नीतीश-RCP-ललन की बंद कमरे में मुलाकात, आखिर निर्णय पर चुप्पी क्यों?

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पटनाः बिहार की सियासत में बढ़ती तपीश कम होने का नाम नहीं ले रही है। एक तरफ नीतीश-ललन और आरसीपी सिंह की करीब 45 मिनट मुलाकात होती है, बावजूद इसके नतीजा पर अभी विराम लगा हुआ है। पहले तो सस्पेंस था फिर अचानक केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात करने एक अणे मार्ग पहुंच गए। मुलाकात के बीच में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह भी आ धमके। सबसे खास बात यह रही कि बैठक खत्म होने के बाद नीतीश कुमार और ललन सिंह एक गाड़ी से और आरसीपी सिंह अकेले दूसरी गाड़ी से निकल गए।
आरसीपी सिंह से मामले पर प्रतिक्रिया लेने का प्रयास किया गया मगर आरसीपी सिंह बिना कुछ बोले ही तेजी से निकल गए। बंद कमरे में हुई इस मुलाकात के बाद इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि क्या जदयू की ओर से आरसीपी सिंह को राज्यसभा भेजे जाने का रास्ता साफ हो गया है या फिर क्या उनका पत्ता कट गया है।
मुख्यमंत्री-आरसीपी सिंह की मुलाकात में राज्यसभा की उम्मीदवारी के बारे में उन्हें दल के स्टैंड से अवगत तो करा दिया गया। मगर खबर है कि नीतीश कुमार से मिलने के पूर्व आरसीपी सिंह ने पार्टी के कुछ लोगों को कहा है कि अब दल को यह तय करना है कि पार्टी के लिए उन्होंने क्या काम किए हैं।
ज्ञात हो कि 10 जून को बिहार की राज्यसभा की 5 सीटों के लिए चुनाव होने वाले हैं। समीकरण के नजरिये से 2 सीट भाजपा को, 1 सीट जदयू को और 2 सीट राजद को मिलना तय माना जा रहा है। शरद यादव की सीट पहले से खाली है, वहीं आरसीपी सिंह का कार्यकाल जुलाई में पूरा हो रहा है। इसके अलावा आरजेडी की मीसा भारती का भी कार्यकाल जुलाई में पूरा हो रहा है। जबकि, भाजपा के गोपाल नारायण सिंह और सतीश चंद्र दुबे का भी कार्यकाल जुलाई में पूरा हो रहा है। ऱाजद की ओर से राज्यसभा प्रत्याशी के नाम की घोषणा के बाद ऐसा माना जा रहा है कि जल्दी ही जदयू भी अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर देगा. यहां यह भी बता दें कि कुछ दिन पहले ही ही जदयू के विधायकों व मंत्रियों की बैठक में प्रत्याशी का नाम चयन किए जाने को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अधिकृत किया गया था। इसके बाद जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भी यही बात दोहराई थी कि प्रत्याशी का नाम पर नीतीश कुमार ही निर्णय लेंगे। अब ऐसे में देखने वाली बात ये है कि नीतीश अपना कैंडिडेट आरसीपी को बनाते हैं या फिर एनडीए की सारी मर्यादाओं को लांघते हुए आरसीपी के बहाने कहीं ऐसा तो नहीं दूसरे सियासी दांव के फिराक में आरसीपी को बलि का बकरा बना रहे हैं। मगर एक बात याद रखना होगा नीतीश जी को भी आरसीपी भाजपा के प्रिय पात्रों में शामिल हो चुके हैं।

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