दिल्ली/पटनाः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कभी खास रहने वाले केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने आखिरकार भाजपा का दामन थाम ही लिया। थामें भी क्यों नहीं नीतीश और ललन सिंह ने इन्हें जदयू से बाहर का रास्ता जो दिखा दिया। इस पर जदयू की दलील है कि केंद्र में लगातार आरसीपी की भाजपा से बढ़ती उनकी नजदीकी ने नीतीश कुमार को नाराज कर दिया। यही कारण था कि केंद्र में मंत्री रहने के बावजूद उन्हें राज्यसभा उम्मीदवार नहीं बनाया गया। बता दें कि सिंह ने हैदराबाद में चल रही भाजपा कार्यकारिणी में भी भाग लिया है। केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद में पटना स्थित उनके सरकारी आवास से उन्हें बेदखल कर दिया गया। उनके करीबी नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जदयू प्रवक्ता अजय आलोक और पार्टी के दो महासचिव को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया।
राज्यसभा की उम्मीदवारी जाने के बाद भी आरसीपी सिंह भाजपा और पीएम मोदी की जमकर तारीफ कर रहे थे। केंद्रीय मंत्री का पद छोड़ने को लेकर उन्होंने कहा था कि इस मामले में पीएम मोदी का जो आदेश होगा, वे उसका पालन करेंगे। ऐसे में माना जाने लगा था कि आरसीपी भाजपा का दामन थाम सकते हैं।
जदयू में नंबर दो की हैसियत रखने वाले आरसीपी सिंह पार्टी में तमाम अहम पदों पर रह चुके हैं। नीतीश के गृह जिले नालंदा से आने वाले पूर्व नौकरशाह श्री सिंह केंद्र में जाने के बाद भाजपा को लेकर काफी नरम हो गए थे। एक तरफ जहां बिहार में भाजपा और एनडीए के नेताओं में तीखी जुबानी जंग देखने को मिलती थी, वहीं आरसीपी बीजेपी और पीएम मोदी के यशगान में लगे रहते थे। हलांकि यूपी चुनाव में सीट शेयरिंग की डील न होने को लेकर भी पार्टी का एक पक्षा आरसीपी के खिलाफ हो गया था। अब ऐसे में देखने वाली बात ये है कि इस सियासत का आखिर अगला कदम नीतीश कुमार का क्या होगा और किस तरह से आरसीपी की भरपायी कर पाएंगे। या फिर आरसीपी के बूते बिहार की सत्ता में बड़ा खेल खेलने की तैयारी कर सकती है भाजपा, ये भी माना जा रहा है कि नीतीश पर भाजपा का प्रेशर पॉलिटिक्स भी हो सकता है।