पटना। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय ने कहा कि बिहार में बनी महागठबंधन की सरकार ने अपने एक साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है। इन एक वर्षों में सरकारी नौकरी तो नदारत रही, लेकिन अपराध और भ्रष्टाचार का बोलबाला रहा। अपहरण, हत्या, लूट और डकैती का कारोबार बढ़ा। इसका ताजा उदाहरण आप गत माह के बिहार मंे घटित अपराध के आंकड़ों से लगा सकते हैं। इसमें बिहार सरकार की पुलिस विभाग ने खुद प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि जुलाई माह में राज्य के अंदर 30 हत्याएं हुईं। बिहार में भय और अराजकता का माहौल बना हुआ है। वहीं दूसरी ओर बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने रोजगार के जो वादे किए थे, उसमें सरकार पूरी तरह से फिसड्डी साबित हुई है। बीता हुआ एक वर्ष बिहार के लिए नाकामी वाला साल रहा।
श्री पांडेय ने कहा कि बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा था कि वो जब सरकार में आएंगे तो कैबिनेट की पहली बैठक में पहली कलम से दस लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देंगे। उनका वादा तो केवल जुमला बनकर रह गया। नई बहाली तो दूर उसकी प्रक्रिया भी अभी नहीं हो पाई। कुछ पुरानी रिक्तियों की नियुक्ति पत्र बांटे गए, जिसकी बहाली बिहार में एनडीए के शासन में हुई थी। उसी पर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है। प्रदेश के भीतर रोजगार सृजन की कोई व्यवस्था नहीं है। जब कोई छात्र, कर्मचारी या प्रदर्शनकारी हक मांगता है, तो छात्रों और कर्मचारियों की पिटाई की जाती है। यही नहीं जनसमस्या को सड़क पर उतरने वाले आंदोलनकारी को सीधा गोली मार दिया जाता है। बीते एक साल में सरकार की यही उपलब्धि रही है कि किसान, मजदूर, छात्र और महिला समेत प्रदेश में हर कोई इस सरकार से प्रताड़ित हो रहा है।