नहीं रहे पायलट बाबा धाम सासाराम के शिल्पकार महायोगी महामंडलेश्वर पायलट बाबा, सासाराम में सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर बनवाया गया मंदिर है आकर्षण का केंद्र

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डॉ. सुरेन्द्र सागर, आरा (बिहार)
रोहतास जिले के सासाराम में  स्थित पायलट बाबा धाम में सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर विशाल मंदिर की स्थापना करने वाले महायोगी महामंडलेश्वर पायलट बाबा ने मुंबई के एक अस्पताल में शरीर का त्याग कर दिया है. पायलट बाबा के देह त्याग करने की खबर के बाद रोहतास और पुरे देश सहित दुनिया भर में फैले उनके अनुयायियों में शोक की लहर है. पायलट बाबा को अक्सर जमीन के नीचे लंबी समाधि  या मृत्यु जैसी शारीरिक अवस्था में प्रवेश करने के अपने दावे के लिए जाना जाता है.पायलट बाबा  ने  पूरी दुनिया में एक सौ से अधिक समाधि  लगाई है. इनमें से कुछ भू समाधि एवं एयरटाइट ग्लास में समाधि प्रसिद्ध है. विभिन्न देशों में लगाई गई समाधि वैज्ञानिक परीक्षणों पर भी खरी साबित हुई हैं.
बता दें कि  भारतीय वायु सेना में विंग कमांडर रहे पायलट  कपिल सिंह ने 1962 में भारत चीन युद्ध और 1965 एवं 1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध में लड़ाकू पायलट के रूप में जंग लड़ा था. कहा जाता है कि 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान कपिल सिंह भारत के उत्तर-पूर्व में एक मिग विमान उड़ा रहे थे, जिसे एनइएफए के नाम से भी जाना जाता है. युद्ध में अचानक  उनके विमान ने नियंत्रण खो दिया और उनके आधार से रेडियो संपर्क भी टूट गया था.तब उन्हें खोया हुआ मान लिया गया था. कहा जाता है कि  कपिल के आध्यात्मिक गुरु  हरि बाबा  उनके कॉकपिट में प्रकट हुए और अपनी आध्यात्मिक शक्ति से उन्हें अपने लड़ाकू विमान को सुरक्षित रूप से उतारने के लिए निर्देशित किया. यह घटना युवा कपिल के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ बन गई और दस साल बाद  33 वर्ष की आयु में  वह अपने आध्यात्मिक जीवन को आगे बढ़ाने के लिए वायु सेना से सेवानिवृत्त हो गए.बाद में उन्होंने हिमालय की नादा देवी घाटी में एक वर्ष तक तपस्या की थी और आध्यात्मिक शक्ति हासिल कर लिया था. पायलट बाबा के नाम से विश्वविख्यात होने के बाद उन्होंने कई चमत्कार भी दिखाए. साल 2007 में अर्धकुंभ में समाधि लगा कर वे लाखों साधुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बन गए थे.पायलट बाबा को समाधि या अंत्येष्टि द्वारा मृत्यु का अभ्यास करने के लिए जाना जाता था. उन्होंने 1976 से अब तक अपने जीवन में 110 से अधिक बार समाधी का प्रदर्शन किया है.पायलट बाबा का जन्म रोहतास जिले के नोखा प्रखंड में हुआ था. उन्होंने  कई किताबें भी लिखी. उनकी लिखित किताबों में कैलाश मानसरोवर,ज्ञान के मोती,हिमालय के रहस्यों की खोज करें,अंतरयात्रा’ द इनर जर्नी,आप से स्वयं की तीर्थयात्रा,हिमालयन कह रहा है  आदि प्रमुख हैं.पायलट बाबा और उनके अनुयायियों ने सासाराम,हरिद्वार, नैनीताल, उत्तरकाशी समेत कई धार्मिक स्थलों पर मंदिर और आध्यात्मिक ध्यान केंद्र की स्थापना की है.उन्होंने नेपाल और जापान में भी आध्यात्मिक केंद्र की स्थापना की है. उनके लाखों अनुयायी देश और दुनिया भर में फैले हुए हैं. पायलट बाबा धाम सासाराम के सूत्रों ने बताया कि पायलट बाबा को हरिद्वार में समाधी दी जाएगी. देश और दुनिया भर के अनुयायी हरिद्वार के लिए निकल चुके हैं.

बता दें कि सासाराम में पायलट बाबा धाम के उद्घाटन के मौके पर बाबा रामदेव, परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के संस्थापक स्वामी चिंतानंद सरस्वती समेत देश की कई जानी मानी हस्तियाँ शामिल हुई थी.

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