दिल्लीः “मैं स्वास्थ्य क्षेत्र के गुमनाम नायकों, फील्ड कार्यकर्ताओं, डेटा एकत्रित करने वालों, डेटा इंटीग्रेटर्स और डेटा प्रबंधकों आदि को बधाई देता हूं। उन्होंने देश भर में फैली 2.25 लाख से अधिक स्वास्थ्य सुविधाओं से समय पर डेटा तैयार करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। राज्यों में स्वास्थ्य सुधार कार्यक्रम के आधार के रूप में कार्य करने के लिए इस डेटा का रियल टाइम आधार पर विश्लेषण करने की आवश्यकता है।” यह बात आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआईएस) और प्रजनन बाल स्वास्थ्य (आरसीएच) पोर्टल पर राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण ने कही।
दो दिवसीय कार्यशाला का उद्देश्य स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआईएस) पोर्टल तथा प्रजनन बाल स्वास्थ्य (आरसीएच) पोर्टल की उपयोगिता और निगरानी तथा नीति हस्तक्षेप उपकरण के रूप में उनके उपयोग को दोहराना था। इस अवसर पर आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के अंतर्गत डिजिटल हस्तक्षेप पर फोकस करने के साथ तीन प्रकाशन जारी किए गए। अनमोल (एएनएम ऑनलाइन), किलकारी मोबाइल अकादमी की नई विशेषताओं को भी दिखाया गया।
इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने स्वास्थ्य क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में हुए प्रमुख विकास कार्यों की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि देश भर में 1.54 लाख से अधिक स्वास्थ्य और वेलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी) संचालित किया गए। 12 स्वास्थ्य पैकेज नि:शुल्क प्रदान करने साथ ये सेंटर नि:शुल्क दवाएं और निदान, सामान्य कैंसर, मधुमेह तथा उच्च रक्तचाप के लिए नि:शुल्क स्क्रीनिंग परीक्षण भी करते हैं। एक लाख से अधिक एचडब्ल्यूसी ई-संजीवनी टेलीसर्विसेज भी दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे बड़ी मात्रा में डिजिटल डेटा तैयार हो रहा है। हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि डेटा अपलोड हो और सावधानी के साथ उनका विश्लेषण किया जाए।
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के एक और विकास की प्रमुखता से चर्चा करते हुए श्री राजेश भूषण ने कहा कि हमें आरसीएच, एचएमआईएस पोर्टल्स तथा एबीडीएम के बीच और अधिक सामंजस्य बनाने की आवश्यकता है। एबीएचए आईडी बनाने के माध्यम से अधोमुखी स्वास्थ्य रिकॉर्ड तथा अंतःक्रियाशीलता का निर्माण सुनिश्चित किया जा रहा है। इन्हें आरसीएच और एचएमआईएस से जोड़ा जा सकता है जो स्वास्थ्य क्षेत्र में गेमचेंजर के रूप में काम कर सकते हैं। उन्होंने बल देते हुए कहा कि सभी स्वास्थ्य सुविधाएं एबीएचए आईडी बनाने तथा उन्हें डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड से जोड़ने की स्थिति में हैं। परिणामस्वरूप यह हमारे नागरिकों के लिए डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड तक कागज रहित तथा परेशानी मुक्त पहुंच के लिए एक मजबूत ईकोसिस्टम बनाएगा।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने तीन प्रकाशनों का विमोचन किया। इनमें ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी 2021-22 शामिल है। इसे वर्ष 1992 से केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के वार्षिक प्रकाशन के रूप में प्रकाशित किया जाता है। यह प्रत्येक वर्ष 31 मार्च तक मानवशक्ति सहित स्वास्थ्य और अवसंरचना के आंकड़ें प्रदान करता है। यह प्रकाशन एचएमआईएस पोर्टल पर राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अपलोड किए गए आंकड़ों पर आधारित है तथा संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा सत्यापित किए जाने के बाद ही प्रकाशित होता है। यह देश के ग्रामीण, शहरी और जनजातीय क्षेत्रों में वर्तमान स्वास्थ्य देखभाल अवसंरचना और मानव संसाधनों में अंतर को पहचानने में एक दृष्टि पत्र के रूप में काम करेगा। यह नागरिकों के लिए भी सूचना के एक प्रमुख स्रोत के रूप में भी काम करेगा।
आज जारी की गई अन्य रिपोर्ट है – एचएमआईएस 2020-21 और 2021-22 । यह मातृ स्वास्थ्य, बाल स्वास्थ्य, टीकाकरण, परिवार नियोजन सेवाओं के कवरेज, किशोर स्वास्थ्य तथा रोगी सेवाओं से संबंधित संकेतकों में एक विश्लेषणात्मक अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त बेड ऑक्युपेंसी दर, सी-सेक्शन रेट, ब्लड रिप्लेसमेंट रेट, स्तनपान शीघ्र शुरू होने की दर, पोस्ट-सर्जिकल संक्रमण दर के आदि के आधार पर इन दो वर्षों में जिला अस्पतालों के प्रदर्शन का विश्लेषण करने के लिए एक विश्लेषणात्मक अध्यन को विशेष रूप से शामिल किया गया है।
पीआरसी 2021-22 के सारसंग्रह “सभी के लिए स्वास्थ्य : संभावनाएं और मुद्दे” का भी आज अनावरण किया गया। इस सार-संग्रह में वर्ष 2021-22 के दौरान पीआरसी द्वारा मातृ स्वास्थ्य, बाल स्वास्थ्य, परिवार नियोजन, गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) और संचारी रोग (सीडी) आदि पर प्राथमिक और माध्यमिक डेटा के आधार पर चयनित अनुसंधान अध्ययन शामिल हैं। पीआरसी श्रीनगर, पीआरसी धारवाड़, पीआरसी केरल, पीआरसी बैंग्लुरु को उनके संबंधित शोध अध्ययनों के लिए पुरस्कार दिए गए।
इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव डॉ. पी अशोक बाबू, महानिदेशक श्री कल सिंह, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की उप महानिदेशक सुश्री अंजलि रावत, भी उपस्थित थीं। कार्यशाला में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के एचएमआईएस और आरसीएच नोडल अधिकारी और मंत्रालय के कार्यक्रम प्रभाग, विकास भागीदार और अन्य हितधारक भी शामिल हुए।