मिलार्ड…. जब नूपुर शर्मा नहीं थी..तब भी..!!

आलेख

– समता कुमार (सुनील)

                     कुरान और रामायण को लेकर एक ही साल में अहमदाबाद में बनी दो अलग-अलग घटनाएं…!!

प्रथम  घटना

10 मार्च 1969

स्थान:-  अहमदाबाद

शाम को 7:00 बजे  कालूपुर पुलिस स्टेशन के पुलिस  सब इंस्पेक्टर बीएच देसाई अपने जीप में जा रहे थे तभी अचानक एक  लारी (ठेला) उनके रास्ते में आ गई।

                          उन्होंने लारी वाले को लारी हटाने को कहा लेकिन लारी वाला ने लारी नहीं हटाई दरअसल लारी वाला  पुराने कबाड़, पुराने किताब कॉपी खरीद रहा था। तभी जीप में से एक पुलिस नीचे उतरा और लारी को उठाकर एक तरफ हटाया तभी लारी में से कई किताबें और अखबार नीचे गिर गए ..उन किताबों में से एक कुरान शरीफ भी था।

                 लारी वाला मुस्लिम था एरिया भी मुस्लिमों का था। तुरंत उसने चिल्ला-चिल्लाकर कर भीड़ इकट्ठा किया और पुलिस पर हमला शुरू हो गया। तुरंत ही मस्जिदों से ऐलान कर दिया गया। फिर रात 10:00 बजे 5000 मुस्लिमों की भीड़ एकत्र होकर कालूपुर पुलिस स्टेशन पहुंच गया और पुलिस स्टेशन को घेर लिया गया। पुलिस स्टेशन में खड़ी सभी गाड़ियां, जीप सब तोड़ दिए गए। तुरंत ही पुलिस कमिश्नर ने माफी मांगी और उस पीएसआई से थाने के बाहर और मस्जिद में जाकर माफी मांगने को कहा गया।

                        पुलिस सब इंस्पेक्टर ने भी माफी मांगी फिर भी कई बार पुलिस स्टेशन पर पत्थरबाजी की गई। उसके बाद पुलिस तंत्र और पुलिस कमिश्नर ने रेडियो पर यानी आकाशवाणी पर भी माफी मांगी। फिर भी अजान के बाद यह सूचना दिए जाने लगा – “इससे तो पाकिस्तान अच्छा है। अगर हिंदू का मंदिर जला दिया तो क्या तो क्या होता..? अल्लाह हू अकबर नारे तकबीर… पुलिस को मारो कुरान का अपमान हुआ है।”

             तमाम बार माफी मांगने के बाद भी अहमदाबाद जल उठा था।

दूसरी घटना

4 अगस्त सन 1969

                   जन्माष्टमी का त्यौहार चल रहा था। अहमदाबाद की नारायण दास की चाली में पंडित बालकृष्ण रामलीला का संचालन कर रहे थे। अचानक पुलिस आकर राम का रोल निभा रहे पात्र को बताया कि तुम्हें पुलिस चौकी में बुलाया जा रहा है… भगवान राम की भूमिका निभा रहे इंसान ने कहा कि मेरा रोल पूरा होते ही मैं तुरंत पुलिस स्टेशन में आ जाऊंगा।

                         तभी वहां बहरामपुर पुलिस चौकी के पुलिस सब इंस्पेक्टर शेख मोहम्मद पुलिस  के साथ आए और बलपूर्वक दर्शकों पर लाठीचार्ज किया। रामलीला देख रही भीड़ को तितर-बितर कर दिया। वहां सब कुछ उठाकर फेंकने लगे, तभी टेबल पर रखा पवित्र रामायण और भागवत गीता भी उठाकर फेंक दिया गया। आरती की सामग्री उठा कर फेंक दी गई। मंच पर रखा भगवान राम का फोटो भी गिरा दिया गया।

                          इस घटना को लेकर पुलिस विभाग में शिकायत की गई। भक्त लोग कई दिनों तक उपवास पर उतरे, लेकिन पुलिस ने एक बार भी माफी नहीं मांगी और ना ही उस पुलिस सब इंस्पेक्टर शेख मोहम्मद पर कोई कार्यवाही की गई। अंत में सिर्फ यह आश्वासन दिया गया कि हम जांच करेंगे।

                      अब आप सोचिए गलती से अनजाने में ठेले में से कुरान गिर जाने की घटना में एक खास समुदाय की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचने के लिए पुलिस कमिश्नर से लेकर उस पुलिस इंस्पेक्टर तक ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी। आकाशवाणी पर से भी माफी मांगी, फिर भी दंगे भड़के पुलिस स्टेशन को घेरा गया। पुलिस थाने पर पत्थरबाजी की गई। गाड़ियां तोड़फोड़ की गई।

                    दूसरी तरफ जान बूझकर भगवान राम और रामायण का अपमान करने वाले मुस्लिम पुलिस अधिकारी पर ना कोई कार्रवाई की गई, ना उसने माफी मांगी, ना हिंदुओं की भावनाओं को समझने का कोई प्रयास किया गया।

                      अभी हाल के वर्षों में ही नहीं बल्कि कई दशकों से एक खास समुदाय के लोग हिंदू धर्म, हिंदू देवी- देवताओं भगवान राम, भगवान श्री कृष्णा पर अभद्र टिप्पणी कर रहे हैं। खुलेआम टीवी चैनल पर कर रहे हैं।

                       नूपुर शर्मा ने बार-बार मौलाना तस्लीम रहमानी के उकसावे जाने पर उन्हें यह बताया कि हम लोग भी ऐसा बोल सकते हैं। फिर सर तन से जुदा करने वाले लोग सामने आ गए ..!?!?

              अब मिलार्ड तुरंत जान भी गए कि देश में जो माहौल है, वह नूपुर शर्मा के कारण है ..!! मिलार्ड को यह भी नहीं पता राजपाल प्रकाशक के मालिक की लाहौर में आजादी के पहले इस्लामुद्दीन द्वारा जो हत्या की गई थी, वह भी इसी पैटर्न पर की गई थी। यानी उनका भी सर चाकू से काटा गया था।

                  नूपुर शर्मा के बयानबाजी के पहले भी चार्ली हेब्डो  पर जो हमला हुआ वह क्यों हुआ…??

                      बस ! अब मिलार्ड  यह फैसला करेंगे कि हिंदुओं के घर में रसोई में क्या बनेगा ..?? मिलार्ड यह फैसला करेंगे कि हिंदू अपना त्यौहार कैसे बनाएगा …??  मिलार्ड यह फैसला करेंगे कि दहीहंडी की ऊंचाई कितनी होगी…??  मिलार्ड ये  फैसला करेंगे कि दिवाली पर कैसे पटाखे होंगे…? मिलार्ड यह फैसला करेंगे कि होली कैसे मनाई जाएगी..??

                           लेकिन मिलार्ड कभी ये फैसला नहीं करेंगे कि बकरी ईद और क्रिसमस कैसे मनाई जाएगी…? संविधान का अनुच्छेद 19 और 21/22 मात्र एक शोभा के लिए रखा गया है। जिसका इस्तेमाल सिर्फ एक खास विशेष धर्म के लोगों की भावनाओं को दुखने पर ही इस्तेमाल किया जाता है।   दूसरे धर्म के लोगों को अभिव्यक्ति की आजादी की पूरी स्वतंत्रता दे दी गई है।

                              बस भारत में एक हिंदू ही अपनी अभिव्यक्ति की आजादी का इस्तेमाल नहीं कर सकता..!!  और यदि कोई हिंदू संविधान द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की आजादी का इस्तेमाल करेगा; तब जज साहब और हमारा सिस्टम उस हिंदू को छोड़ेगा नहीं। यह है अपना संविधान और उसके दुरुपयोग की पराकाष्ठा..!!

 स्रोत :- गुजराती किताब “आठवीं शताब्दी की धूप छांव”

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