भारतीय राजनीति का काला अध्याय इंदिरा की ‘इमरजेंसी’

आलेख

इंदिरा की 25 जून को लगायी गई इमरजेंसी, “भारतीय राजनीति के लिए काला अध्याय”

(मुरली मनोहर श्रीवास्तव)

46 साल पहले 25 जून और 26 जून की मध्य रात्रि में तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के हस्ताक्षर करने के साथ ही देश में पहला आपातकाल लागू हो गया था। 25 जून 1975, भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में इस दिन को देश के सबसे दुर्भाग्यपूर्ण दिन की संज्ञा दी जाती है।सही उत्तर तीन बार है। स्वतंत्रता के बाद से भारत में तीन बार आपातकाल की स्थिति घोषित की गई है। 26 अक्टूबर 1962 से 10 जनवरी 1968 के बीच भारत-चीन युद्ध के दौरान आपातकाल लागू किया गया था, यह वह समय था जब “भारत की सुरक्षा” को “बाहरी आक्रमण से खतरा” घोषित किया गया था।25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक का 21 महीने की अवधि में भारत में आपातकाल घोषित था। तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की अनुच्छेद 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा कर दी।

इसी दिन गुजरात में चिमनभाई पटेल के विरुद्ध विपक्षी जनता मोर्चे को भारी विजय मिली। इस दोहरी चोट से इंदिरा गांधी बौखला गईं। इन्दिरा गांधी ने अदालत के इस निर्णय को मानने से इनकार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने की घोषणा की और 26 जून को आपातकाल लागू करने की घोषणा कर दी गई।जीवन की आवश्यकता वस्तुएँ जैसे की अनाज, खाद्य तेल आदि की कीमतें बहुत बढ़ी हुई थीं, जिनके कारण आम आदमी को बड़े संकट का सामना करना पड़ रहा था। बढ़ी हुई कीमत तथा प्रशासन में फैले भ्रष्टाचार के विरुद्ध गुजरात में छात्रों ने राज्य व्यापी आंदोलन छेड़ दिया और इनकी अगुवाई सभी विपक्षी दल कर रहे थे।

1965 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध की। बाहरी आक्रामकता: – पाकिस्तान के हमले के मद्देनजर 1971 में राष्ट्रीय आपातकाल की दूसरी घोषणा की गई थी। जब यह आपातकाल लागू था, तब भी राष्ट्रीय आपातकाल का तीसरा उद्घोषणा जून 1975 में किया गया था।

आपातकाल यानि विपत्ति या संकट का काल. भारतीय संविधान में आपातकाल एक ऐसा प्रावधान है. जिसका इस्तेमाल तब होता है जब देश पर किसी आंतरिक, बाहरी या आर्थिक रूप से किसी तरह के खतरे की आशंका होती है. आपातकाल वो अवधि है जिसमें सत्ता की पूरी कमान प्रधानमंत्री के हाथ में आ जाती है. वैसे तो भारतीय संविधान में 3 तरह के आपातकाल की व्यवस्था है जिसके अंतर्गत सशस्त्र विद्रोह या बाहरी आक्रमण होने और वित्तीय संकट की स्थिति में आपातकाल की घोषणा की जा सकती है। अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल जबकि अनुच्छेद 356 के तहत राज्यों में आपातकाल लगाने का प्रावधान है।युद्ध या बाहरी आक्रमण या क्षेत्र के अन्तर्गत सशस्त्र विद्रोह के कारण विकट समस्या हो सकती है। तब ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर राष्ट्रपति मन्त्रिमण्डल की लिखित अनुशंसा पर आपातकाल की घोषणा कर सकता है।सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, आजादी के बाद पंजाब वह राज्य था, जहां राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। कांग्रेस में फूट की वजह से यहां 20 जून 1951 से 17 अप्रैल 1952 के बीच राष्ट्रपति शासन लगाया गया। आपातकाल के बाद 24 मार्च 1977 को मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने।भारत में आपातकाल का सिध्दांत जर्मनी के संविधान से लिया गया है। यह संविधान के भाग 18 में है। इसके अनुसार जब आंतरिक अथवा बाह्य कारणों से देश की सुरक्षा को खतरा हो तो राष्ट्रपति पूरा देश अपने हाथ में ले सकता है।

भारत के राष्ट्रपति के पास तीन प्रकार के आपात अधिकार हैं: प्रथम-युद्ध के समय आपात स्थिति लागू कर सकता है। द्वितीय-बाह्य आक्रमण के समय तृतीय-शसस्त्र विद्रोह के समय अनुच्छेद -358 की व्यवस्थानुसार अनुच्छेद -352 के अंतर्गत प्रथम दो आधारों युद्ध या बाह्य आक्रमण के आधार पर मूलाधिकारों की भी समाप्ति होती है।तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1975 में आपातकाल लागू करने के बाद संविधान में 42वां संशोधन संसद और राज्य की विधानसभा का कार्यकाल छह साल का कर दिया था. शेख मोहम्मद अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे. हालांकि कांग्रेस के सहयोग से मुख्यमंत्री बने हुए थे. भारत के संविधान में कुल 3 तरह का आपातकाल अनुच्छेद 352, अनुच्छेद 356 और अनुच्छेद 360 के तहत लगाया जा सकता है जिसमें कि अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल है जो कि अब तक प्रयोग में नहीं लाया गया है।

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