- संविधान के अनुच्छेद 15(3) में स्पष्ट प्रावधान है कि राज्य महिलाओं और बालकों के लिए विशेष प्रावधान कर सकता हैः मनोज कुमार श्रीवास्तव
बक्सरः बक्सर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव विवेक राय के निर्देश पर लाखनडीहरा पंचायत में विधिक सहायता शिविर का आयोजन किया गया।इस शिविर में ”तस्करी और वाणिज्यिक यौन शोषण के शिकार योजना 2015 “के विषय पर उपस्थित लोगों को जानकारी दी गई।पैनल अधिवक्ता मनोज कुमार श्रीवास्तव और पारा विधिक अनिशा भारती ने जानकारी देते हुए कहा कि इस योजना का उद्देश्य सभी आयु वर्ग की महिलाओं को सम्मिलित करते हुए अवैध व्यापार के पीड़ितों एवं प्रत्येक स्तर पर रोकथाम, बचाव,एवं पुनर्वास के सम्बन्धों का समाधान करने के लिये विधिक सहायता प्रदान करता है। मौके पर मुखलाल महतो मुखिया, रम्भा देवी उपमुखिया, महेश राम,रेखा देवी,बेदामो देवी,राम सूजन राम,प्रिंस यादव, रोहित कुमार सिंह, अरविंद कुमार, कमलेश महतो,उत्तम कुमार के अलावे अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
पैनल अधिवक्ता मनोज कुमार श्रीवास्तव ने लोगों को बताया कि संविधान के अनुच्छेद 15(3) में स्पष्ट प्रावधान है कि राज्य महिलाओं और बालकों के लिए विशेष प्रावधान कर सकता है।नालसा(तस्करी और वाणिज्यिक यौन शोषण पीड़ितों के लिए विधिक सेवायें योजना 2015 यौन शोषण तथा तस्करी रोकने की दिशा में सराहनीय पहल है। योजना के तहत तस्करी और यौन शोषण की पीड़ितों को कानूनी सहायता उपलब्ध कराना तथा उन्हें मुआवजा दिलवाने के लिए डालसा तक पहुंचाने की सहायता देना शामिल है।
यदि किसी के साथ तस्करी और यौन शोषण की जानकारी किसी को मिलती है तो यथाशीघ्र पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों को अवगत कराने के साथ ही जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को अवगत कराएं ताकि पीड़ितों को मदद मिल सके। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय पूरे देश भर में व्यावसायिक यौन शोषण तस्करी की रोकथाम और पीड़ितों के बचाव,पुनर्वास,पुनः एकीकरण, और प्रत्यावर्तन के लिए”उज्ज्वला योजना”।
पारा विधिक स्वंय सेवक अनिशा भारती ने तस्करी व वाणिज्यिक यौन शोषण के शिकार से बचने के लिए सतर्क रहने के बारे में जानकारी दी।उन्होंने बताया कि 18 वर्ष तक के बच्चों को सुरक्षित वातावरण प्रदान करने एवं बच्चों के प्रति हो रहे अपराधों की कम करने की जानकारी दी।बाल अपराध, अपहरण तथा यौन शोषण जैसी बढ़ती आपराधिक घटनाओं से बचने के लिए बच्चों को सचेत,समझदार व जागरूक होना पड़ेगा तथा अपने पराये की पहचान करनी होगी।
तस्करी की रोकथाम-मानव तस्करी को कई तरह से हस्तक्षेप कर रिक जा सकता है।इसे सार्वजनिक रूप से संवेदीकरण और जागरूकता के क्षेत्रों और उन कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है जो मानव तस्करी के लिए ऐसा वातावरण बनाने के लिए जिम्मेदार है।एक अनिवार्य उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा, आय सृजन और रोजगार के अवसर पैदा किये जाने चाहिए।सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के लिए गुणवत्ता वाले कार्यक्रमों को बढ़ावा देना होगा
बच्चों, महिलाओं और किशोरों के व्यावसायिक यौन शोषण और यौन तस्करी पर उपलब्ध शोध काफी सीमित है फिर भी यह तेजी से फल-फूल रहा है।सरकार नालसा (तस्करी और वाणिज्यिक यौन शोषण के शिकार) योजना 2015 नाम से एक योजना तैयार की है जो सभी आयु वर्ग की महिलाओं सहित तस्करी के पीड़ितों की चिंताओं को दूर करने के लिए कानूनी सेवायें प्रदान करती है।
इस योजना का जोर उन उपेक्षित समूहों के लिए आर्थिक और सामाजिक मार्ग प्रदान करना है ताकि वे सामाजिक रूप से शामिल हों और इस प्रकार एक सामान्य नागरिक के सभी सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध हो। कानूनी सेवा प्राधिकारों का हस्तक्षेप पीड़ितों की गरिमा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए होना चाहिए जो किसी भी अन्य नागरिक की तरह जीवन जीने का उनका मौलिक अधिकार है।