5 जून को जेपी ने कहा था: जात-पात तोड़ दो, तिलक-दहेज छोड़ दो

आलेख

-प्रो.रणवीर

जात-पात तोड़ दो, तिलक-दहेज छोड़ दो।
समाज के प्रवाह को नई दिशा में मोड़ दो।


5 जून 1974 को ऐतिहासिक गांधी मैदान की रैली के मंच से लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने यह नारा दिया तो यह जन-जन की आवाज बन गया। युवाओं ने जनेऊ तोड़ दिए। गांधी परंपरा के शब्द समग्र क्रांति को संपूर्ण क्रांति में परिवर्तित कर जेपी ने समाज को एक नई दिशा दे दी। वे कहते थे, संपूर्ण क्रांति से मेरा मतलब समाज के सबसे अधिक दबे-कुचले व्यक्ति को सत्ता के शिखर पर देखना है। आज के समय में माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी बिहार की सत्ता पर हैं। वे किसी भी राजनीतिक घराने से ताल्लुक नहीं रखते हैं। एक सामान्य परिवार से आने वाले जब सत्ता के शिखर तक पहुंचते हैं तो संपूर्ण क्रांति का लक्ष्य पाया जाता दिखता है। निश्चित तौर पर समाज को नई दिशा देने में जेपी के इस योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। समाज के सबसे अंतिम व्यक्ति को भी विकास में साझीदार बनाने का उनका मंत्र हम सबके लिए काम करने की प्रेरणा है। इसे हम भूल नहीं सकते हैं। संपूर्ण क्रांति के लक्ष्य को हासिल करने का प्रयास हमेशा जारी रहेगा।

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