26 नवम्बरःराष्ट्रीय कानून दिवस जिसे ‘संविधान दिवस’ के रुप में मनाते है

आलेख

– मनोज कुमार श्रीवास्तव

भारतीय इतिहास में 26 नवम्बर बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है।इस तारिख़ को संविधान दिवस तो कहा ही जाता है साथ ही इसे राष्ट्रीय कानून दिवस भी कहा जाता है।वास्तव में 26 नवम्बर 1949 ही वो खास दिन था,जिस दिन संविधान को देश के समक्ष पेश किया गया था।हालांकि इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था।लेकिन कानून बनते ही एक्ट लागू कर दिए गए थे इसलिए कानून दिवस के रूप में मनाते हैं।

    साल 2014 तक 26 नवम्बर को भारत में  “कानून दिवस” के रूप में मनाया जाता था।2015 में भाजपा सरकार ने 26 नवम्बर को आधिकारिक तौर पर  “संविधान दिवस”के रूप में घोषित कर  संविधान बनाने की प्रक्रिया और मसौदा समिति के अध्यक्ष भीम राव अम्बेडकर को याद किया।2015 में बाबा साहेब की 125 वीं जयंती थी और सरकार 26 नवम्बर को उनकी याद में श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहती थी।

     भारत के प्रत्येक नागरिक को संविधान के बारे में पता होना चाहिए।इसके बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से 19नवम्बर 2015 को सामाजिक न्याय मंत्रालय द्वारा यह फैसला लिया गया कि 26 नवम्बर को भारत सरकार संविधान दिवस के रूप में मनाए जाने की परम्परा शुरू की जाएगी और इसके बाद से हर साल संविधान दिवस मनाया जाता है।इस संविधान को बनाना इसलिए जरूरी था कि लगभग 200 साल बाद अंग्रेजों के शासन का कार्यकाल खत्म हुआ।इसके बाद देश को ऐसा नियम, कानूनों की जरूरत थी ताकि देश में रहनेवाले लोग विभिन्न धर्मों के बीच समानता और एकता मिल सके।

     भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की कि 26 नवम्बर को भारत के संविधान को अपनाने के उपलक्ष्य में संविधान दिवस या राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में मनाया जाएगा।26 नवम्बर 1949 को भारत की संविधान सभा ने भारत के संविधान को अपनाया जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।भारत का संविधान समिति का गठन मसौदा समिति डॉ0 अम्बेडकर को अपना अध्यक्ष और 6 अन्य सदस्यों को नियुक्त किया-मुंशी एन गोपालस्वामी अय्यंगर खेतान , मित्तर, मोहम्मद सादुल्ला और अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर।

      संविधान की स्रोतों से तैयार किया गया था जबकि भारत की जरूरतों और शर्तों को सर्वोपरि महत्व दिया गया था।डॉ0 अम्बेडकर संविधान के मसौदा तैयार करने के पहले 60 से अधिक देशों के संविधानों का अध्ययन किया।भारत में प्रति वर्ष 26 नवम्बर को कानून दिवस मनाये जाने की परम्परा सबसे पहले भारत के प्रख्यात विधिवेत्ता डॉ0 लक्ष्मीमल्ल सिंघवी के प्रयासों और सुप्रीम कोर्ट बार एशोसिएशन द्वारा 1979 में प्रारंभ हुई।इसी दिन संविधान निर्माण समिति के वरिष्ठ सदस्य महान विधिवेत्ता डॉ0 हरि सिंह गौर(1870-1949) का जन्मदिवस भी मनाया जाता है।

   संविधान भारत सरकार के लिखित सिद्धान्तों का एक समूह है।यह सरकार और देश के नागरिकों के मौलिक राजनीतिक सिद्धान्तों, प्रक्रियाओं, अधिकारों,निर्देशक सिद्धान्तों,प्रतिबंधों और कर्तव्यों को फ्रेम करता है।भारत का संविधान देश को एक सम्प्रभु,धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी और लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करता है।यह अपने नागरिकों की समानता, स्वतन्त्रता और न्याय का आश्वासन देता है।

भारत का संविधान दुनिया के किसी भी सम्प्रभु देश का सबसे लंबा लिखित संविधान है।इसका उद्देश्य संविधान में निहित मौलिक कर्तव्यों के बारे में जागरूकता पैदा करना भी है।

      9 दिसम्बर 1946 को आजादी से पहले पहली बार संविधान सभा की बैठक हुई।संविधान सभा के पहले अध्यक्ष डॉ0 सचिदानंद सिंह थे। 29 अगस्त 1947 को संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति का गठन हुआ जिसके अध्यक्ष बाबा साहेब को बनाया गया।संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं को निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे।जवाहरलाल नेहरू, डॉ0 भीमराव अंबेडकर,डॉ0 राजेंद्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे।

  संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसम्बर1949 को संसद भवन के सेंट्रल हाल में हुई जिसमें 207 सदस्य हीं उपस्थित हुए थे।पहले संविधान सभा में कुल 389 सदस्य थे लेकिन देश के विभाजन के बाद कुछ रियासतों के संविधान सभा में हिस्सा ना लेने के कारण सभा के सदस्यों की संख्या घटकर 299 हो गई थी।भारतीय संविधान को तैयार करने में डॉ0 अम्बेडकर का अहम योगदान रहा है।उन्हें भारतीय संविधान का जनक कहा जाता है।आजादी के बाद कांग्रेस सरकार ने उन्हें प्रथम कानून मंत्री के रूप में सेवा करने का मौका दिया था।इसके बाद 29 अगस्त को संविधान की प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाया गया।

     डॉ0 आंबेडकर भारत मुख्य वास्तुकार थे और उन्हें मजबूत और एकजुट भारत के लिए जाना जाता है।संविधान सभा ने भारत के संविधान को 02 वर्ष 11 महीना 18 दिन में 26 नवम्बर 1949 को पूरा कर राष्ट्र को समर्पित किया जिसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया।नामकरण भले ही कानून दिवस से संविधान दिवस में बदल गया हो,लेकिन 26 नवम्बर अभी भी एक ऐसा अवसर है जिस पर हमारे परिवर्तन कारी भारतीय संविधान की अवास्तविक क्षमता को प्रतिबिंबित करने के लिए संविधान निर्माताओं की भावना का जश्न मनाते हैं।

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