-समता कुमार सुनील
प्रायः हम सभी सुस्वाद की रुचि में स्वास्थ्य के लिए अरुचिकर तत्व खानपान की शैली में शामिल कर लेते हैं। ऐसे एक हानिकर शैली है दही में नमक मिलाकर खाना। अगर आप भी ऐसा करते हैं तो सावधान!
आप कभी भी दही में नमक डाल कर न खाऐं और ये दक्षिण भारत का अण्णा यही गलती प्रायः करता है।
दही को अगर खाना ही है, तो हमेशा मीठी चीज़ों के साथ खाना चाहिए। जैसे कि चीनी के साथ, गुड़ के साथ, बूरे या मिश्री आदि के साथ खायें।
इस क्रिया को और बेहतर से समझने के लिए आपको बाज़ार में किसी भी साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट की दूकान पर जाना है, और वहाँ से आपको एक लेंस खरीदना है। अब अगर आप दही में इस लेंस से देखेंगे तो आपको छोटे-छोटे हजारों बैक्टीरिया नज़र आएंगे, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं।
ये बैक्टीरिया जीवित अवस्था में आपको इधर-उधर चलते फिरते नजर आएंगे। ये बैक्टीरिया जीवित अवस्था में ही हमारे शरीर में जाने चाहिए, क्योंकि जब हम दही खाते हैं तो हमारे अंदर एंजाइम प्रोसेस अच्छे से चलता है।
हम दही केवल बैक्टीरिया के लिए ही खाते हैं, क्योंकि दही की निर्माण की क्रिया ही दूध में बैक्टीरिया निर्माण करना है।
दही को आयुर्वेद की भाषा में जीवाणुओं का घर माना जाता है। अगर एक कप दही में आप जीवाणुओं की गिनती करेंगे तो करोड़ों की संख्या में जीवाणु नजर आएंगे। अगर आप मीठा दही खायेंगे तो ये बैक्टीरिया आपके लिए काफ़ी फायदेमंद साबित होंगे।
वहीं अगर आप दही में एक चुटकी नमक भी मिला लें तो एक मिनट में सारे बैक्टीरिया मर जायेंगे और उनकी लाश ही हमारे अंदर जाएगी, जो कि हमारे स्वास्थ्य हेतु किसी काम नहीं आएगी।
अगर आप 100 किलो दही में एक चुटकी नामक डालेंगे तो दही के सारे बैक्टीरियल गुण खत्म हो जायेंगे, क्योंकि नमक में जो केमिकल्स होता है, वह जीवाणुओं के दुश्मन है।
आयुर्वेद में कहा गया है कि दही में ऐसी चीज़ मिलाएं, जो कि जीवाणुओं की संख्या को बढाये ना कि उन्हें मारे या खत्म करे। दही को गुड़ के साथ खाईये, गुड़ डालते ही जीवाणुओं की संख्या मल्टीप्लाई हो जाती है और वह एक करोड़ से दो करोड़ हो जाते हैं। थोड़ी देर गुड मिला कर रख दीजिए और उसके पश्चात उसका सेवन करें, स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है।
बूरा डालकर भी दही में जीवाणुओं की ग्रोथ कई गुना ज्यादा हो जाती है। मिश्री को अगर दही में डाला जाये तो ये सोने पर सुहागे का काम करेगी। यही कारण है कि कई डेयरी उत्पादक अपने यहाँ मिष्ठी दही का उत्पादन करते हैं, जो बहुत लोकप्रिय उत्पाद है।
भगवान कृष्ण भी दही को मिश्री के साथ ही खाते थे। पुराने समय के लोग अक्सर दही में गुड़ डाल कर दिया करते थे। शुभ यात्रा की मंगलमय कामना के साथ दही-गुड़ खिलाने की आज भी प्रथा ग्रामीण अंचलों सहित शहरी क्षेत्रों में प्रचलित है।
अतः अपने शरीर को आरोग्य बनाने हेतु कभी भी दही के साथ लवण (नमक) का प्रयोग न करें।