शराब धंधे वाले को विधान सभा चुनाव का महागंठबंधन द्वारा टिकट,फिर कैसे धंधेबाजों पर सख्ती -विजय सिन्हा
शराबबंदी की समीक्षा लोगो के आंख में धूल झोंकना -विजय सिन्हा
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री विजय कुमार सिन्हा ने शराबबंदी को सख्ती से लागू करने हेतु मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जो महागठबंधन द्वारा शराब के कारोबार में लिप्त लोगों को विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया जाता है फिर इस धंधेबाजों पर नकेल कसने की बात एक छलावा है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि विपक्ष में रहते हुए भी समाज में सुधार के लिए भाजपा ने शराबबंदी का स्वागत किया था और विधेयक पारित होने में मदद किया था परंतु उस समय हमें नहीं पता था कि शराबबंदी एक नया अपराध एवं पाप की कमाई का मार्ग बनेगा। भाजपा ने उस समय शंका व्यक्त किया था और सरकार को आगाह भी किया था।
श्री सिन्हा ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री जी को यह बताना चाहिए कि शराब धंधेबाजो की संपत्ति को जप्त क्यों नहीं किया जा रहा है?
श्री सिन्हा ने कहा कि राज्य में सभी अवगत है कि सरकार के नाक के नीचे दारू का कारोबार फल-फूल रहा है और इसमें सरकार का संरक्षण प्राप्त है। खानापूरी के नाम पर शराब पीने वालों की गिरफ्तारी की जाती है लेकिन इसका भंडारण और बिक्री करने वाले लोग खुलेआम इस खेल में लगे हैं।
श्री सिन्हा ने कहा कि शराब के अवैध धंधे से प्राप्त आय का बंटवारा नीचे से ऊपर तक होता है और यह शासन में बैठे लोगों के लिए आमदनी का एक स्थाई स्रोत बन गया है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि वर्ष 2016 में शुरू शराबबंदी से राज्य सरकार को 50000 करोड़ से ज्यादा राजस्व की हानि हुई है परंतु इस कारोबार में लिप्त लोगों ने शासन प्रशासन के साथ मिलकर करोड़ों रुपए की उगाही की है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस धंधे की भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जनवरी 2022 में इसमें लिप्त प्रतिदिन 300 लोग गिरफ्तार होते थे जिनकी संख्या अब बढ़कर 1200 प्रतिदिन हो गई है। यह आंकड़ा बताता है कि शराबबंदी राज्य में पूरी तरह फेल है।