कब कौन सी पार्टी बनी, कैसे बनी और किस तरह से बड़ी बनी। राष्ट्रीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। यह सब जानना भी बेहद रोचक है। इन सभी जिज्ञासाओं का शमन पुस्तक ‘सेंसेक्स क्षेत्रीय दलों का’ करती है। इस तरह के विचार वक्ताओं ने पुस्तक के लोकार्पण समारोह में व्यक्त किए। वरिष्ठ पत्रकार अकु श्रीवास्तव द्वारा लिखित और प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक का विमोचन ए.एन.सिन्हा इंस्टीच्यूट सभागार में संपन्न हुआ।
समारोह में उपस्थित पूर्व मंत्री सह राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि क्षेत्रीय दलों की भूमिका को दरकिनार नहीं किया जा सकता है। इनकी भी अलग महत्ता है। देश की बात करें तो अधिकांशतः राज्यों में क्षेत्रीय दलों का वजूद कायम है। हलांकि इस पुस्तक में लेखक ने देश के हर राज्य में किस तरह से स्थानीय पार्टियां बनीं यह सब पुस्तक में समाहित करने का प्रयास किया गया है। वरिष्ठ पत्रकार अशोक मिश्रा ने जो कि लेखक को इस पुस्तक में काफी सहयोगी साबित हुए हैं ने कहा कि देश की राजनीति में क्षेत्रीय दलों की भूमिका को गौण नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सेंसेक्स बेचैनी पैदा करता है। राजनीति में भी यह काम करता है। इसी बेचैनी का नतीजा है यह पुस्तक। वहीं वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया भेलारी ने अपने अंदाज में कहा कि क्षेत्रीय दल अपनी भूमिको निभा रही हैं, इनके साथ जो 8 केंद्रीय दल हैं और साढ़ 28 सौ क्षेत्रीय दल हैं सभी के बारे में सबको तो नहीं पता मगर सभी कि भूमिका अपने तरीके से होती है। जबकि बीबीसी के वरिष्ठ पत्रकार मणिकांत ठाकुर ने जातीय संघर्ष और क्षेत्रीय दलों पर ही प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया जिसका लगभग वक्ताओं ने अपने अपने तरीके से असहमति जाहिर की। हलांकि जदयू नेता राजीव रंजन ने तो यहां तक कहा की इस पुस्तक की राजनीतिक भूमिका को गढ़ने में सहयोगी होने इंकार नहीं किया जा सकता है।
समारोह जगजीवन शोध संस्थान के पूर्व निदेशक सह वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत, दैनिक भास्कर के वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद मुकेश, लेखक मुरली मनोहर श्रीवास्तव, लेखक रत्नेश्वर, रणजीत कुमार यादव, वीरेंद्र यादव सहित सैकड़ों गणमान्य व्यक्तियों ने इसमें हिस्सा लिया। वहीं मंच संचालन ध्रव जी ने किया। प्रकाशक डॉ. पीयूष ने अतिथियों का आभार जताया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्यकार, लेखक, कवि, वरिष्ठ पत्रकार और गणमान्य लोग उपस्थित रहे।