गालिब ने 1857 के गदर पर क्यों कलम नहीं उठाई
मिर्जा मोहम्मद असादुल्लाह बेग खान यानी मिर्जा गालिब एक से बढ़कर एक कालजयी शेर कहते हैं। कौन सा हिन्दुस्तानी होगा जिन्हें गालिब साहब के कहे “हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसीं, कि हर ख़्वाहिश पर दम निकले, बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले…” और “हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त, लेकिन, दिल के खुश रखने […]
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