पटना के डीजल चालित स्कूल बसों एवं छोटी स्कूल वाहनों के परिचालन पर प्रतिबंध

देश

एसोसिएशन ऑफ इण्डिपेंडेंट स्कूलस जो सी.बी.एस.ई., आई.सी. एस. सी एवं राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त विद्यालयों का संगठन हैं। संगठन के सदस्यों ने अपना चिन्ता जाहिर किया तथा डीजल चालित स्कूल बसों एवं छोटी स्कूल वाहनों 01.09.2024 से परिचालन पर प्रतिबंध के आदेश से उत्पन्न विद्यालयों की अनेक कठनाईयों को ध्यान में रखते हुए सरकार का ध्यान आकृष्ट कराना चाहती हैं।

इस संगठन के सदस्य विद्यालयों का मत है की राज्य परिवहन विभाग, बिहार द्वारा पटना नगर निगम, दानापुर नगर परिषद, खगौल नगर परिषद तथा फुलवारीशरीफ नगर परिषद क्षेत्र में सभी डीजल चालित स्कूल बसों को सी.एन.जी. चालित वाहन को प्रतिस्थपित करना निधारित समय सीमा यानि 31.08.2024 बहुत ही कम है तथा उनका मान्ना है की उनके साथ भेद-भाव एवं नगर सेवा बस ऑपरेटरों को दी गई 30 प्रतिशत या रू 7,50,000/- ‘बिहार स्वच्छ ईंधन योजना 2023’ के तहत सब्सिडी से वंचित रखा गया हैं जो प्राकृतिक न्याय के विपरित है। यह मसला अत्यंत महत्वपूर्ण है तथा इससे परोक्ष रोप से उत्पन्न सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक दूरगामी प्रभाव को ध्यान में रखते हुए सरकार से त्वरित

एवं पुनः समंजन की अपेक्षा की जाती है। स्मरणीय है की प्रभावित विद्यालय समाज के विभिन्न वर्गों से बड़ी सख्या मे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहें हैं जो कतई तौर पर राष्ट् निमार्ण में बड़ा योगदान है। विद्यालयों की समस्याएं एवं संकट

  • पटना में सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त सी.एन.जी. प्रतिस्थपित केन्द्र एक भी नही हैं। प्रतिस्थपित वाहनो में बच्चों का सुरक्षीत नही हैं।
  • प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ कम्पनी के डीजल चालित स्कूल बसों जैसे स्वराज माज़दा, महेन्द्रा एण्ड महेन्द्रा तकनीकी एवं नियामक कारणें से सी.एन.जी. में प्रतिस्थपित संभव नहीं हैं। विंगर 14-16 सिटर भान को सी.एन.जी. में प्रतिस्थपित संभव नही हैं। केवल टाटा वाहनों को सी.एन.जी. में प्रतिस्थपित किया जा सकता हैं।
  • सी.एन.जी. भरवने वाले पम्प स्टेशन निर्दिष्ट क्षेत्र का अभाव हैं और जो मौजुदा पम्प स्टेशन पर ओटों वाहनों का लम्बी कतारों के कारण मौजुदा स्कूल बसों को घंटों बाद ईंधन भरवानें का मौका मिलता हैं। सी.एन.जी. भरवने वाले पम्प स्टेशन अधिष्ठापन समय की मांग हैं।
  • जो भी मौजुदा सी.एन.जी. पम्प स्टेशन हैं उनका संख्या काफी कम हैं और उनमें कई ऐसे पम्प हैं जिनमें विभिन्न नोजुल उनलब्ध नहीं रहने के कारण विभिन्न कम्पनियों की वाहनों को ईंधन भरवानें के कम में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं। जिन विद्यालयों के पास सी.एन.जी. बस हैं उनको यह दिक्कत का सामना करना पड़ रहा हैं।
  • मिकैनिक, सर्विस स्टेशन एवं तकनीकी विशेषग्यों के अभाव में सी.एन.जी. वाहनों का रख रखाव में काफी परेशानियों को झेलना पड़ता हैं ।स्मरणीय है की प्रभावित विद्यालयों में वर्तमान बसों की संख्या कई वर्षों की बारीक वित्तिय योजना के तहत तथा कई साल की कय का नतीजा हैं। वर्तमान स्थिति हासिल करने के लिए कई वर्ष लग गाएं अधीत एक साथ इतनी वाहनों को सी.एन. जी. चालित वाहन को प्रतिस्थापित करना संभव नहीं है।
  • विशाल वित्तिय बोझ के कारण थोक में बसों का कय व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है।
  • लगभग 1800 से उपर स्कूल बसों का परिचालन पटना के नामित क्षेत्रों में होता हैं जिसमें लगभना अस्सी हजार से ज्यादा बच्चें सफर करते हैं तथा पाँच हजार कार्यरत कर्मचारी जुरें हुएं हैं एवं प्रति दिन सफर करते हैं तथा इस अचानक निषेद से बच्चों के पढ़ाई बसों पर कार्यरत कर्मचारी के रोज़गार पर सीधा असर एवं अपूर्णीय क्षति होनगा क्योंकि विद्यालय प्रबंधन को वैकल्पिक व्यवस्था समय के अभाव के कारण संभव नहीं होगा ।

प्रभाव एवं असर

  • यह के दृष्टिकोण का है कि यदि डिजल स्कूल बसों के परिचालन पर निषेद 01.09. 2024 से लागू किया जाता है तो इसका परिणाम कठोर एवं अपूरणीय होगा।
  • लगभग अस्सी हजार से एक लाख बच्चें एवं इसके 15 प्रतिशत से ज्यादा शिक्षक एवं अन्य कर्मचारी स्कूल द्वारा मुहैया कराया गया वाहन से सफर करते है क्योंकि यह विश्वसनीय, सुरक्षित तथा किफायती हैं। मध्य सत्र होने के कारण वैकलपित व्यवस्था करने में काफी कठनाई होगी। इससे बच्चों के पढ़ाई पर दुरगामी प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता हैं क्योंकि बच्चे को अकेले आने जाने में कठनाई होगी। लगभग सभी विद्यालयों में सितम्बर माह के अर्धवार्षिक परिक्षा की प्रक्रिया पूर्ण कर लिया गया है।
  • इस आदेश से यदि सभी डिजल बसों के परिचालन 01.09.2024 के प्रभाव से लागू होता है तो हजारों कर्मचारी जिसमें वाहन चालक, खलासी एवं रख रखाव कर्मी बेरोजगार हो जाएंगे क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में इन सभी को दुसरें पद पर सृजित करना संभव नहीं होगा ।
  • यदि डीजल चालित स्कूल बसों पर निषेद आदेशानुसार लागू किया जाता है तो इसका असर स्कूल के बच्चों, अभिभावकों एवं कर्मचारियों पर अवसादित एवं उत्तेजित स्थिति उत्पन्न होने से प्रतिकुल सामाजिक प्रभाव हो सकता हैं।

संगठन के विद्यालयों का कार्य योजना एवं मांग

  • एसोसिएशन ऑफ इण्डिपेंडेट स्कूलस बिहार की ओर से एवं विभिन्न विद्यालयों के छात्रों, अभिभावकों एवं कर्मचारियों की ओर से सरकार से मांग करती है कि निहित आदेश को कम से कम तीन वर्षों के लिए आस्थगन रखा जाएं ताकि चरणबद्ध तरीके से सी.एन.जी. चालित वाहन प्रतिस्थापित किया जा सकें और 15 वर्ष पुराने वाहन को एक वर्ष तक चलाने का छूट दी जाएं।
  • नगर सेवा बस ऑपरेटरों को दी गई 30 प्रतिशत या रु 7,50,000/- बिहार स्वच्छ ईंधन योजना 2023 के तहत सब्सिडी प्राकृतिक न्याय के तहत विद्यालया को भी दी जाएं।• सभी स्कूल को वाहनों के खरीद पर नगर सेवा बस ऑपरेटरों को दी गई 30 प्रतिशत या रु 7,50,000/- बिहार स्वच्छ ईंधन योजना 2023 के तहत सब्सिडी प्राकृतिक न्याय के तहत दी जाएं ।
  • सी.एन.जी. भरवने वाले पम्प स्टेशन अधिष्ठापन समय की मांग हैं। जल्द से जल्द सी.एन.जी. पम्प स्टेशन पटना के विभिन्न जगहों पर खोला जाएं ।

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