डॉ. सुरेन्द्र सागर, आरा (बिहार)
देश के अलग अलग प्रदेशों मे अलग अलग उपनामों से जाने जाने वाले भगवान श्री चित्रगुप्त के वंशजो को राष्ट्रीय स्तर पर एकसूत्र में बाँधने को लेकर कायस्थ समाज के सबसे बड़े नेता और भारत की संसद में राज्यसभा के पूर्व सांसद के तौर पर समाज को गौरव दिलाने वाले डॉ. आरके सिन्हा कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी की जन जागरण यात्रा पर निकल चुके हैं. पिछले एक दशक से कायस्थ समाज के विकास और उत्थान के लिए तय किये हुए चुनिंदा एजेंडो पर सफलतापूर्वक कार्य कर हजारों हजार कायस्थ परिवारों की जिंदगी में खुशियां बिखेरने वाला संगत पंगत अभियान अब जन जागरण का स्वरुप ले चुका है. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में बीते 23 -24 सितंबर को सम्पन्न हुए राष्ट्रीय संगत पंगत के आयोजन के बाद संगत पंगत के प्रेरणा स्रोत डॉ. आरके सिन्हा ने राष्ट्रीय संगत पंगत जनजागरण रथ यात्रा की शुरुआत कर दी है. राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर दो अक्टूबर को देश की राजधानी दिल्ली से उड़ान भरकर लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बाबतपुर बनारस उतरे पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. आरके सिन्हा ने राष्ट्रीय संगत पंगत जनजागरण रथ यात्रा का शंखनाद कर दिया है. बनारस में हजारों समर्थकों एवं कायस्थ नेताओं ने गाजे बाजे के बीच पुष्प वर्षा कर हवाई अड्डे पर डॉ. सिन्हा का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया. इस दौरान आरके सिन्हा जिंदाबाद के गगनभेदी नारों से बनारस एयरपोर्ट गूंज उठा. एयर पोर्ट से बाहर आने के साथ ही डॉ. आरके सिन्हा राष्ट्रीय संगत पंगत जन जागरण रथ पर सवार हुए और सीधे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की प्रतिमा को नमन करने बनारस के राम नगर पहुँच गए. सबसे पहले उन्होंने शास्त्री जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया.फिर उन्हें नमन करते हुए उनकी सादगी पूर्ण जिंदगी के बीच देश के प्रधानमंत्री बनने तक के सफर की चर्चा की.
रामनगर में मौजूद हजारों हजार कायस्थ समाज के अग्रणी पंक्ति के नेताओं को सम्बोधित करते हुए डॉ.आरके सिन्हा ने लाल बहादुर शास्त्री जी को कायस्थ कुल का प्रकाश पुंज बताते हुए उनके आदर्शो को अपनाने और उनके पद चिन्हो पर चलकर भारत की राजनीति में एक बार फिर कायस्थ समाज का परचम लहराने की बात कही. उन्होंने कहा कि इसके लिए कायस्थ समाज को राष्ट्रीय क्षितिज पर अपनी एकता का प्रदर्शन करना होगा और राष्ट्रीय संगत पंगत जन जागरण रथ यात्रा इस अभियान में मिल का पत्थर बनेगा. राष्ट्रीय संगत पंगत जन जागरण रथ यात्रा का पहला चरण शास्त्री जी की यादों और स्मृतियों से जुड़े स्थल राम नगर में पूरा हुआ.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय संगत पंगत जन जागरण रथ यात्रा पूरे देश में पहुंचेगी. कश्मीर से कन्याकुमारी और महाराष्ट्र से पश्चिम बंगाल तक फैले प्रदेशों में विभिन्न उपनामों से जाने जाने वाले कायस्थ समाज को एक सूत्र में बांधेगी और भगवान चित्रगुप्त के वंशजों को एक मंच पर लाकर चित्रांश समाज के गौरवशाली अतीत को वर्तमान में बदलने में कामयाबी का झंडा लहराएगी. फिलहाल इस जन जागरण रथ यात्रा का न्यूनतम एक साल का कार्यक्रम तय किया गया है जिसे बाद में विस्तारित किया जायेगा.
देश में दस करोड़ कायस्थों का है महापरिवार, समाज को एक सूत्र में बाँधने निकल पड़ी है राष्ट्रीय संगत पंगत जन जागरण रथ यात्रा
डॉ. सुरेन्द्र सागर, आरा (बिहार)
भारत के विभिन्न प्रांतो में कायस्थ महापरिवार के सदस्यों को अलग अलग नाम और टाइटल से जाना जाता है.
दस करोड का कायस्थ महापरिवार आज भारत के कोने-कोने में विभिन्न नामों से जाना जाता है.समय के साथ देश के विभिन्न प्रान्तों में देश और काल की परिस्थिति के अनुसार विशेष परिस्थितियों में नामों में परिवर्तन तो हुआ है परन्तु सभी कायस्थ या चित्रांश अपने को भगवान श्री चित्रगुप्त जी की संतान ही मानते है.
देश के विभिन्न राज्यों में कायस्थ जाति के लोगों के अलग अलग टाइटल और उपनाम है.
उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखण्ड और छत्तीसगढ़ में कायस्थ जाति को श्रीवास्तव, सूरजध्वज, अष्ठाना, बाल्मीकि, माथुर, गौड, भटनागर, सक्सेना, अम्बष्ठ, निगम, कर्ण और कुन श्रेष्ठ के नाम से जाना जाता है. पश्चिम बंगाल में बोस(वसु), संन, कार, दास, पालित, दत्त, सेनगुप्त, चन्द्र, भद्रधर, नन्दी, घोष, मल्लिक (मलिक), दासमुंशी, डे, मुंशी, पाल, र (राय), गुहा, वैद्य, नाग, करणादि, कुंद, सोम, सिन्हा, रक्षित, मित्रा, नन्दन, विश्वास, सरकार, चौधरी, बर्मन, गुप्त, मृत्युंजय, दत्ता, कुन्डू मित्र, धर, शर्मन, भद्र, अम्हा, पुरकायस्थ, मजूमदार के नाम से जाना जाता है.उड़ीसा में पटनायक, कानूनगो, दास, बोहियार, मोहन्ती, पाटस्कर के नाम से कायस्थ जाति को जाना जाता है. त्रिपुरा में देव, असम में बरूआ, पुरकायस्थ, वैद्य, कलित, गुजरात में चन्द्रसेनी कायस्थ, प्रभु, मेहता, बल्लभ जी, वाल्मीकि, बल्लभी, सूरजध्वज कायस्थ जाति का ही उपनाम है. दक्षिण भारत में मुदालियार, नायडू, पिल्ले (पिल्लई), रेडडी, लाल, कार्णिक, रमन, राव, रढडा, करनाम, लाल नामों से कायस्थ समाज को जाना जाता है. गोवा दमन एवं दीव में कायस्थ दवणे, कोकेण, पठारे आदि नामों से जाने जाते हैं. सिंध प्रान्त में कायस्थ को आलिम, फाजिल, कामिल, आडवानी, मलकानी नामों से जाना जाता है जबकि पंजाब में कायस्थ जाति को गोविल, लहरी, हजेला, रायजादा, विद्यार्थी, चौधरी, जौहरी, रावत, विसारिया, सिन्हा, नागपाल, कांडपाल, कश्यप, बख्शी, दत्त, मित्र, राय आदि नामों से जाना जाता है. राजस्थान में गौड, पंचौली, भैया, गुत्तू, सर्भन, फुत्तू, सम्भव, शास्त्री, प्रसाद नामों से कायस्थ जाने जाते हैं. तमिलनाडु में तामिल, कनारा, कायस्थ, तेलगुदेशम में तेलगू, कायस्थ नाम से जाने जाने वाले लोग कायस्थ हैं. महाराष्ट्र में कायस्थ जाति के सदस्य ठाकरे, पठारे, पाठेकर, चन्द्रसेनी, कारखानीरा, फरणीस, पोलनीस, वनीस, हजीरनीश, मौकासी, चिटणवीस, कोटनिस, प्रभु, चित्रे, गुप्ते, मथरे, देशपाण्डे, करोडे, दोदे, तम्हणे, दिघे, सुले, राजे, सांग्ले, मोहिते, तुंगारे, फर्णसे, आपटे, घडदिये, गडकारी, कुलकर्णी, श्रौफ, शांगलू(भांगले), जयवन्त, समर्थ, दलवी, देशमुख, चौवाल, वमन राजे, त्रिवंकराजे, अधिकारी, जयवंश, गडकर, दवेलकर, वोमनकर, कुलवाकर, औतारवार, खरूलकर, विडवालकर, मेढकर, खाडिलकर समर्थ आदि नामों से जाने जाते हैं.
करीब दस करोड़ कायस्थ महापरिवार आज देश के अलग अलग राज्यों में निवास करता है और इन परिवारों को एक सूत्र में बाँधने संगत पंगत के प्रेरणा स्रोत डॉ. आरके सिन्हा राष्ट्र व्यापी जन जागरण यात्रा पर निकल चुके हैं. अलग अलग चरणों में उनकी यह जन जागरण रथ यात्रा अलग अलग राज्यों में पहुंचेगी जहां समाज की बातें समाज के लोगों के बीच होगी और फिर उन्हें एक सूत्र में पिरोकर व्यापक स्वरुप देने का कार्य होगा.
बनारस के रामनगर में राष्ट्रीय संगत पंगत जन जागरण यात्रा के दौरान पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. आरके सिन्हा के साथ संगत पंगत के यूपी के लखनऊ के प्रतिनिधि मनोज लाल, बनारस के संगत पंगत के प्रतिनिधि रत्नेश श्रीवास्तव, बिहार के संगत पंगत के प्रतिनिधि अरविंद सिन्हा सहित बनारस और यूपी के हजारों लोग शामिल थे. यात्रा के दौरान पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. आरके सिन्हा ने वृक्षारोपण भी किया और प्रकृति एवं पर्यावरण को संरक्षित रखने का सन्देश भी दिया.