-मनोज कुमार श्रीवास्तव
भारत की छवि अब विश्व पटल पर पहले जैसी नहीं रही।आज हर देश समझ रहा है कि भारत एक उभरती हुई शक्ति है और उससे सहयोग सम्पर्क आवश्यक है।भारत की इस अंतराष्ट्रीय अहमियत के पीछे भारतीय प्रधानमंत्री की वह कूटनीतिक सक्रियता है जो उन्होंने बीते नव-दस साल में यहां तक कि कोरोना काल में भी दिखाई।भारत अमेरिका सहित अन्य देशों के मानवाधिकारों के हालातों पर नजर रखता है।
भारतीय विदेश मंत्री एस.जयशंकर का कहना है की हिंदुस्तान की बढ़ती महत्ता और ताकत को विश्व पटल पर दिखता है कि भारत अब एक मुखर राष्ट्र के रूप में अपनी अलग पहचान बनाता जा रहा है।अब खुलकर हम अपनी बात रखते हैं चाहे वह अमेरिका हो या फिर कोई अन्य विकसित देश।यदि हम कुछ दशक पहले की बात करें तो भारत इतनी मुखरता से अपने विचार अन्य देशों के सामने नहीं रख पाता था।इसके पीछे कई कारण थे लेकिन आज भारत अमेरिका जैसे देश को दो टूक जवाब दे पा रहा है।उसके पीछे एक वजह मजबूत राजनीतिक स्थिति भी है।
जेएनयू के असिस्टेंट प्रो0 डॉ. अंशु जोशी का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति और सम्बन्धों में किसी भी राष्ट्र की शक्ति और स्थान उसकी आर्थिक, सैन्य,राजनीतिक और सामाजिक स्थिति पर निर्भर करती है।इसके अलावा एक एक और बहुत महत्वपूर्ण बिंदु है उस देश के शासक या नेता का स्वरूप और स्वभाव।वैश्विक पटल पर भारतीय प्रतिनिधियों के हिसाब से देखे तो साल 2014 के बाद का समय भारत को शक्ति की नई ऊंचाइयों पर ले जाता दिखाई देता है।नरेन्द्र मोदी इसका एक महत्वपूर्ण कारण कहे जा सकते हैं।
वास्तव में साल 2014 से पहले भारत में गठबंधन की सरकारें बनती और गिरती रही।अलग अलग विचारधाराओं के दलों को साथ लेकर चलने पर कोई बड़ा निर्णय लेना या किसी मुद्दे पर सख्ती से विचार रख पाना बेहद मुश्किल होता है।इसका असर हमारी विदेश नीति में भी दिखाई देता है। डॉ. अंशु जोशी बताती हैं कि साल 2014 के बाद जिस तरह से भारत की छवि वैश्विक पटल पर एक तीसरी दुनिया के देश से बदलकर एक तेजी से विकसित होते देश के रूप में बनी है इसमें कोई दो राय नहीं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का इसमें बड़ा योगदान रहा है।
भाजपा को साल 2014 में पूर्ण बहुमत मिला और उसके बाद लगातार बदलाव देखने को मिला जिसमें भारत की छवि मजबूत होती गई।विदेश मंत्री एस.जयशंकर जब अमेरिका को अपने गिरेबान में झांकने की नसीहत दी तो एक भारतीय के रूप में सभी को गर्व महसूस हुआ होगा।जब भारत में मानवाधिकारों के हालात पर सवाल उठा तो विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने जवाब देते हुए कहा कि अमेरिका सहित अन्य देशों के मानवाधिकारों के हालात पर नजर रखता है।
भारत अन्य देशों में मानवाधिकार के हनन के मुद्दे उठाता है।जब वे खासकर भारतीय समुदाय से सम्बंधित होते हैं।अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा था कि अमेरिका, भारत में हो रहे कुछ हालिया चिंताजनक घटनाक्रम पर नजर बनाए हैं जिनमें कुछ सरकारी, पुलिस, और जेल अधिकारियों की मानवाधिकार उल्लंघन की बढ़ती घटनाएं शामिल हैं।
मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों पर भारत ने अमेरिका को करारा जवाब दिया है।
वाशिंगटन में विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने अमेरिका को अपने यहां मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों की याद दिलाई।टू प्लस टू वार्ता के दौरान दोनों देशों के बीच बेहतर सम्बन्ध बनाने के लिए चर्चा हुई लेकिन उसके बाद हैं अमेरिकी विदेशमंत्री एंटनी ब्लिंकन ने मानवाधिकार पर नसीहत देकर भारत को असहज कर दिया। विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा कि अमेरिका को लेकर भी हमारी चिंता भी ठीक उसी तरह की है।
उन्होंने आगे यह भी कहा कि अमेरिका पर खुद ही मानवाधिकार के मामलों में उल्लंघन के आरोप है।निजी हित, लॉबी और वोटबैंक के जरिए अमेरिका की स्थिति संचालित की जा रही है।उन्होंने यह भी कहा कि जब भी इस पर चर्चा होगी तो भारत इस पर चुप नहीं रहेगा।यूक्रेन में जंग को लेकर भारत ने अबतक तटस्थ की नीति अपनायी है जिसके बाद अमेरिका दूसरे मामलों को लेकर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है।रूस से हथियारों की खरीद और तेल को लेकर भी भारत लर अमेरिका द्वारा दबाव बनाने की कोशी की जा रही है।