भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने स्मार्ट और सतत विमानन प्रौद्योगिकी सहयोग के लिये स्वीडन के साथ हुआ समझौता

विदेश

दिल्लीः भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) ने लेव एयर नेवीगेशन सर्विसेज ऑफ स्वीडन ने नई दिल्ली स्थित प्राधिकरण के कॉरपोरेट मुख्यालय में एक समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।
समझौते के तहत अगली पीढ़ी वाली सतत विमानन प्रौद्योगिकी को तैयार करने और उसे संचालित करने तथा स्मार्ट विमानन समाधानों की पड़ताल करने की क्षमताओं के मद्देनजर भारत तथा स्वीड़न के दोनों वायु विमानन सेवा प्रदाता करीबी सहयोग करेंगे। इस समझौता-ज्ञापन से दोनों देशों के बीच विमानन विशेषज्ञता और प्रौद्योगिकी के द्विपक्षीय आदान-प्रदान का रास्ता खुल जायेगा। इसके जरिये भारतीय कंपनियां तेजी से उन्नति करेंगी, तो वहीं दूसरी तरफ वे स्वीडन के नवोन्मेष और विशेषज्ञता से भी लाभ उठायेंगी। समझौता-ज्ञापन के आलोक में वे आपसी हितों के क्षेत्रों में सहयोग करने में सक्षम होंगी।
समझौता-ज्ञापन पर एएआई के सदस्य (विमान परिचालन सेवा) एम. सुरेश और एलएफवी स्वीडन के उप निदेशक मैगनस कोरेल ने हस्ताक्षर किये। समारोह में एएआई के अध्यक्ष संजीव कुमार, स्वीडन के अवसंरचना मंत्रालय में राज्य मंत्री मेलिन सेडरफेल्ट ऑस्तबर्ग, भारत में स्वीडन के राजदूत महामहिम क्लास मॉलिन और स्वीडन में भारत के राजदूत महामहिम तन्मय लाल उपस्थित थे। कार्यक्रम में एएआई, एलएफवी, स्वीडन राजदूतावास और बिजनेस स्वीडन – स्वीडिश ट्रेड एंड इनवेस्ट काउंसिल के वरिष्ठ अधिकारी भी सम्मिलित हुये।
अगली पीढ़ी के स्मार्ट हवाई अड्डों के तेज विकास और सतत यातायात प्रणालियों के निर्माण की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुये दोनों पक्षों ने समझौता-ज्ञापन के तहत इन तत्वोंे पर सहमति व्यक्त की।
भारत में स्वीडन के राजदूत क्लास मॉलिन ने भारत और स्वीडन के बीच लंबे समय से चले आ रहे सहयोग का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “हम पहले से विस्तृत भारत-स्वीडन सहयोग को और आगे ले जाने का इरादा रखते हैं। हमारे सहयोग में निरतंरता, स्वास्थ्य, नवाचार, ऊर्जा शामिल है तथा अब उसमें नागरिक विमानन का क्षेत्र भी जुड़ गया है। मुझे आशा है कि इस समझौता-ज्ञापन से स्वीडन और भारत को विमानन सेक्टर में जलवायु-स्मार्ट समाधानों की पड़ताल करने के अवसर मिलेंगे।”
स्वीडन में भारत के राजदूत श्री तन्मय लाल ने अपने सम्बोधन में उल्लेख किया, “भारत-स्वीडन की साझेदारी ऊंचाइयों पर है। इस समझौता-ज्ञापन में नये क्षेत्र शामिल हैं और इसके जरिये विमानन सेक्टर में सुरक्षा, निरतंरता और दक्षता बढ़ाने में प्रौद्योगिकीय सहयोग संभव होगा। यह भारत में तेजी से विकसित होने वाली क्षेत्रीय वायु कनेक्टीविटी के संदर्भ में भी एक अहम कदम है।”

दोनों देशों के बीच सहयोग में तेजी लाने और आपसी हितों वाले क्षेत्रों की प्राथमिकता तय करने के लिये एक संयुक्त कार्य समूह गठित किया जायेगा। यह समझौता-ज्ञापन भारत और स्वीडन के बीच निरतंरता, स्वास्थ्य सुविधा, नवाचार, ऊर्जा और अवसंरचना आदि क्षेत्रों में मौजूदा सहयोग के अलावा विमानन सेक्टर में दोनों सरकारों के बीच सहयोग में महत्वापूर्ण भूमिका निभायेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *