 57( क) के तहत संशोधन अधिनियम लाया, किन्तु सरकार ने ये कभी नही कहा कि चयन प्रक्रिया से अलग 26.3.2008 के बाद कॉलेज शासी निकाय द्वारा स्वीकृत और अनुशंसित पदों पर विधिवत रूप से नियुक्त और कार्यरत शिक्षकों को अनुदान की राशि नही देनी है।
सरकार ने पहले से ही यह आदेश दे रखा है कि वित्त रहित शिक्षा नीति की समाप्ति के बाद छात्र छात्राओं के रिजल्ट के आधार पर डिग्री कॉलेजो को दी जाने वाली अनुदान की राशि 26.3.2008 के बाद के नियुक्त शिक्षकों और कर्मियों को देनी है।
बावजूद इसके राज्य भर के विश्वविद्यालयों में चयनित शिक्षको को ही अनुदान की राशि देने का भ्रम फैलाकर शिक्षको को गुमराह किया जा रहा है।उच्च शिक्षा निदेशक रेखा कुमारी ने कहा है कि जल्द ही वे राज्य के विश्वविद्यालयों के अधिकारियों की बैठक बुलाकर अनुदान के सवाल 2008 के बाद नियुक्त और कार्यरत शिक्षको को अनुदान की राशि देने और चयनित शिक्षको को ही अनुदान की राशि देने संबंधी फैलाये जा रहे भ्रम को दूर कर भ्रम फैलाने वालों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने का निर्देश देंगी।
बता दें कि वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में चयनित और गैर चयनित शिक्षक के नाम पर अनुदान वितरण में कई कॉलेजो ने 2008 के बाद नियुक्त और कार्यरत शिक्षकों को अनुदान की राशि नही दी है और बिहार विवि संशोधन अधिनियम 2017 की धारा 57 (क)की की गलत व्याख्या करके 2008 के बाद नियुक्त और कार्यरत शिक्षकों के साथ अन्याय कर दिया है।विवि के समक्ष इन बातों को उठाये जाने के बावजूद किसी तरह की कार्रवाई नही की गई और शिक्षकों के एक बड़े वर्ग को सरकार के अनुदान से वंचित रखा गया।इन शिक्षकों के अध्ययन अध्यापन, बतौर वीक्षक परीक्षाओं के संचालन,उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन और रिजल्ट प्रकाशन ने अमूल्य योगदान के बल पर लाखों लाख छात्र छात्राओं ने स्नातक की पढ़ाई पूरी की और उच्च शिक्षा के मामले में राज्य सरकार की प्रतिष्ठा बढ़ाई।
अब सरकार के आदेश के बाद अनुदान को लेकर अब तक फैलाये गए भ्रम पर पूर्ण विराम लग गया है और बिहार विश्वविद्यालय संशोधन अधिनियम 2017 की धारा 57 (क) की गलत व्याख्या करने वालो के विरुद्ध सरकार की तरफ से कार्रवाई की गाज भी गिर सकती है।
बता दें कि वित्त रहित शिक्षा नीति की समाप्ति के बाद बिहार सरकार ने राज्य के सम्बद्ध डिग्री कॉलेजो में काम के बदले अनुदान देने का निर्णय लिया था। सबसे पहले अनुदान की राशि शैक्षणिक सत्र 2005-08 में दी गई थी।सरकार ने स्पष्ट आदेश दिया था कि 26.3.2008 के बाद विधिवत रूप से नियुक्त और कार्यरत शिक्षको एवं कर्मियों को अनुदान की राशि देनी है।

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