डॉ. सुरेन्द्र सागर, आरा (बिहार)
चौथे चरण का संगत पंगत राष्ट्रीय जन जागरण रथ यात्रा रविवार को बिहार निर्माता और संविधान सभा के प्रथम अध्यक्ष डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा के गांव मुरार पहुंचा. बक्सर जिले के मुरार में रथ यात्रा के पहुँचते ही डॉ. आरके सिन्हा जिंदाबाद के नारों से पूरा गांव और इलाका गूंज उठा. सैकड़ो की संख्या में मुरार और आसपास के ग्रामीणों ने पूर्व सांसद आरके सिन्हा का गर्मजोशी से स्वागत किया.
मुरार गांव के उच्च विद्यालय परिसर में आयोजित बिहार निर्माता डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा के जयंती समारोह में पहुंचकर सबसे पहले डॉ. आरके सिन्हा ने बिहार निर्माता डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और उन्हें श्रद्धापूर्वक याद करते हुए नमन किया.इस दौरान मुरार में संगत पंगत जन जागरण यात्रा में चल रही पूरी टीम को सम्मानित किया गया.
मुरार में आयोजित बिहार निर्माता एवं संविधान सभा के पहले अध्यक्ष डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. आरके सिन्हा ने उन्हें बिहार की धरती का महान सपूत बताया और कहा कि जब बिहार बंगाल का अंग था तब भी उन्होंने गर्व के साथ अपने गांव का नाम मुरार और राज्य का नाम बिहार बताया था. पूर्व सांसद डॉ. सिन्हा ने कहा कि हम हिन्दू हैं और हमारी एक ही जाति है और वह है हिन्दू. अलग अलग वर्ण हो सकता है लेकिन हमारी जड़े सनातन से जुड़ी हुई है. ब्रम्हा के अलग अलग अंगों से अलग अलग वर्णों की उत्पत्ति की बात बताते हुए उन्होंने कहा कि डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा भगवान श्री चित्रगुप्त के वंशज थे और भगवान श्री चित्रगुप्त की उत्पत्ति ब्रम्हा के क्लोन यानि काया से हुआ था. चित्रांश समाज सबको साथ लेकर चलने की बात करता है.उन्होंने कहा कि जिस चित्रगुप्त भगवान के वंशज के रूप में डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा चित्रांश समाज से आते हैं उस ब्रम्हा के काया यानि क्लोन से चित्रगुप्त भगवान की उत्पत्ति हुई जबकि ब्रम्हा के ही अलग अलग अंगों से क्षत्रिय, ब्राम्हण, वैश्य और शूद्र भी पैदा हुए.इसीलिए सब तो एक ही हैं. उन्होंने कहा कि डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा प्रसिद्ध सांसद, शिक्षाविद, अधिवक्ता तथा पत्रकार थे. वे भारत की संविधान सभा के प्रथम अध्यक्ष थे.बिहार को बंगाल से पृथक राज्य के रूप में स्थापित करने वाले लोगों में सच्चिदानन्द सिन्हा का नाम सबसे आगे है. सन 1910 के चुनाव में चार महाराजों को परास्त कर डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा केन्द्रीय विधान परिषद में प्रतिनिधि निर्वाचित हुए थे. वह प्रथम भारतीय थे जिन्हें एक प्रान्त का राज्यपाल और हाउस ऑफ् लार्डस का सदस्य बनने का श्रेय प्राप्त है. यह न सिर्फ मुरार गांव और बिहार के लिए गौरव की बात है बल्कि पूरे देश को डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा पर गर्व है.डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा जैसी महान विभूति की ख्याति विश्व पटल पर छायी हुई थी. उनकी जयंती पर न सिर्फ मुरार और बक्सर बल्कि शाहाबाद, बिहार और सम्पूर्ण देश में समारोहों का आयोजन होना चाहिए.
बिहार और देश के निर्माण में डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा का अमूल्य योगदान –
पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. आरके सिन्हा ने संविधान सभा के प्रथम अध्यक्ष डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा के बिहार और देश के निर्माण में अमूल्य योगदान को स्मरण करते हुए
कहा कि उनके द्वारा दिए गए समाज और राष्ट्र के प्रति सेवा भाव को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का संकल्प हम अभी को लेना चाहिए.उन्होंने इस अवसर पर बक्सर वासियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह संगत पंगत राष्ट्रीय जन जागरण यात्रा न केवल हमारे ऐतिहासिक महानायकों के प्रति आदर व्यक्त करने का प्रयास है, बल्कि हमारे युवाओं में देशभक्ति, एकता, और समाज सेवा की भावना जाग्रत करने का भी एक मंच है.
उन्होंने कहा कि आइए, हम सब मिलकर डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा जी की शिक्षाओं को आगे बढ़ाएं और इस जागरूकता यात्रा का हिस्सा बनें.
स्थानीय लोगों ने पटना विश्वविद्यालय का नाम डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा के नाम पर करने, मुरार में स्टेडियम बनाने और उसमें उनकी आदमकद प्रतिमा लगाने, मुरार उच्च विद्यालय का नामकरण डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा के नाम पर करने सहित कई मांगे डॉ. आरके सिन्हा के समक्ष रखी जिसपर डॉ. सिन्हा ने उन्हें इस सम्बन्ध में उचित प्लेटफार्म पर बात रखने और मांगो को पूरा करने की दिशा में पहल करने का आश्वासन दिया.
डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा की जयंती समारोह की अध्यक्षता जिला परिषद सदस्य बंटी शाही ने किया जबकि बहुत ही बेहतरीन संचालन दूरदर्शन की एंकर और रेडियो जॉकी श्वेता सुरभि ने किया.
समारोह में प्रदीप राय, सतीश राजू, रत्नेश श्रीवास्तव, स्थानीय मुखिया सहित सैकड़ो स्थानीय लोग शामिल थे.