डुमरांव घराना के पं.रामजी मिश्र लहरा रहे हैं देश-दुनिया में परचम

आलेख

-मनोज कुमार श्रीवास्तव

बिहार में ध्रुपद के तीन घराने दरभंगा, डुमरांव और बेतिया है।जिसमें डुमरांव घराना सबसे प्राचीन अर्थात लगभग 500 वर्षों का घराना है। डुमरांव घराने के प्रतिनिधि कलाकार प0 रामजी मिश्र हैं जो अपनी प्रस्तुति से डुमरांव घराने के परचम भारत देश अलावे दुनिया के अन्य देशों में लहरा रहे हैं।
प0 रामजी मिश्र का जन्म डुमरांव घराना परिवार में साल 1963 में पारम्परिक ध्रुपद-धम्मार परिवार में जो डुमरांव राज के दरबार में जो 500 वर्ष पुराने संगीतज्ञ परिवार में हुआ जो श्रीकृष्ण रामायण के रचयिता प0 घनारंग जी एवं श्री बचू प्रकाश जी के वंश परम्परा में थे।जिन्हें भारतेंदु हरिश्चंद्र जी के संगीताचार्य की उपाधि से सम्मानित किया।उस परिवार में प0 रामजी मिश्र का जन्म हुआ।
प0 रामजी मिश्र की शिक्षा-दीक्षा उनके नाना श्री एवं मामा श्री के सानिध्य में हुआ।उन्हें संगीत प्रभाकर, संगीत भास्कर,संगीत प्रवीण, संगीत मार्त्तण्ड, सुरमणि अवॉर्ड, गोल्डेन टैलेंट अवार्ड,राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार, परमार्थ अवार्ड,ध्रुपद शिरोमणि अवार्ड,लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड,कलामण्डली कला सम्मान, नादरत्न सम्मान के अलावे अनगिनत सम्मान एवं पुरस्कार से सम्मानित हुए हैं।
प0 रामजी मिश्रा स्वरलोक संगीत महाविद्यालय लखनऊ के प्राचार्य 1982 से 2002 तक रहे,प0 ओंकार नाथ संगीत महाविद्यालय मुजफ्फरपुर में प्राचार्य के पद पर रहे,2002 से दुर्गाबाड़ी सोसायटी ग्रेटर कैलाश नई दिल्ली में प्राचार्य के पद पर रहे।संगीत के क्षेत्र में विभिन्न विश्वविद्यालयों में डुमरांव घराने के विशिष्ट शैलियों पर शोध, विभिन्न पत्रिकाओं में साक्षात्कार एवं कार्यशैली पर लेख और नाम अंकित कराए हैं।
देश-विदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में कार्य एवं विशेष नाम अनुलग्नक, समाहित जैसे बिहार विद्यालय परीक्षा समिति एवं टेक्स्टबुक वर्णिका हिन्दी पुस्तक क्लास 9 में वर्णन, बिहार की संगीत परम्परा,संगीत अभिषेक व अनेकों संगीत के किताबों में संगीत के क्षेत्र में किये गए योगदान पर लेख व चर्चा।
किसी भी देश की पहचान वहां की संस्कृति से होती है।प0 रामजी मिश्रा अपनी संस्कृति और परम्परा को बचाने के उद्देश्य से कला संस्कृति में लगे हुए हैं ताकि आने वाले भविष्य अपने संस्कृति के प्रति पूर्ण समर्पित हो सके।इस संस्कृति की रक्षा को सुरक्षित रखने में डुमरांव महाराज, भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान एवं पत्रकार बन्धु का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने हमेशा उत्साहवर्धन किया।
डुमरांव घराने के संगीत के प्रवर्तक संगीताचार्य घनारंग बाबा,जयप्रकाश बाबा का आभारी हैं जिन्होंने अद्वितीय पुस्तक श्रीकृष्ण रामायण,सुर प्रकाश, भैरव प्रकाश, रस प्रकाश जैसे पुस्तकों की रचना किया जो शोध का विषय है जो अन्यत्र दुर्लभ है।इनका साक्षात्कार हमेशा रेडियो, दूरदर्शन, टीवी चैनल,पत्र-पत्रिकाओं द्वारा होते रहता है।कोरोना काल में 2500 कलाकारों को डुमरांव घराने के Facebook on line के माध्यम से संगीत कार्यक्रम कराया गया।
प0 रामजी मिश्रा देश-विदेश में डुमरांव घराने को सम्मान दिलाया और अनेकों विद्यार्थियों को संगीत की शिक्षा देकर शिक्षित कर रहे हैं।इनका मुख्य उद्देश्य आनेवाले युवा लाभान्वित हो सके और वृति के माध्यम से भी अपना सके।अभी वर्तमान में दिल्ली में रहकर डुमरांव घराने के कार्यक्रम प्रस्तुति दे रहे हैं।

  

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