पटना : बाबा बर्फानी की पवित्र गुफा के दर्शन हेतु इस बार 30 जून से अमरनाथ यात्रा की शुरुआत हो गई है. इसी के मद्देनजर जय बाबा अमरनाथ बर्फानी संघ पटना के तत्वाधान में पटना जंक्शन रेलवे स्टेशन से श्रद्धालुओं का पहला जत्था रवाना हुआ| हिंदू धर्म में अमरनाथ यात्रा का विशेष महत्व है. बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए हर साल हजारों भक्त अमरनाथ यात्रा पर निकलते हैं.
जय बाबा अमरनाथ बर्फानी संघ पटना के सचिव राकेश कुमार के नेतृत्व में रवाना हुए इस पहले जत्थे में चार सौ पच्चीस तीर्थयात्री शामिल हैं| श्रद्धालुओं का यह जत्था अर्चना एक्सप्रेस के माध्यम से अमरनाथ धाम पहुंचकर बाबा बर्फानी की पवित्र गुफा का दर्शन करेंगे| उल्लेखनीय है कि जय बाबा अमरनाथ बर्फानी संघ (पटना ) प्रतिवर्ष अमरनाथ यात्रा के लिए शिव भक्तों का जत्था बाबा बर्फानी के मौजूदा स्वरूप के दर्शन हेतु वर्ष 1999 से रवाना करता रहा है| कोरोना संक्रमण के कारण दो साल बाद शुरू हुए अमरनाथ यात्रा के लिए रवाना होनेवाले सभी शिवभक्तों में अद्भूत उत्साह एवं उमंग था| शिवभक्तों की टोली द्वारा लगातार बम-बम बोले के लगाये जा रहे जयकारे से पटना जंक्शन परिसर गुंजायमान हो रहा था| भगवान भोलेनाथ की भक्ति में सराबोर सभी शिवभक्त नाचते-गाते अमरनाथ यात्रा के लिए रवाना हुए| बाबा बर्फानी की पवित्र गुफा हिंदूओं के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है. इस दौरान महादेव भक्तों को बर्फ से बने शिवलिंग के रूप में दर्शन देते हैं. अमरनाथ यात्रा को लेकर भक्तों में अलग ही उत्साह देखने को मिलता है.
काफी रहस्यमयी है बाबा बर्फानी की पवित्र गुफा
अमरनाथ गुफा में शिवलिंग के पास से पानी बहता है. इस बहते पानी का स्रोत आज भी रहस्य बना हुआ है| तापमान काफी कम होने के बाद भी यह पानी जमता नही है. मान्यता है कि बाबा बर्फानी की पवित्र गुफा 5000 साल पुरानी है और तब से एकदम वैसी ही है. यहां पर शिवलिंग को स्वभूं के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि इस शिवलिंग का निर्माण खुद हुआ है. अमरनाथ गुफा पुर्णतः कच्ची बर्फ से बनी हुई है जबकि बाबा बर्फानी पक्की बर्फ के बने होते हैं. शिवलिंग पक्की बर्फ से किस तरह बनता है, यह आज भी रहस्य है. अमरनाथ गुफा के रास्ते में पंचतरणी पर भगवान भोलेनाथ ने पांचों तत्वों का त्याग कर दिया था. शास्त्रों के अनुसार अमरनाथ गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरता का मंत्र सुनाया था जहां स्थित शेषनाग झील पर भगवान शिव ने अपने गले के सापों को उतार दिया था. अमरनाथ गुफा से 96 किमी की दुरी पर स्थित पहलगाम में भगवान शिव ने विश्राम किया था. भोलेनाथ ने अपने बैल नंदी को पहलगाम में छोड़ दिया था. पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान शिव ने मां पार्वती को अमरता मंत्र सुनाया था, उस समय वहां पर भगवान शिव और मां पावर्ती के अलावा कबूतर का जोड़ा बैठा था. कबूतर का वही जोड़ा कथा सुनने के बाद अमर हो गया जो आज भी अमरनाथ गुफा में दिखाई देता है.