
आरा कार्यालय
नव निर्वाचित सचिव डॉ. अजय कुमार सिंह के सचिव के पद पर निर्वाचन को विश्वविद्यालय द्वारा अनुमोदन किये जाने के बाद शिक्षकों, कर्मचारियों एवं कॉलेज शासी निकाय से जुड़े पदाधिकारियों में खुशी की लहर है.
कॉलेज की प्राचार्या प्रो.डॉ. सुनीता राय, शिक्षक प्रतिनिधि प्रो. डॉ. सियामती राय, प्रो. डॉ. उर्मिला सिंह, प्रो. डॉ. इन्द्राणी सिंह, प्रो. डॉ. निभा परमार, प्रो. डॉ. कल्याणी सिंह, प्रो. डॉ. रागिनी कुमारी, प्रो. डॉ. शीला सिंह, प्रो. डॉ. माया कुमारी, प्रो. रामेश्वर सिंह, प्रो.डॉ. संदीप कुमार, प्रो. डॉ. आमिया रंजन, प्रो. डॉ. शिव शक्ति, प्रो. डॉ. एसपी श्रीवास्तव, प्रो. डॉ. धर्मेन्द्र कुमार सिंह, प्रो. सुरेश सिंह के साथ ही शिक्षकेत्तर कर्मियों में सुनील कुमार सिंह, शैलेश कुमार सिंह, प्रवीण कुमार सिंह, निशु कुमारी,नेहा कुमारी , दिलीप कुमार सिंह, संजीत कुमार, राम बाबू, सुरेन्द्र कुमार, उमाकांत सिंह,गोपाल शरण सिंह समेत कई लोगों ने कुलपति प्रो. शैलेन्द्र चतुर्वेदी को बधाई दी है.

बता दें कि तपेश्वरसिंह इंदु महिला महाविद्यालय आरा में शासी निकाय को अचानक भंग कर सचिव के वित्तीय अधिकार छीन लिए जाने के बाद से ही शिक्षकों और कर्मचारियों की परेशानी बढ़ गई थी. राज्य सरकार द्वारा दिए जाने वाले अनुदान के मामले में वर्षों के बकाये अनुदान की राशि के वितरण पर भी संकट खड़ा हो गया था.असामाजिक प्रवृति के कुछ लोगों ने बिहार विश्वविद्यालय संशोधन अधिनियम 2017 की धारा 57 (क) की गलत व्याख्या कर चयनित शिक्षकों के नाम पर अनुदान की राशि हड़पने में सहयोग करने के मकसद से विवि प्रशासन को गुमराह कर शासी निकाय को भंग करा दिया था.बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव का स्पष्ट आदेश था कि 26.3.2008 के बाद विधिवत रूप से शासी निकाय द्वारा नियुक्त और कार्यरत शिक्षकों को अनुदान की राशि देनी है. बावजूद इसके ऐसे शिक्षकों को चयनित नहीं होने का अफवाह फैला कर 19.4.2007 के पूर्व नियुक्त शिक्षकों एवं उनके सहयोगियों ने राज्य सरकार के अनुदान की पूरी राशि हड़पने की साजिश रची. सच्चाई है कि 26.3.2008 के बाद विधिवत रूप से शासी निकाय द्वारा नियुक्त और कार्यरत शिक्षकों के लिए चयन समिति थी ही नहीं. उनके अनुदान वितरण के लिए सरकार ने स्पष्ट आदेश जारी करते हुए कहा था कि इन शिक्षकों को अनुदान की राशि देय होगी. इसी आदेश के तहत राज्य भर के ऐसे शिक्षकों को उनके महाविद्यालयों में अनुदान की राशि वितरित की गई है. बावजूद इसके वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा में 19.4.2007 के पूर्व नियुक्त और चयन प्रक्रिया में शामिल शिक्षकों और उनके सहयोगियों के एक संगठित गिरोह ने साजिशन अफवाह फैलाकर 26.3.2008 के बाद नियुक्त और कार्यरत शिक्षकों को अनुदान की राशि से वंचित करने के लिए शासी निकायों को कई कालेजों में भंग कराया और अनुदान की राशि हड़पने की कोशिश की.