कच्चे इस्पात का 81.9 मिलियन टन रिकॉर्ड हुआ उत्पादन

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*इस्पात मंत्रालय ने स्वदेशी स्तर पर उत्पादित इस्पात की ‘मेड इन इंडिया’ ब्रैंडिंग का काम लिया हाथ में*

* पिछले वर्ष की समान अवधि में 67.32 एमटी के परिष्कृत इस्पात खपत की तुलना में अप्रैल-नवंबर 2022 में खपत 75.3 एमटी दर्ज की गई, जो 11.9 प्रतिशत अधिक है

दिल्लीः इस्पात सेक्टर, निर्माण, अधोसंरचना, मोटर-वाहन, इंजीनियरिंग और रक्षा जैसे महत्त्वपूर्ण सेक्टरों के लिये केंद्रीय भूमिका निभाता है। वर्ष प्रति वर्ष इस्पात सेक्टर में जबरदस्त प्रगति दर्ज की गई है। देश अब इस्पात उत्पादन में वैश्विक शक्ति बन चुका है तथा कच्चे इस्पात के उत्पादन में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है।

उत्पादन और खपतः- चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों (अप्रैल-नवंबर 2022) के दौरान इस्पात सेक्टर का प्रदर्शन काफी उत्साहवर्धक रहा है। स्वदेशी परिष्कृत इस्पात का उत्पादन पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 73.02 मिलियन टन के मुकाबले 78.090 मिलियन टन (एमटी) रहा, जो 6.9 प्रतिशत अधिक है। पिछले वर्ष की समान अवधि में 67.32 एमटी के परिष्कृत इस्पात खपत की तुलना में अप्रैल-नवंबर 2022 में खपत 75.3 एमटी दर्ज की गई, जो 11.9 प्रतिशत अधिक है। कच्चे इस्पात का 81.96 मिलियन टन रिकॉर्ड उत्पादन हुआ, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में हुई 77.58 एमटी खपत से 5.6 प्रतिशत अधिक है।

यह योजना वित्त वर्ष 2023-24 (पीएलआई वित्त वर्ष 2024-25 में जारी की जाएगी) से शुरू होने वाली है। विशिष्ट स्टील के लिए उत्पादनयुक्त प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत 30 कंपनियों के 67 आवेदनों का चयन किया गया है। यह 26 मिलियन टन की उत्पादन व बिक्री क्षमता और 70 हजार की रोजगार सृजन क्षमता के साथ  42500 करोड़ रुपये के निश्चित निवेश को आकर्षित करेगी।

इस्पात की वस्तुओं की कीमतों में लगभग 15-25 प्रतिशत की गिरावट आई है और उपरोक्त उपायों के परिणामस्वरूप कीमतें स्थिर हुई हैं। अब, सम्बंधित सभी हितधारकों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, उक्त अधिसूचना को दिनांक 18 नवंबर, 2022 की अधिसूचना द्वारा रद्द कर दिया गया तथा 21 मई, 2022 से पहले की स्थिति बहाल कर दी गई है।

ऊर्जा, नीति आयोग आदि के साथ निरंतर समन्वय कर रहा है। इस्पात क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन को कम करने और संसाधन दक्षता में सुधार पर विस्तृत चर्चा छह मई, 2022 को “ट्रांजिशन टुवर्ड्स लो कार्बन स्टील-ग्रीन स्टील” और एक जुलाई, 2022 “रोडमैप फॉर सर्कुलर इकोनॉमी इन स्टील सेक्टर” पर संसद की सलाहकार समितियों की बैठकों में की गई। इसके अलावा, इस्पात मंत्रालय ने 11 नवंबर 2022 को शर्म-अल-शेख, मिस्र में कॉप-27 कार्यक्रम के 6वें दिन एक सत्र की मेजबानी की, जिसमें इस्पात निर्माण में ग्रीन हाइड्रोजन जैसी प्रौद्योगिकियों पर निर्भर कार्बन उत्सर्जन को कम करने के मुद्दों पर चर्चा की गई। कार्बन को उत्सर्जन से पहले पकड़ लेने, भंडारण और उपयोगिता (सीसीयूएस), ऊर्जा दक्षता पर सर्वोत्तम उपलब्ध तकनीकों के साथ-साथ अक्षय ऊर्जा में परिवर्तन जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की गई।

शुरूआत में, सेल और जिंदल स्टेनलेस लिमिटेड के कुछ चुनिंदा उत्पादों के लिए पायलट रोल आउट के साथ मेड इन इंडिया ब्रांडिंग शुरू की जाएगी। क्यूसीआई, स्टील उत्पादों पर चिपकाने के लिए क्यूआर कोड बनाने के लिए एक आईटी प्लेटफॉर्म तैयार करने के मद्देनजर जिंदल स्टेनलेस लिमिटेड और सेल के साथ परामर्श कर रहा है। एक बार निर्बाध संचालन के लिए प्लेटफॉर्म में आवश्यक सुधार किए जाने के बाद, इस्पात के लिए मेड इन इंडिया ब्रांडिंग का रोल आउट सभी आईएसपी के साथ व्यापक पैमाने पर शुरू किया जाएगा।

इसके अलावा, कंटेनर निर्माण की आवश्यकता को पूरा करने के लिए, भारतीय मानक 11587 जो पहले से ही गुणवत्ता नियंत्रण आदेश के दायरे में था, को बीआईएस द्वारा कॉर्टेन स्टील को शामिल करके संशोधित किया गया था। और, घरेलू इस्पात निर्माताओं से उत्पाद के हवाले से बीआईएस प्रमाणन के लिये आवेदन करने का आग्रह किया गया। चार घरेलू निर्माताओं को पहले ही बीआईएस द्वारा प्रमाणित किया जा चुका है और घरेलू निर्माता कॉर्टेन स्टील के आयात की निर्भरता को कम करने और कंटेनर निर्माण उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कंटेनर निर्माता उक्त गुणवत्ता वाले आवश्यक कॉर्टेन स्टील की आपूर्ति करने के लिए तैयार हैं।

इसके अलावा, बीआईएस के साथ साझा किए गए आयातित स्टील ग्रेड के आंकड़ों के अनुसार, मौजूदा मानकों में 250 से अधिक नये स्टील ग्रेड शामिल किए गए हैं और पांच नये मानक तैयार किए जा रहे हैं। यह कार्य वैश्विक मानकों के अनुरूप भारतीय इस्पात मानकों के उन्नयन की सुविधा प्रदान कर रहा है। यह कार्य आयात प्रतिस्थापन और मेक इन इंडिया पहल के लिए कई आयातित स्टील ग्रेड के स्वदेशीकरण की सुविधा भी प्रदान कर रहा है।

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