- भारतीय भाषाओ पर उपलब्ध पुस्तकों की प्रदर्शनी , कथावाचन एवं कविता लेखन प्रतियोगिताओ के विजेताओ को किया पुरस्कृत राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय
कोटाः 8 नवंबर से 14 नवंबर तक भाषा गौरव सप्ताह के अंतर्गत भारतीय भाषाओ पर उपलब्ध पुस्तकों की प्रदर्शनी लगाई गई | इस सप्ताह के अंतर्गत कथावाचन एवं कविता लेखन प्रतियोगिताओ का आयोजन किया गया जिनके विजेताओ को समापन समारोह मे पुरुस्कृत किया गया |
इस समापन समारोह मे “भारतीय भाषाओं का सौंदर्य” विषय पर पाठक संवाद कार्यक्रम एवं विजेताओ हेतु पुरुस्कार सम्मान समारोह आयोजित किया गया | इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर डा अरविंद सक्सेना इतिहासविद, अध्यक्षता प्रोफेसर के.बी. भारतीय , अति विशिष्ठ अतिथि डा वीणा सक्सेना सेवानिवृत प्राचार्य शिक्षा विभाग कोटा , विशिष्ट अतिथि राम मोहन कौशिक सेवानिवृत अधिशाषी अभियंता रेलवे विभाग , कालीचरण राजपूत सेवानिवृत वरिष्ठ अनुभाग अभियंता (टेलीकॉम) पश्चिम मध्य रेलवे तथा कार्यक्रम का संचालन सत्येंद्र वर्मा उपाचार्य शिक्षा विभाग द्वारा किया गया | गेस्ट ऑफ ऑनर नाइजीरिया के जमफारा प्रांत के गोसाऊ से आए अतिथि इसिका चिक्का और हुसैनी मूसा रहे |
इस समापन समारोह के सत्र का विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ. अरविन्द सक्सेना ने भारतीय भाषाओं के सौंदर्य को विशिष्ट और उदात्त बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाएँ एक गुलदस्ता हैं जिनमें विभिन्न बोलियों के पुष्प गूँथे हुए हैं। इन भाषाओं ने रस, छंद, और अलंकार के साथ चलते हुए विश्व को एक विराट साहित्य प्रदान किया है।
प्रोफेसर के.बी. भारतीय ने कहा कि भारतीय भाषाओं का उद्भव संस्कृत से हुआ है, और आज जितनी भी भाषाओं का विकास हुआ है, उनकी जननी संस्कृत है। भारतीय भाषाएँ साहित्य में मौजूद नौ रसों को पूर्ण माधुर्य के साथ व्यक्त करने में सक्षम हैं।
डॉ. वीणा सक्सेना ने कहा कि हम अपने विचार और सपने अपनी ही भाषा में देखते और सोचते हैं। अपनी भाषा हमें आत्ममुग्धता से परिपूर्ण रखती है। भाषा भावों की संवाहक और विचार प्रसारण का माध्यम है। राम मोहन कौशिक, सेवानिवृत्त अधिशासी अभियंता एवं साहित्यकार ने कहा कि भाषा गौरव का अर्थ है कि हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व करना चाहिए। हर भाषा का सम्मान करें और हिन्दी राजभाषा का प्रचार-प्रसार करें। जिस भाषा में हमारा पूर्ण अधिकार हो, उसी में कार्य करें।
सेवानिवृत्त वरिष्ठ अनुभाग अभियंता (टेलीकॉम) कालीचरन राजपूत ने कहा कि हम परम सौभाग्यशाली हैं कि हमारी प्राचीनतम भाषा और विश्व की प्राचीनतम भाषा संस्कृत है। हमारी हिन्दी इसी की दुहिता है, और संस्कृत को विश्व के 158 देशों में गौरव प्राप्त है। हमें अपनी भाषा पर गर्व करना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन करते हुए सत्येंद्र वर्मा ने कहा कि हमारी भारतीय भाषाओं में संवेदना और माधुर्य है। हमारे मुहावरे भी “टु किल टू बर्ड्स विद वन स्टोन” को “गौरस बेचने हरि मिले, एक पंथ दो काज” के माधुर्य के साथ व्यक्त करते हैं। कार्यक्रम में नाइजीरिया के जमफारा प्रांत के गोसाऊ से आए अतिथि इसिका चिक्का और हुसैनी मूसा ने भाषा को तकनीक के दौर में बाधा न मानने की बात कही और यूनिकोड के उपयोग की वकालत की।
कथा वाचन प्रतियोगिता के विजेता – नव्या शर्मा (प्रथम ) , उन्नति मिश्रा (द्वितीय ) तथा लावण्या सिंह हाड़ा ( त्रतीय ) स्थान पर रही वही कविता लेखन प्रतियोगिता मे चित्रांक सक्सेना (प्रथम ) डेयर (द्वितीय ) तथा दिव्य (त्रतीय ) स्थान पर रहे | सात दिन से चल रही भारतीय भाषाओ पर उपलब्ध पुस्तकों की प्रदर्शनी को भी अतिथियों समेत लोगो ने सराहा |
भारतीय भाषाओं की विविधता और समृद्धि का उत्सव मनाते हुए कोटा पुस्तकालय के डा एस. आर रंगानाथन कान्वेंशनल हाल में भारतीय भाषाओं पर उपलब्ध पुस्तकों की विशेष प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इस प्रदर्शनी में हिंदी, संस्कृत, अङ्ग्रेज़ी , उर्दू , हाड़ौती , राजस्थानी एवं पंजाबी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं की पुस्तकों का समृद्ध संग्रह प्रस्तुत किया गया। प्रदर्शनी में साहित्य, इतिहास, कला, संस्कृति, और विज्ञान से संबंधित पुस्तकों के साथ-साथ, बच्चों की कहानियां, काव्य-संग्रह, आत्मकथाएं और उपन्यास भी शामिल हैं। प्रदर्शनी का उद्देश्य भारतीय भाषाओं के साहित्य को प्रोत्साहित करना और पाठकों को उनकी भाषा में उपलब्ध साहित्य से जोड़ना है। प्रदर्शनी का उद्घाटन नाइजीरिया के जमफारा प्रांत के गोसाऊ से आए अतिथि इसिका चिक्का और हुसैनी मूसा द्वारा किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी, लेखक और छात्र शामिल हुए। इस अवसर पर संस्कृति मंत्री ने कहा, “यह प्रदर्शनी न केवल भाषा और साहित्य को आगे बढ़ाने का माध्यम है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और प्रसारित करने का प्रयास भी है। विभिन्न भाषाओं में ज्ञान और साहित्य की जो विविधता है, वह भारतीय संस्कृति की विशेषता है।”आयोजन के अंतर्गत विभिन्न भाषाओं के लेखकों के साथ बातचीत के सत्र, पैनल चर्चा और पुस्तक विमोचन भी आयोजित किए गए। इस तरह से सात दिवस से चल रही प्रदर्शनी का आज समापन हो गया | और उम्मीद है कि यह भाषा प्रेमियों के बीच भारतीय भाषाओं के साहित्य को लोकप्रिय बनाने में सहायक सिद्ध होगी।प्रदर्शनी के दौरान पुस्तकों पर विशेष छूट और कुछ पुस्तकों के ई-वर्जन भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिससे पाठकों को आसानी से अपनी पसंदीदा पुस्तकें प्राप्त हो सकें।
संभागीय पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ. दीपक श्रीवास्तव ने सभी आमंत्रित अतिथियों, वरिष्ठ साहित्यकारों, और भाषा प्रेमियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हमें भाषायी गौरव को उन्नत करना चाहिए और अपने तकनीकी कौशल को भी विकसित करना चाहिए। उन्होंने तकनीक और मानवता के बीच मानव को श्रेष्ठ बताते हुए खुद को अपडेट और अपग्रेड करने की बात कही।