साइबर अपराध का नया तरीका डिजिटल अरेस्ट

आलेख


मनोज कुमार श्रीवास्तव
डिजिटल अरेस्ट के लगातार सामने आ रहे मामलों ने देश में हड़कम्प मचा दिया है। डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई प्रक्रिया कानून में नहीं है।डिजिटल अरेस्ट,साइबर अपराधियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली एक भ्रामक रणनीति है।इसमें ठग खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी बताकर लोगों को ऑडियो या वीडियो कॉल करके डराते हैं और उन्हें गिरफ्तारी का झांसा देकर उनके हीं घर में डिजिटल तौर पर बंधक बना लेते हैं।साइबर ठगी का नया तरीका डिजिटल अरेस्ट है।
वास्तव में डिजिटल अरेस्ट एक टर्म है, जिसके तहत किसी व्यक्ति के पास फोन आता है और उन्हें बताया जाता है कि आपके खिलाफ अरेस्ट वारंट है और आपको डिजिटल अरेस्ट कर लिया गया है।इस दौरान डिजिटल अरेस्ट व्यक्ति से 2 घण्टे के अंदर वहां पहुंचने को कहा जाता है और ज्यादातर मामलों में ऐसा नहीं हो पाता।इसमें व्यक्ति के खिलाफ किसी तरह के फ्रॉड में शामिल होने,मर्डर या किसी अन्य संगीन अपराध में शामिल होने के सुबूत होने की बात कही जाती है।जिस व्यक्ति को डिजिटल अरेस्ट किया जाता है उसको बकायदा उसके नाम का अरेस्ट वारंट भी दिखाया जाता है।
डिजिटल शब्द की उत्तपत्ति हुई है डिजिट से इसका सीधा मतलब अंक होता है।अगर थियोरिटीकल की बात की जाए तो अंकों के यानी डिजिटल के ग्रुप की कैलकुलेशन को डिजिटल कहा जाता है।जो संख्याओं को लिखने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले दस प्रतीकों में से एक है।सटीक रूप से कहें तो अंक 0123456789 है लेकिन कम्प्यूटर के बारे में बात करते समय डिजिटल का मतलब सिर्फ 0 और 1 अंक होता है।डिजिटल मशीनें 0 और 1 के रूप में जानकारी संग्रहित और संचारित करती है।
डिजिटल अरेस्ट का सीधा और साधारण मतलब है कि व्यक्ति को मोबाईल कॉल या वीडियो कॉल कर अरेस्ट कर लिया जाता है।इसके तहत जिस व्यक्ति को अरेस्ट किया जाता है उसे अपनी मर्जी से कुछ भी करने नहीं दिया जाता।यहां तक कि फोन या वीडियो कॉल काटने पर या किसी अन्य से बात करने पर भी गम्भीर परिणाम भुगतने की धमकी दी जाती है।उस व्यक्ति को सबसे दूर कर दिया जाता है।इस दौरान कोई पुलिसकर्मी,सीबीआई अफसर या ईडी का अधिकारी स्क्रीन के दूसरी तरफ मौजूद रहता है।
डिजिटल अरेस्ट किये गए व्यक्ति को यकीन दिलाता है कि वह उनकी मदद करेगा और उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं होने देगा।डिजिटल व्यक्ति से गोपनीयता के नाम पर किसी से भी बातचीत करने से मना कर दिया जाता है, फिर उनके फोन पर कोई एप इंस्टाल करने को कहा जाता है या उनके बैंक खाते की डिटेल ले ली जाती है।कई बार डिजिटल अरेस्ट किये गए व्यक्ति से किसी से बात किये बिना बैंक जाकर पैसे ट्रांसफर भी करवा लिए जाते हैं।
IPC,BNS,BNNS,Cr.PC जैसे तमाम नए-पुराने कानूनों में किसी में भी ऐसा कोई प्रावधान है ही नहीं।ऐसी कोई डीहर नहीं है, ऐसा कोई कानून नहीं है जिसके तहत व्यक्ति को को डिजिटल अरेस्ट किया जाए।दरअसल यह जालसाजों या साइबर फ्रॉड द्वारा ईजाद किया गया शब्द है जिसके जरिए वह भोले-भाले लोगों को अपना शिकार बनाते हैं और उनकी मेहनत की कमाई ले उड़ते हैं।
डिजिटल अरेस्ट का मतलब है कि व्यक्ति को ऑनलाइन धमकी देकर वीडियो कॉलिंग के जरिए व्यक्ति पर नजर रख रहा है।डिजिटल अरेस्ट के दौरान साइबर सभी नकली पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को धमकाते हैं और अपना शिकार बनाते हैं।जनता को फंसाने के लिए जालसाज बड़ी मेहनत करते हैं।वह व्यक्ति के बारे में सबकुछ पता लगाते हैं जिसमें व्यक्ति के परिवारजनों की जानकारी से लेकर व्यक्ति के फाइनेंशियल हेल्थ तक कि उनको जानकारी होती है।साइबर ठग देश-दुनिया में घर बैठे निर्दोष लोगों से लाखों-करोड़ों रुपये ऐंठ चुके हैं।
डिजिटल जागरूकता जनता का ऑनलाइन पहचान का ज्ञान है।चाहे स्कूल के लिए ऑनलाइन हो या सिर्फ मौज-मस्ती के लिए।हर बार जब लोग इंटरनेट पर साइन इन करते हैं तो लोग एक डिजिटल पदचिन्ह छोड़ते हैं।डिजिटल पदचिन्ह लोगों के बारे में वह जानकारी है जो उनकी ऑनलाइन गतिविधि के परिणामस्वरूप इंटरनेट पर मौजूद है।डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक की एक शाखा है जिसमें विधुत संकेत अंकीय होते हैं।अंकीय संकेत अनेको तरह के हो सकते हैं किंतु बाइनरी डिजिटल संकेत सबसे अधिक उपयोग में आते हैं।शून्य/एक,आँन/ऑफ, हाँ/ना, लो/हाई आदि बाइनरी संकेतों के कुछ उदाहरण है।
अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के पासवर्ड, डिजिटल हस्ताक्षर या किसी खास पहचान का धोखाधड़ी से इस्तेमाल करता है तो उसे तीन साल तक कि जेल हो सकती है या एक लाख रुपया का जुर्माना लगाया जा सकता है।यह धारा 66 के तहत आती है।सरकार इसे रोकने के लिए जागरूकता अभियान चला रही है साथ ही पुलिस-प्रशासन के अधिकारी भी अपने स्तर पर जनता को साइबर ठगी के नए तरीकों से आगाह कर रहे हैं।
सावधान रहें और समझें कि डिजिटल अरेस्ट जैसा कुछ नहीं होता और ऐसे किसी अनजान कॉल को कतई न उठाए।अभियान के लोगों से बात करें, हो सकता है आपकी कमाई बच जाए।इससे बचने का सरल तरीका है कि सतर्क एवं सुरक्षित रहें।कोई भी सरकारी एजेंसी आधिकारिक संचार के लिए व्हाट्सएप या स्काइप जैसे प्लेटफार्म का उपयोग नहीं करें बल्कि इग्नोर करें घबराए नहीं जल्दबाजी करने से बचें,साक्ष्य जुटाएं फिशिंग से बचे एवं धोखाधड़ी की रिपोर्ट करें।

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