शिवहर से बहन लवली आनन्द को जिताने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील आई काम,स्वजातीय के नाम पर वैश्यों का वोट लेने का ऋतु जायसवाल का उल्टा पड़ गया दांव

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पूर्व सांसद आनन्द मोहन का विकास के साथ भयमुक्त एवं भ्रष्टाचार मुक्त शिवहर बनाने का नारा भी बना भरोसा
-डॉ. सुरेन्द्र सागर-
बिहार में सबसे हॉट लोकसभा सीट बने शिवहर में 25 मई को मतदान हो गया।शिवहर लोकसभा के कुल 6 विधानसभा में संपन्न हुए चुनाव के दौरान एकबार फिर मतदाताओं ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा जताया है। शिवहर के मतदाताओं ने पूर्व सांसद आनन्द मोहन के भयमुक्त और भ्रष्टाचार मुक्त शिवहर बनाने के वादों पर भी यकीन किया है और लोकसभा चुनाव में विपक्षी राजद उम्मीदवार के फैलाये जा रहे सभी तरह के अफवाह, झूठ फरेब और साजिशों के खिलाफ तीर पर बटन दबाने को लेकर दिनभर मतदान केंद्रों पर कतारें लगा दी। पूरे संसदीय क्षेत्र से मिल रही रिपोर्ट के मुताबिक शिवहर में एनडीए उम्मीदवार श्रीमती लवली आनन्द राजद उम्मीदवार ऋतु जायसवाल से एक लाख वोटों के अधिक अंतर से चुनाव जीत रही हैं।
शिवहर में लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद एनडीए उम्मीदवार श्रीमती लवली आनन्द के पक्ष में गोलबंदी और मतदान की तस्वीरें भी साफ दिखने लगी है। शिवहर में मनोज झा का जादू नही चल पाया और सीतामढ़ी में देवेश चन्द्र ठाकुर को जबरदस्त तरीके से राजपूत वोट मिलने के बाद शिवहर में ब्राम्हण और भूमिहारों ने सब कुछ भुलाकर एनडीए की उम्मीदवार श्रीमती लवली आनन्द को वोट दे दिया। शिवहर में भाजपा के साथ स्थायी रूप से जुड़ा कायस्थों का वोट श्रीमती लवली आनन्द को मिल गया। राजद उम्मीदवार ऋतु जायसवाल द्वारा स्वजातीय के नाम पर वैश्य समाज की अपनी तरफ की गई गोलबंदी और समर्थन का दांव चुनाव के महज दो दिन पूर्व उल्टा पड़ गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मोतिहारी दौरे के दौरान मंच से छोटी बहन के आत्मीय संबोधन के साथ श्रीमती लवली आनन्द को शिवहर से जिताने की अपील किये जाने के बाद शिवहर के वैश्यों ने पूरा गणित ही बदल डाला। वैश्य समाज भी मोदीमय हो गया और यही ऋतु जायसवाल की नींव उखड़नी शुरू हो गई। वैश्य समाज ने ठान लिया कि किसी भी हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चार सौ पार के सीटों में एक शिवहर की सीट भी देनी है।
स्वजातीय के आधार पर 50-60 प्रतिशत वैश्यों को अपने पक्ष में करने में राजद उम्मीदवार ऋतु जायसवाल प्रचार अभियान के शुरुआती दिनों में तो सफल होते दिख रही थी लेकिन वैश्यों को यह डर हमेशा सता रहा था कि राजद की जीत हुई तो एकबार फिर सबसे अधिक वैश्य ही रंगदारी,लूट,अपहरण और हत्या जैसे घटनाओं के शिकार होंगे।कम से कम एनडीए की सरकार में वैश्य सुरक्षित तो हैं और अपना व्यापार तो भयमुक्त माहौल में कर रहे हैं।बस यही बात उनके मन मे बैठ गई।दूसरी बात यह भी की आजादी के बाद देश के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के पद पर वैश्य समाज का नेतृत्व वे गंवाने को तैयार नही थे। शिवहर के ताजपुर पंचायत के परदेशिया गांव में एक बुजुर्ग वैश्य ने कहा कि अगर नरेंद्र मोदी को गंवा देंगे तो आने वाले दस हजार वर्षों में कोई वैश्य समाज के नेता को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठा हुआ हमारा समाज देख नही पायेगा। वैश्य समाज के इस बुजुर्ग ने कहा पूरा वैश्य समाज एनडीए के साथ है,पूरा वैश्य समाज श्रीमती लवली आनन्द को वोट देगा।चुनाव के दिन ऐसे वैश्यों का रंग भी दिखा और शिवहर मोदीमय बनने की राह में ऋतु जायसवाल से आगे निकल गया।
लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद शिवहर में विधासभा वार वैश्य गोलबंदी का प्रतिशत अलग अलग रहा।शिवहर में 65% तो बेलसंड में यादवों से नाराज वैश्य और खासकर सुढी समाज ने 75 % मतदान एनडीए उम्मीदवार श्रीमती लवली आनन्द को कर दिया।मधुबन में यह आंकड़ा 40 % रहा तो चिरैया में 55%,ढाका में भी 60% और वही रिगा में भी 70% तक वैश्य समाज ने एनडीए को वोट कर दिया।अब अगर बात करें चुनावी गणित की तो यहाँ कुल वोटर लगभग 18 लाख हैं। जिसमे 56 % वोट पोल हुआ है।यानी लगभग 10.25 लाख वोट ईवीएम में कैद हुए हैं।उम्मीद के मुताबिक इसमें 2 लाख में से 1.5 लाख वोट राजपूत जाति के पोल हुए हैं। 2.2 लाख मुस्लिम में से 1.6 लाख वोट मुस्लिम के पोल हुए हैं। 4 लाख वैश्य में से 3 लाख वैश्य के वोट पोल हुए हैं और 10 लाख में से 4.5 लाख वोट दलित,अनुसूचित जाति एवं अन्य पिछड़ी एवं अति पिछड़ी जातियों के वोट पोल हुआ है।एनडीए के पक्ष में फिलहाल 1.4 लाख राजपूत के साथ साथ 55 % वैश्य यानी 1.65 लाख वैश्यों के वोट के अलावे दलित,अनुसूचित जाति एवं अन्य पिछड़ी एवं अति पिछड़ी जातियों के 4.5 लाख में से लगभग 2.5 लाख वोट (कुर्मी+कुशवाहा+पासवान+सोनार+लोहार समेत अन्य जातियां ,जो मोदी के नाम पे वोट करते है) मिलते नजर आ रहे है।यानी कि कुल 5 लाख 55 हजार के आसपास मत मिलते नजर आ रहे है। दूसरी तरफ अगर बात करे राजद प्रत्याशी ऋतु जायसवाल की तो ऋतु जायसवाल को शत प्रतिशत मुस्लिम वोट भी मिलता नजर नही आ रहा है। एआईएमआईएम के उम्मीदवार राणा रंजीत ने ओवैसी की पार्टी और बढ़ते प्रभाव का लाभ उठा लिया है। शिवहर में पोल हुए 1.6 लाख मुस्लिम वोट में से 1.2 लाख मुस्लिम वोट ऋतु जायसवाल के पक्ष में जाते दिख रहे है।वही वैश्य के पलटी मारने के कारण सबसे ज्यादा घाटा उन्हें यहाँ ही हुआ है। वैश्य के 1 लाख वोट ही ऋतु जायसवाल को मिलते दिख रहे हैं।वही अन्य पिछड़े समाज मे लालू के कोर वोटर के 2 लाख वोट ऋतु जायसवाल को मिलते नजर आ रहे हैं।यानी कुल लगभग 4 लाख 20 हजार मत ऋतु जायसवाल के पक्ष में जाते दिख रहा है।वही ऋतु जायसवाल की उम्मीदों पर वैश्य समाज का एक वोट बैंक और मुस्लिम समाज के एक वोट बैंक ने पानी फेर दिया है जहां निर्दलीय योगी अखिलेश्वर बाबा एवं एआईएमआईएम के राणा रंजीत ने उन्ही के वोट बैंक में सेंधमारी कर उनके गणित को गड़बड़ा दिया है।
योगी अखिलेश्वर बाबा को लगभग 20 हजार वैश्य वोट मिलने की बात बताई जा रही है तो वही एआईएमआईएम के उम्मीदवार राणा रंजीत को 40 हजार मुस्लिम वोट मिलने की उम्मीद है। राजनैतिक विश्लेषकों के अनुसार ये दोनों वोट राजद को मिलने वाले थे और इन वोटों से ऋतु जायसवाल की उम्मीदें बढ़ने वाली थी। राजनैतिक जानकार बताते हैं कि शुरुआत में करीब 60 प्रतिशत वैश्य एनडीए प्रत्याशी को वोट देने को तैयार नही थे और 60-40 के आंकड़े के अंतर के साथ वे दो पक्ष में बंटे हुए थे वहीं वैश्य समाज मोतिहारी की चुनावी सभा से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बहन लवली आनन्द को जिताने की अपील करने के बाद तेजी से एनडीए के साथ जुड़ते गए और वैश्यों की एक एक कर जुड़ती कड़ी ने श्रीमती लवली आनन्द के पक्ष में वैश्य समाज के 70 प्रतिशत से अधिक वोट बैंक को रातों रात शिफ्ट कर एनडीए की जीत आसान कर दी।

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