कार से घिसटती ‘अंजली मृत्युकांड’: खुलासों से देश हैरान!

आलेख
  • समता कुमार (सुनील)
       हमारे समाज की संस्कारहीनता और फैशन व मार्डन लाइफ स्टाइल में शराब सेवन खुलेआम नवयुवा में प्रयोग अधिकांश दुर्दांत मौतों का मूल कारक बन रहे हैं।
                         गत 31 दिसंबर की रात को "न्यू ईयर पार्टी" के जश्न के बाद, 1 जनवरी 2023 के जश्न की पहली सुबह के ठीक पहले दिल्ली के अंदर सुल्तानपुरी इलाके में एक लड़की कार के पहिए और बोनट के बीच में फंसी हुई थी और उसे लगातार 12 किलोमीटर तक घसीटा गया था। इस दौरान उसके पिछले हिस्से में आग लग गयी। पिछला हिस्सा घिस कर अलग हो गया। उसके अंग-अंग घिस-घिस कर सड़क पर यहाँ वहाँ बिखर गए। उसकी लगभग सारी हड्डियां टूट गईं। इतना खून बहा कि लाश मिली तो शरीर में खून का एक कतरा भी नहीं था। पुलिस ने इस काण्ड में गैरइरादतन हत्या की धारा भी लगा दी है । लेकिन ये विभत्स काण्ड सुनकर पूरा देश हिल गया।
                          ये अपने आप में आश्चर्यजनक घटना है कि देश के विभिन्न इलाकों में तमाम मूर्ख और महामूढ़ सिर्फ नए साल का जश्न बनाते हुए ही मारे गए या किसी के द्वारा मार दिए गए। आखिर ये कौन सा अंग्रेजी नववर्ष का जश्न है कि जिसमें शराब, कबाब और शबाब जरूरी है। ये कौन सी वाहियात संस्कृति है, जिसको मानना आधुनिकता का प्रतीक माना जाता है। मेरे कई मित्रों ने मुझे अंग्रेजी नव वर्ष की बधाई भेजी, लेकिन मैंने उसे स्वीकार नहीं किया क्योंकि मैं अंग्रेजी नव वर्ष मनाता ही नहीं हूं। हालांकि उनके प्रति मेरी सदभावना और मंगलकानाएं सदैव हैं और रहेंगी भी इसमें कोई शक नहीं है।  
                           दिल्ली के अंजली मृत्युकांड में जो नए खुलासे हो रहे हैं, वो काफी ज्यादा चौंकाने वाले हैं। 'आज तक' और दूसरे तमाम न्यूज चैनलों की रिपोर्ट के मुताबिक मृत लड़की अंजली ने अपनी दोस्त निधि के साथ दिल्ली के एक होटल (ओयो रूम) में कमरा बुक करवाया था। शाम 7 बजे ओयो रूम बुक करवाया गया था और रात 12 बजे के करीब उनके दो पुरुष मित्र होटल के कमरे में आते हैं। इसके बाद दोनों लड़कियों के बीच खूब कहा सुनी होती है। होटल मैनेजर और होटल के कर्मचारियों के बयानों के आधार पर इन न्यूज चैनलों ने खबरें दिखाईं कि दोनों लड़कियां यानी निधि और मृत लड़की अंजली भी जबरदस्त नशे में थीं। इनको लड़ते हुए और मां बहन की गालियां देते हुए देखकर होटल के स्टाफ ने उन दोनों को भूतल की ओर नीचे उतार दिया था। वहाँ दोनों लड़कियां नीचे भी लड़ती रहीं,  लेकिन फिर अंजली अपनी स्कूटी से चली गई और उसके पीछे निधि भी बैठी हुई थी। 
                   अब तक जो घटना की जानकारी सामने आई है, उसके मुताबिक नशे में धुत अंजली और निधि का बलेनो गाड़ी से एक्सिडेंट हुआ। निधि को ज्यादा चोट नहीं आई थी और वो भाग गई थी। इसके बाद बलेनो गाड़ी के चक्के और बोनट के बीच फंसी हुई अंजली लगातार 12 किलोमीटर तक घसीटी जाती रही। 
                  अभी कई और कड़ियाँ जुड़ना बाकी हैं,  जिसके बाद ही पूरा खुलासा होगा। ये बात साफ है कि जिस कार से दुर्घटना हुई, उसमें सवार लोगों से अंजली का कोई पूर्व परिचय नहीं था। लेकिन अगर घटना की बारीकी में जाएं तो ये बात साफ हो रही है कि दोनों ही पक्ष यानी स्कूटी सवार अंजली और कार सवार युवक बुरी तरह नशे में भंड थे, जिसकी वजह से ये हादसा और विभत्स मृत्युकांड हुआ है। 
                 अगर दोनों में से एक पक्ष भी नशे से बचा होता तो शायद अंजली की जान नहीं जाती। लेकिन हमारे देश के अंदर शराब का चलन बंद करने की नहीं, बल्कि शराब से मुनाफा कमाने की विकृत सरकारी संस्कृति चल रही है, जो कि अब बंद होनी ही चाहिए। बिहार और गुजरात में सिर्फ नाम मात्र को ही शराबबंदी हुई है। ये सरकारी तौर पर घोषणा मात्र नहीं बल्कि पुख्ता तौर पर बंद होनी चाहिए। इसमें निर्माताओं, वितरको, विक्रेताओं और उपभोक्ता पर समान नजर रखते हुए अविलम्ब उचित व कठोर दण्डात्मक कार्यवाई होनी चाहिए।
                  इसके काण्ड के अलावा याद कीजिए एक और हत्याकांड एक दशक पूर्व 16 दिसंबर को हुआ था 'निर्भया हत्याकांड' जिसमें एक लड़की (काल्पनिक नाम निर्भया) अपने पुरुष मित्र के साथ रात में 'लाइफ ऑफ पाइ' मूवी देखकर आ रही थी। साकेत से उन्होंने बस पकड़ी थी, जिसमें दोनों ही चढ़ गए थे, वहीं उनके साथ दुर्दांत हत्याकांड को अंजाम दिया गया था। उस वक्त शीला दीक्षित ने कहा था कि आधी रात को घूमने की क्या जरूरत है तो सब लोगों ने शीला दीक्षित को ही आड़े हाथों ले लिया था, लेकिन क्या शीला दीक्षित ने गलत कहा था..? इस पर विचार करने की आवश्कता है..!
                         बहुत से लोग चोरी चुपके बहुत सारे कांड करते हैं। वो 100 बार ओयो रूम बुक करवाते होंगे.. 99 बार बच भी जाते होंगे, लेकिन एक बार तो कोई ना कोई ऐसा मौका जरूर आता होगा, जब उनके साथ कोई हादसा या बुरी घटना होती है और तब सारा पुलिस प्रशासन व सरकार सब दोषी हो जाते हैं। लेकिन जब सामाजिक संगठन अंग्रेजी नववर्ष मनाने के लिये मना करते हैं, शराब के लिए मना करते हैं तो इन संगठनों को दकियानूसी बताया जाता है। क्राइम की मुख्य वजह ही संस्कारहीनता है लेकिन उसके ऊपर कोई भी ध्यान देने के लिए तैयार नहीं है। 

                   केन्द्र व राज्य सरकारों को शराब से मुनाफा वसूलने वाली आदत और घिसा-पिटा पुराना मॉडल अब छोड़ देना चाहिए। हमारा ये बिलकुल साफ मानना है कि अंजली या किसी को भी कैरेक्टर सर्टिफिकेट बाँटना इस लेख का लक्ष्य नहीं है, लेकिन हम सभी को अपने परिवार का ख्याल हर तरह से रखने की जरूरत है और अंजली की मौत के दोषियों को कठोर सजा मिले ये भी पूरे देशवासियों की इच्छा है।

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