-मनोज कुमार श्रीवास्तव
महज तीन साल में लगभग 13 लाख से ज्यादा लड़कियां-महिलाएं ऐसे गायब हो गई कि कुछ पता नहीं चला।किसी के माथे पर शिकन तक नहीं है ।ये तो वो आंकड़े हैं जो पुलिस थानों में दर्ज है।ना जाने कितनी लड़कियां-महिलाओं के परिवार वाले थाने तक पहुंच नहीं पाते हैं।आखिर ये लड़कियां-महिलाएं कहाँ गई जमीन खा गई या आसमान निगल गया।इस सवाल का जबाब कौन देगा।
लापता होती महिलाओं-लड़कियों के पीछे एक बड़ी वजह मानव तस्करी है।देश के बड़े शहरों से होकर इन महिलाओं-लड़कियों को अन्य दूसरे देशों तक पहुंचाया जाता है।सेक्स वर्कर और जबरन शादी के लिए तस्करी बड़ी तादाद में होती है।तस्करी की गई लड़कियों को देह व्यापार में धकेला जाता है।एक लड़की को कई बार बेचा जाता है ऐसे में उनको ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है।
महिलाओं-लड़कियों के साथ कोई भी जुर्म तब तक बड़ा नहीं होता जब तक उसमें दूसरे धर्म का एंगल ना हो।पुलिस लापता लड़कियों-महिलाओं की रिपोर्ट तक नहीं लिखती।रिपोर्ट तब लिखा जाता है जब लापता लड़कियों का भाई इसमें लव-जिहाद का एंगल डाल देता है।वो समझ जाता है कि उसकी सुनवाई नहीं होगी।जहां लव-जिहाद डाल देता है पुलिस हरक्कत में आ जाती है।
देश में हो रहे यौन अपराध को रोकने के लिए पुराने कानूनों में संशोधन भी किया गया और उसे कठोर भी बनाया गया है।इसके अलावा देश में 12 साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ बलात्कार की घटना से दोषी को मृत्युदंड सहित कई कठोर दण्डात्मक प्रावधान भी तय किए गए हैं।सरकार ने आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली शुरू की है जो सभी आपात स्थितिओं के लिए एक पैन इंडिया कार्यक्रम है।
भारत में महिलाओं-लड़कियों की सुरक्षा को लेकर कई कानूनों के बनाये जाने के बाद भी देश में लड़कियों-महिलाओं की स्थिति में कोई खास सुधार नहीं आया है।देश में बेटियों की सुरक्षा हमेशा से ही गम्भीर मुद्दा रहा है।इसके लिए कई कानून बनाये गए हैं बावजूद देश में लड़कियों के लापता होने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।
पिछले साल संसद में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा आंकड़ा पेश किया गया था जिसके अनुसार भारत में 2019 से 2021 के बीच 13.13 लाख से ज्यादा लड़कियां और महिलाएं लापता हुई है।अब ये लड़कियां या महिलाएं कहां गई,इनके साथ क्या हुआ, इसके बारे में किसी को कुछ भी नहीं पता। लापता लड़कियों में 18 साल से कम और उससे अधिक दोनों उम्र की महिलाएं शामिल हैं।लापता लड़कियों की उम्र 18 से कम है तो वहीं 10,61,648 महिलाएं 18 से अधिक की हैं।
न्यूज एजेंसी के अनुसार संसद में जिस डाटा को पेश करते हुए महिलाओं के लापता होने का मुद्दा उठाया गया था वह डाटा राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो(NCRB) का है।NCRB के आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा महिलाएं मध्यप्रदेश उसके बाद बंगाल से लापता हुई है।इन राज्यों के अलावा राजधानी दिल्ली से भी लड़कियों-महिलाओं के गायब होने के कई मामले सामने आए हैं।
भारत में लड़कियों-महिलाएं आज से पहले भी यौन अपराधियों शिकार बनती रही है और आज भी हालात ऐसे ही हैं।देश में छेड़-छाड़,अपहरण और दुष्कर्म जैसे मामले रुकने का नाम नहीं ले रहा है बल्कि दिनों दिन इसमें वृद्धि होते जा रही है। देश में हर दिन करीब 86 रेप होते हैं। देश में महिलाओं-लड़कियों की सुरक्षा को लेकर हर महिला और लड़कियों को कुछ कानूनों के बारे में जानना बेहद जरूरी है।जैसे-राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, महिला सुरक्षा कानून, पॉक्सो एक्ट कानून, दहेज अधिनियम, समान पारिश्रमिक अधिनियम आदि।