-बिजेंद्र प्रसाद यादव, ऊर्जा मंत्री, बिहार सरकार
सिर्फ सपने देखना ही काफी नहीं है, सपने को जमीन पर लाने के लिए दृढ़ निश्चय के साथ योजनाबद्ध तरीके से काम करना भी जरूरी है। बिहार में लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को मूर्त रूप प्रदान करते हुए उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण बिजली सस्ते दर पर उपलब्ध कराने के लिए योजना बनाकर व्यवस्थित तरीके से काम किया गया है। आज बिहार में 2.12 करोड़ उपभोक्ताओं को निरंतर गुणवत्तापूर्ण बिजली उपलब्ध हो रही है। यह बिहार में बिजली के क्षेत्र में हुई प्रगति का ही परिणाम है कि 23 सितंबर 2024 को 8,005 मेगावाट की पूर्ति करके एक इतिहास रचा गया। दो दशक पहले यही बिजली की अधिकतम आपूर्ति मांग 700 मेगावाट थी। बिहार में प्रति व्यक्ति बिजली खपत 363 यूनिट है जबकि वर्ष 2005 में यह सिर्फ 70 यूनिट थी। यह सब संभव हुआ है उत्पादन, संचरण और वितरण की आधारभूत संरचना के विकास के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम करने से।
माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में हमने राज्य के कोने-कोने में बिजली पहुंचाकर अब गुणवत्तापूर्ण एवं निर्बाध बिजली आपूर्ति कर रहे हैं। आज ग्रामीण क्षेत्रों में 22-23 घंटे तथा शहरी क्षेत्रों में 23- 24 घंटे बिजली मिल रही है।
हमने पिछले दो दशक में राज्य के विद्युत आधारभूत संरचनाओं का व्यापक विस्तार किया है। बिजली से न केवल लोगों का जीवन स्तर सुधर रहा है बल्कि वे अपने
उज्ज्वल भविष्य के लिए भी इसे एक प्रमुख साधन के रूप में प्रयोग कर रहे हैं। बिजली की खपत दिनों दिन बढ़ रही है। बिजली की बढ़ती मांग और खपत से लोगों की आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल असर न पड़े इसके लिए राज्य सरकार ने लोगों को सस्ती बिजली उपलब्ध कराने का निर्णय लिया।
बिहारवासियों तक सस्ती बिजली पहुंचाने के लिए हर मुमकिन कदम उठाये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री विद्युत उपभोक्ता सहायता योजना 2024-25 के तहत राज्य सरकार द्वारा बिहार के लोगों को सस्ती बिजली उपलब्ध कराने हेतु 15,343 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। बिजली के लिए दी जा रही इस सब्सिडी का लाभ हर घर को मिल रहा है।
आज बिहार के हर घर को रोशन करने और सिंचाई के लिए हर खेत तक पानी पहुंचाने के साथ साथ छोटे बड़े उद्योग धंधों के विकास में बिजली की निरंतर उपलब्धता महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है।
बिहार मुख्य रूप से एक कृषि प्रधान राज्य है। कृषि यहां की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। एक समय था जब यहां के किसान कृषि के लिए मुख्यरूप से मॉनसून पर निर्भर रहते थे। विपरीत परिस्थितियों में खेतों के पटवन के लिए डीजल संचालित पंप सेटों का इस्तेमाल करते थे, जो काफी महंगा पड़ता था। कम जोत वाले साधारण किसान तो कृषि पर लागत अधिक आने की वजह से इसका इस्तेमाल भी नहीं कर पाते थे। अब परिस्थितियां बदल गई है, किसानों को पटवन कार्य लिए सिर्फ 55 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से भुगतान करना पड़ता है। यह संभव हुआ है सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी की वजह से। आज बिहार के किसान आत्मविश्वास से भरे हुए हैं। उन्हें यकीन है कि चाहे मॉनसून भले ही उनके प्रतिकूल हो जाये सब्सिडी की वजह से मिल रही सस्ती बिजली से उनके खेतों तक पानी पहुंचता रहेगा। पानी की कमी की वजह से अपने फसलों के भविष्य को लेकर अब पूर्व की तरह उनके माथे पर चिंता की लकीरें नहीं दिखती हैं। सस्ती बिजली मिलने से किसानों के जीवनस्तर में तेजी से सुधार हुआ है। इससे बिहार में एक नए हरित क्रांति का मार्ग भी प्रशस्त हुआ है। बिजली के बल पर आज बिहार के किसान अपने खेतों में मनचाही फसल लगाने और काटने की स्थिति में हैं।
गौरतलब है कि बिजली की निर्धारित दर प्रति यूनिट 6.74 रुपये है, अनुदान के तौर पर किसानों को बिहार सरकार द्वारा प्रति यूनिट 6.19 रुपये दिए जा रहे हैं। यानि किसानों को प्रति यूनिट सिर्फ 55 पैसे देने पड़ रहे हैं। इसके कारण बिजली से पटवन का कार्य डीजल की तुलना में दस गुणा से अधिक सस्ती हो गई।
इसी तरह बीपीएल ग्रामीण उपभोक्ताओं (कुटीर ज्योति) के लिए सिर्फ 1.97 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से भुगतान करना पड़ता है। कुटीर ज्योति के लिए विद्युत का निर्धारित दर प्रति यूनिट 7.42 रुपये हैं, जबकि राज्य सरकार वित्तीय सहायता के तौर पर 5.45 रुपये प्रति यूनिट भुगतान करती है। ग्रामीण क्षेत्रों में बीपीएल उपभोक्ता को दी जाने वाली इस सहायता राशि से उन्हें काफी राहत मिल रही है और समावेशी विकास की अवधारणा के तहत उनके घरों को सस्ती बिजली से रोशन किया जा रहा है। बड़ी संख्या में बीपीएल उपभोक्ता इसका लाभ उठा भी रहे हैं। अब रात में उनके बच्चों को अध्ययन करने के लिए लालटेन जलाने की जरूरत नहीं पड़ती है। राज्य सरकार द्वारा दिए जा रहे अनुदान का लाभ शहरी बीपीएल उपभोक्ताओं को भी मिल रहा है।
इसी तरह कम बिजली का उपभोग करने वाले अन्य घरेलू ग्रामीण उपभोक्ताओं को न्यूनतम प्रति यूनिट 2.45 रुपये की दर से बिजली दी जा रही है। बिना सब्सिडी का यह दर प्रति यूनिट 7.42 रुपये पड़ता, जिसमें अब घरेलू उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 4.97 रुपये की सब्सिडी राज्य सरकार द्वारा दी जा रही है।
ग्रामीण क्षेत्रों में व्यवसाय को प्रोत्साहित किए बिना राज्य के समग्र विकास की परिकल्पना नहीं की जा सकती है। यही वजह है कि ग्रामीण क्षेत्र के व्यवसायिक उपभोक्ताओं के हितों का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है। मुख्यमंत्री विद्युत उपभोक्ता सहायता योजना का लाभ ग्रामीण उपभोक्ताओं को प्रदान किया जा रहा है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में हर तरह के छोटे बड़े व्यवसायों को फलने फूलने का भरपूर अवसर प्राप्त हो।
मुख्यमंत्री विद्युत उपभोक्ता सहायता योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र के व्यावसायिक उपभोक्ताओं को (100 यूनिट तक) अपना कारोबार करने के लिए प्रति यूनिट 3.35 रुपये भुगतान करना पड़ रहा है, जबकि बिजली की निर्धारित दर 7.79 रुपये है। बिहार सरकार द्वारा प्रति यूनिट 4.44 रुपये के सब्सिडी प्रदान की जा रही है। इससे लाभान्वित होकर ग्रामीण व्यवसायी खुद भी समृद्ध हो रहे हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर भी पैदा कर रहे हैं। इससे बिहार की ग्रामीण अर्थ व्यवस्था तेजी से उन्नति की ओर बढ़ रही है। व्यवसाय के लिए मिल रही सस्ती बिजली ग्रामीण इलाकों में समृद्धि का नया द्वार खोल रही है।
इसी तरह कम बिजली की खपत करने वाले शहरी घरेलू उपभोक्ताओं (100 यूनिट तक) के लिए निर्धारित दर प्रति यूनिट 7.42 रुपये में से राज्य सरकार द्वारा 3.30 रुपये प्रति यूनिट का वहन किया जा रहा है जिससे इन उपभोक्ताओं को मात्र 4.12 पैसे के दर से बिजली बिल का भुगतान करना पड़ रहा है। इससे बिहार के शहरी क्षेत्रों के कम आमदनी वाले सामान्य उपभोक्ताओं को भी काफी राहत मिल रही है।
कुछ लोग राजनीतिक लाभ के लिए राज्य में उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली उपलब्ध कराने का लालच दे रहे हैं। इन लोगों को यह पता होना चाहिए कि राज्य सरकार के सब्सिडी में ग्रामीण और शहरी उपभोक्ताओं का भी भरपूर ख्याल रखा जा रहा है। सब्सिडी की वजह से लागत से काफी कम कीमत पर उन्हें बिजली मिल रही है। इसका एक मात्र उदेश्य बिजली को लेकर उपभोक्ताओं पर पड़ने वाले बोझ को कम करना है।
इस प्रकार राज्य सरकार कुटीर ज्योति (बीपीएल) उपभोक्ताओं के लिए 73%, ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 67%, शहरी घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 44%, ग्रामीण व्यवसायिक उपभोक्ताओं के लिए 57%, शहरी व्यवसायिक उपभोक्ताओं के लिए 27%, औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए 23%, और कृषि उपभोक्ताओं के लिए 92% का अनुदान देकर सस्ती बिजली दिए जाने की दिशा में सार्थक दम उठाया गया है। आज हम पड़ोसी राज्यों से सस्ती बिजली बिजली बिहार के लोगों को उपलब्ध करा रहे हैं।
बिहार विद्युत क्रांति के माध्यम से विकास के एक नये दौर में प्रवेश कर चुका है, जिसमें संरचना के निरंतर विकास के साथ साथ ऊर्जा के नये नये स्रोतों को भी विकासित किया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा उपभोक्ताओं के हित में अतिआधुनिक तकनीक से लैस करके हुए उनकी कार्यकुशलता में समयानुकूल परिवर्तन किया जा रहा है। इस प्रकार उपभोक्ताओं को अत्यंत सस्ती बिजली देने के साथ साथ कृषि, व्यवसाय एवं उद्योग के लिए भी अच्छी खासी सब्सिडी देकर राज्य के आर्थिक विकास को गति प्रदान की जा रही है।