
डॉ. सुरेन्द्र सागर, आरा कार्यालय
झारखण्ड के गुमला जैसे जनजातीय इलाकों में एनीमिया और कुपोषण जैसी गंभीर बिमारियों से जूझ रहे आदिवासी समुदाय के लोगों की जिंदगी में बड़े बदलाव लाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों सम्मानित होने वाले 2014 बैच के आईएएस अधिकारी सुशांत गौरव रविवार को अपने पैतृक गांव फरना पहुंचे तो गांव के लोगों के बीच खुशी की लहर दौड़ पड़ी. मूल रूप से बिहार के भोजपुर जिले के बड़हरा प्रखंड स्थित फरना गांव निवासी सुशांत गौरव झारखण्ड कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. वे सिमडेगा और गुमला के डिप्टी कमिश्नर के साथ साथ झारखण्ड के खेल और उद्योग निदेशक भी रह चुके हैं.गरीबी और कुपोषण से जूझ रहे गुमला के जनजातीय लोगों खासकर महिलाओं के बीच पानी की अधिक खपत से होने वाली धान की खेती के बजाय उन्हें रागी की खेती की तरफ आगे लाने और उन्हें उनके रागी आधारित उत्पादों का झारखण्ड के भीतर और बाहर बाजार उपलब्ध कराने की दिशा में उत्कृष्ट कार्य कर पूरे देश में अपनी अलग पहचान बनाने वाले सुशांत गौरव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब सम्मानित किया था तब फरना गांव और आसपास के गाँवों के नागरिकों ने अपनी मिट्टी के लाल सुशांत गौरव पर गर्व करते हुए कहा था. पीएम मोदी के हाथों सम्मानित होते देख उनका सीना चौड़ा हो गया है.

सुशांत गौरव ने न सिर्फ डिप्टी कमिश्नर रहते गुमला की 5500 महिलाओं का समूह बनाकर उन्हें रागी की खेती के लिए प्रशिक्षित किया और उन्हें.आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाकर पीएम मोदी के महिला सशक्तिकरण के सपने को साकार किया बल्कि गुमला के तीस हजार किसानो को तीस हजार एकड़ भूमि पर रागी की खेती के लिए आगे लाकर एनीमिया और कुपोषण जैसी बिमारियों से आजाद कराने की दिशा में ऐतिहासिक पहल की. झारखण्ड की राजधानी रांची से एक सौ किलोमीटर दूर गरीबी की जिंदगी जी रही महिलाओं और किसानो को अधिक पानी की खपत वाले धान की खेती के बजाय रागी की खेती के लिए प्रेरित कर मात्र 18 महिने में गुमला को रागी कैपिटल ऑफ इण्डिया बना देने वाले सुशांत गौरव जब अपने गांव पहुंचे तो ग्रामीणों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई.

वे फरना गांव में अपने घर आयोजित पारिवारिक पूजा – पाठ समारोह में शामिल हुए. गांव में उनके परिवार के सदस्य काफी संख्या में मौजूद थे. इस दौरान सुशांत गौरव प्रशासनिक ताम झाम और दिखावे से दूर बिल्कुल सामान्य ढंग से एक दो लोगों को साथ लेकर अपने गांव के बाग बगीचों और खेत खलिहानों में घूमने निकल गए.

फरना गांव की पहचान -भव्य माँ काली मंदिर,श्री श्री जगत माता काली धाम फरना –
सुशांत गौरव ने गांव के लोगों से खूब की बातें, खेतों मे काम कर रहे युवकों ने दिखाई लहलहाती गेहूं और सरसों की फसलें –

सुशांत गौरव रविवार की शाम प्रशासनिक व्यस्तताओं से दूर बिल्कुल सुकून भरी जिंदगी के बीच अपने गांव की पगडंडियों पर चलकर बाग बगीचों और खेत खलिहानों में घूमते रहे और उनका यहीं अंदाज गांव के लोगों को बहुत पसंद आया. लोग अपने गांव के बेटे को देख खुशी से झूम उठे थे. कई लोगों ने कहा -काश सुशांत ऐसे ही समय समय पर गांव आते. झारखण्ड कैडर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी होने के बावजूद अपने गांव में डीएम होने का तनिक भी अहसास न कराने वाले सुशांत गौरव की गांव यात्रा लोगों के बीच चर्चा में है. अपने गांव के लाल सुशांत गौरव के मृदुभाषी स्वभाव, अपनापन और कुशल प्रशासनिक क्षमता की प्रशंसा करते लोग थकते नहीं हैं.