डुमरांव (बक्सर): महारानी उषा रानी बालिका उच्च विद्यालय में अवर न्यायाधीश सह सचिव नेहा दयाल द्वारा मिथिला पेंटिंग में विजेता पांच छात्राओं को पुरस्कार वितरण किया गया।यह कार्यक्रम जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष आनन्द नन्दन सिंह के मार्गदर्शन में पैनल अधिवक्ता मनोज कुमार श्रीवास्तव एवं पीएलवी अनिशा भारती द्वारा किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य सचिन्द्र तिवारी एवं मंच संचालन मनोज कुमार श्रीवास्तव ने किया।मौके पर डालसा कर्मी सुमित कुमार, प्राचार्या पुष्पा कुमारी,,पूर्व प्राचार्य तेज नारायण पांडेय, सुनील कुमार, विशाल जायसवाल के अलावे अन्य लोग भी मौजूद रहे। विजेता छात्राओं में प्रथम अंजनी कुमारी,द्वितीय रंजनी कुमारी,तृतीय खुशी ,चतुर्थ नेहा कुमारी और पांचवे स्थान पर राधा कुमारी रही।
अवर न्यायाधीश सह सचिव नेहा दयाल ने छात्राओं को सम्बोधित करते हुए बताया कि कानून आप सबके लिए है।आप सभी अपने हक,अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए।अपनी पढ़ाई को खूब करें तथा जीवन पथ पर अग्रसर हों।किसी भी तरह की जानकारी आप लोग लोक अदालत में ले सकती हैं।छात्राओं में जोश खरोश देखा गया।सभी ने कहा कि आज मैडम से बहुत कुछ सीखने का मौका मिला।
मानसिक बीमारी आज के भागदौड़ से भरे जीवन की एक कड़वी सच्चाई है।इस बीमारी की सबसे हैरान करने वाली बात है इससे इनकार करना या इसे लेकर जागरूकता की घोर कमी।दरअसल हमर यहाँ ऐसी मानसिकता निर्मित हो गई है कि मानसिक बीमारी को हम शर्मिंदगी से जोड़ कर देखते हैं जबकि इस चक्कर में न जाने कितना नुकसान हो जाता है।कि लोग तो इसके लक्षणों को भी नहीं जानते हैं जिससे कि इस कि पहचान करके इसका इलाज करा सके।
मानसिक विकार या बीमारियां ऐसी स्थितियांहैं जो अपनी सोंच,भावना,मनोदशा और व्यवहार को प्रभावित करती हैं।वे थोड़े समय में हो सकते हैं या आते-जाते रहते हैं।वे दूसरों से सम्बंध बनाने और हर दिन काम करने की आपकी क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं।मानसिक बीमारी आम बात है।ये की तरह के होते हैं जैसे चिंता,अवसाद,भोजन,व्यक्तित्व, मनोविकृति आदि।मनोभ्रंस वेग जुनूनी बाध्यकारी, आनुवंशिकता,तनाव,नशीली दवाओं का दुरुपयोग, उदासी की भावना, पागलपन, सेक्स ड्राइव आदि।
मानसिक स्वास्थ्य का मतलब है कि लोग कैसे सोंचते,महसूस और व्यवहार करते हैं।मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर लोगों को अवसाद,चिंता,लत और अन्य विकारों जैसी स्थितियों का प्रबंधन करने में मदद कर सकते हैं जो उनके विचारों, भावनाओं और व्यवहारों को भी प्रभावित करते हैं।
मानसिक रोग के लक्षणों के प्रगट होने पर मानसिक स्वास्थ्य चिंताओं के बारे में बात करने के लिए डॉक्टर या मनोचिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।यदि सम्भव हो तो परिवार या दोस्तों का सहारा जरूर लें या फिर कोई भी व्यक्ति जो आपको लम्बे समय से जनता है और वह व्यक्ति डॉक्टर के साथ आपकी महत्वपूर्ण जानकारी साझा करने में सक्षम हो। प्राचार्य द्वारा जज साहिबा को बुके देकर सम्मानित किया गया।