राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश संगठन सचिव महिला प्रकोष्ठ लक्ष्मी सिन्हा ने बातचीत में कहा कि भारतीय लोकतंत्र की त्रासदी यह है कि विपक्ष के किसी भी राजनेता के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले उजागर होते ही उसे राजनीतिक विरोध के लिए की जा रही करवाई बता कर भ्रष्ट नेताओं का बचाव करने का प्रयास किया जाता है। यह सूची बहुत लंबी है। राजनेताओं का यही आचरण नौकरशाही को भ्रष्ट होने के लिए संजीवनी प्रदान करता है। श्रीमती लक्ष्मी सिन्हा ने कहा कि कांग्रेस के प्रथम परिवार पर ईडी की जांच का दायरा आते ही मानो सुस्त पड़ी कांग्रेस पार्टी में जीवन आ गया, देशभर में धरने होने लगे। ऐसे व्यर्थ प्रयास करने से पूर्व विपक्षी दल यह भूल जाते हैं कि अब देश के नागरिक परिपक्व हुए हैं। श्रीमती लक्ष्मी सिन्हा ने कहा कि विपक्ष का कोई भी नेता ऐसा नहीं है, जिसको देश अपना आदर्श मान सके और उसके भ्रष्टाचार को दबाने के लिए किए जा रहे आंदोलन को समर्थन दें सके। आज केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के अतिरिक्त सभी दल परिवारिक दल है। प्रत्येक दल में पिता का उत्तराधिकारी उसकी संतान ही बन रहा है। इसके पीछे भी भ्रष्टाचार से एकत्र किया गया काला धन कारण हो सकता है। काला_सफेद सारा फंड आमतौर पर पार्टी के मुखिया के नियंत्रण में ही रहता है। इसलिए शायद पार्टी के योग्य और सक्षम नेता भी पार्टी के परिवार के वंशज को सहज ही मुखिया स्वीकार कर लेते हैं। श्रीमती लक्ष्मी सिन्हा ने कहा कि कांग्रेस इसका सबसे बड़ा उदाहरण नजर आती है। वर्तमान केंद्र सरकार के समय में पारदर्शिता आवश्यक आई है, किंतु अभी जमीनी स्तर पर बहुत काम किया जाना बाकी है। यदि भारत को विकसित देशों के साथ पहली कतार में खड़ा होना है तो देश के भ्रष्ट तंत्र की सफाई करनी ही होगी। इसकी शुरुआत राजनेताओं से करनी होगी, क्योंकि राजनेताओं के ईमानदार होने से ब्यूरोक्रेसी भी भ्रष्ट होने का साहस नहीं कर सकेगी। श्रीमती सिन्हा ने कहा कि तमाम उपायों के बाद भी राजनीतिक भ्रष्टाचार जिस तरह खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है, उसे देखते हुए यह आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य है कि काला धन बटोरने और उसे सफेद करने की कोशिश करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई हो।