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पटनाः भाजपा कोटे से नीतीश कैबिनेट के विस्तार में 7 नए मंत्री बनाए गए हैं। इनमें एक नाम मुजफ्फरपुर जिले के साहेबगंज से विधायक राजू सिंह के मंत्री बनने पर पूर्व आईपीएस अमिताभ दास ने नाराजगी जाहिर करते हुए Theinkk से ख़ास बातचीत में पूर्व IPS अमिताभ दास ने कहा कि भाजपा विधायक राजू सिंह का प्रारंभिक दौर से विवादास्पद अतीत रहा है। राजू सिंह पर अर्चना गुप्ता की हत्या सहित कई गंभीर आरोप हैं। राजपूत जाति से आने वाले राजू सिंह शुरुआत में मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) से 2020 का विधानसभा चुनाव जीतकर सदन में दश्तक दिए थे, बाद में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए भाजपा में शामिल हो गए।

मुजफ्फरपुर जिले के पारू ब्लॉक के दाउद गांव से ताल्लुक रखने वाले राजू सिंह के राजनीतिक सफर में निजी पृष्ठभूमि उनके जटिल राजनीतिक और कानूनी आख्यान में एक और परत जोड़ती है। उनका चुनावी सफर 2005 में शुरू हुआ जब वे पहली बार एलजेपी के टिकट पर विधायक चुने गए।
इसके बाद जदयू के साथ और कुछ समय के लिए भाजपा के साथ रहे, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2020 में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के बैनर तले फिर से जीत हासिल की लेकिन फिर भाजपा में वापस आ गए। राजू सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने पर अमिताभ दास ने कहा कि उसकी ज़मानत रद्द करवाऊंगा।

राजू सिंह के खिलाफ केवल हत्या ही नहीं अपहरण के भी आरोप हैं। आपराधिक इतिहास वाले व्यक्ति को मंत्री पद पर नियुक्त करना न केवल न्याय प्रणाली को कमजोर करता है बल्कि सरकार की छवि को भी धूमिल करता है। अदालत में वह राजू सिंह की ज़मानत को चुनौती देंगे।
अमिताभ दास ने कहा कि मुझे डर है कि राजू सिंह अपने मंत्री पद का गलत इस्तेमाल कर गवाहों को प्रभावित कर, अर्चना गुप्ता की मौत से जुड़े सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं। 1 जनवरी 2019 को अर्चना दुखद मौत दिल्ली के फतेहपुर बेरी इलाके में नए साल के जश्न के दौरान राजू सिंह के फार्म हाउस में हुई। कथित तौर पर, शराब के नशे में सिंह ने बन्दूक से गोली चलाई, जो कि आर्किटेक्ट अर्चना गुप्ता को लगी और उनकी मौत हो गई उसके बाद, सबूत मिटाने के प्रयासों भी हुए, जिसमें राजू सिंह की पत्नी पर अपने पति की रक्षा करते हुए खून के निशान मिटाने के लिए डांस फ्लोर की सफाई करने का आरोप लगा।
राजू सिंह को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के पास से गिरफ्तार किया गया। नवंबर 2023 में दिल्ली की एक अदालत ने उसके खिलाफ आरोप तय किया। निष्कर्ष के तौर पर, राजू सिंह को उनके गंभीर कानूनी संकटों के बीच बिहार मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने से व्यापक विवाद पैदा हो गया है।
इसने राजनीतिक सत्ता को न्याय और नैतिक शासन की आवश्यकता के साथ संतुलित करने के लिए चल रहे संघर्ष को सामने ला दिया है। यह प्रकरण सार्वजनिक अधिकारियों को आचरण के उच्चतम मानकों पर रखने के महत्व की एक स्पष्ट याद दिलाता है, यह सुनिश्चित करता है कि शासन न केवल प्रभावी हो बल्कि सिद्धांतबद्ध भी हो।