शाहाबाद ब्यूरो
भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य, पूर्व राज्यसभा सांसद श्री आरके सिन्हा जी के पूज्य पिताजी श्रद्धेय सूरज प्रसाद सिन्हा जी की 105 वीं जयंती समारोह उनके पैतृक गांव कोइलवर प्रखण्ड के बहियारा में धूम धाम से आयोजित की गई।जयंती समारोह की अध्यक्षता पूर्व सांसद प्रतिनिधि डॉ. सुरेन्द्र ने की।
जयंती समारोह के अवसर पर आयोजित एक समारोह में श्रद्धेय सूरज प्रसाद सिन्हा जी की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया गया और उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला गया।
पूर्व सांसद के प्रतिनिधि डॉ. सुरेन्द्र ने जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि सूरज प्रसाद सिन्हा जी ने पुत्र के रूप में आरके सिन्हा जी को एक संदेश दिया था और वह संदेश यह था कि “न त्वहं कामये राज्यं न स्वर्गं नापुनर्भवम्
कामये दुःखतप्तनां प्राणिनामार्तिनाशनम् !”
अर्थात् अपने लिए न मैं राज्य चाहता हूँ, ना ही स्वर्ग की कामना करता हूँ। मोक्ष भी मुझे नहीं चाहिए। मैं तो केवल यही चाहता हूँ कि दुःख से पीड़ित अर्थात तपते हुए प्राणियों की पीड़ा का शीघ्र नाश हो जाए।
श्रद्धेय सूरज प्रसाद सिन्हा जी ने यह जो संदेश दिए थे उस संदेश को आरके सिन्हा जी ने अपने जीवन का लक्ष्य बना डाला और उनके आशीर्वाद से वे निरंतर जनसेवा के साथ आगे बढ़ते गए।जैसे जैसे आगे बढ़ते गए मदद सहयोग और जरूरतमंदों की सेवा का दायरा भी बढ़ता गया।पूर्व सांसद आरके सिन्हा की प्रेरणा के स्रोत उनके पूज्य पिताजी श्रद्धेय सूरज प्रसाद सिन्हा जी हैं जिन्होंने उन्हें अपने सिद्धांत के बारे में बताया और यह सिख दी कि”द्वार पर आगंतुक कोई भी याचक, खाली हाथ वापस नहीं लौटना चाहिए।
पूर्व सांसद प्रतिनिधि डॉ. सुरेन्द्र ने कहा कि ऐसे उदार व्यक्तित्व के धनी थे श्रद्धेय सूरज प्रसाद सिन्हा जी।
उन्हीं के बताए मार्ग पर चलकर, उनके जीवन सिद्धांतों का अनुसरण कर आज आरके सिन्हा जी अपने जीवनपथ पर अग्रसर हैं।
अपने स्तर से जरूरतमंद लोगों की यथासंभव मदद करना उनकी प्राथमिकता है। उनका मानना है कि जनसेवा से बढ़कर कोई पुनीत कार्य नहीं और यही सबसे बड़ा धर्म है।
बहियारा में आयोजित श्रद्धेय सूरज प्रसाद सिन्हा जी की 105 वीं जयंती समारोह के मौके पर प्रभात कुमार लाल,मिथुन कुमार, राजू कुमार,हरि जी उपाध्याय सहित कई लोग शामिल थे।