बाड़मेर में लंपी वायरस का कहर, 2743 गोवंश की मौत, 50%दुग्ध उत्पादन में गिरावट

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बाड़मेरः भारत-पाकिस्तानन सीमा पर बसे बाड़मेर जिले में लंपी वायरस की वजह से रोजाना सैकड़ों गोवंश दम तोड़ रहे हैं। फिलहाल पशुपालन विभाग के पास मृतक गोवंश का वह आंकड़ा है, जो मौके पर पहुंचकर गोवंश का इलाज के दौरान तैयार किया। जबकि लंपी वायरस की चपेट में गोवंश के आने से जिले में 50 फीसदी दुग्ध उत्पादन भी घट गया है।
इस साल ढाका और अफगानिस्तान होते हुए पाकिस्तान के रास्ते भारत में आई लंपी स्किन बीमारी से गोवंश मौत के मुंह में समा रहे हैं। लंपी वायरस के कहर से गोवंश की मौतें इतनी दर्दनाक तरीके से हो रही हैं कि देखते ही आंखों में भी आंसू आ जाए। इस बीच एक तरफ बाड़मेर प्रशासन मृत गायों को दफनाने के दावे कर रहा है, तो वायरल तस्वीकरें कुछ और कह रही हैं। बाड़मेर शहर के अरिहंत नगर और रोहिली गांव में खुले में मृत गोवंश को फेंकने से मक्खियों की भरमार हो गई है। जबकि गोवंश की मौत का सिलसिला नहीं थमने से दुग्ध उत्पादन में भी भारी गिरावट आई है। सेड़वा निवासी पशुपालक रघुनाथ राम बताते हैं कि सेड़वा उपखण्ड क्षेत्र में एक घर में 5-5 गाय थीं, लेकिन लंपी वायरस की चपेट में आने से उनकी मौत हो गई। ऐसे में अब दूध उत्पादन में कमी आई है, तो किसानों का आजीविका का साधन भी छिन गया है।
बाड़मेर जिले में गोवंश की मौत के आंकड़ों में कमी जरूर आई है, लेकिन यह सिलसिला थमा नहीं है। पशुपालन विभाग सिर्फ इलाज के दौरान हुई गोवंश की मौत के आंकड़े ही बता रहा है। विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, 19 जुलाई से 8 सितंबर तक 2743 गोवंश मौत की मौत को चुकी है। जबकि जिले में 9 लाख 65 हजार गोवंश हैं , जिसमें से अब तक 1 लाख 2 हजार 158 गोवंश लंपी वायरस से प्रभावित हैं।
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ विनय मोहन ने बताया कि साल 2019 में ढाका, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश में लंपी वायरस के काफी केस सामने आए थे। इसके बाद पाकिस्ता,न से इस बीमारी ने भारत में प्रवेश किया। इस वजह से राजस्था न के बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ में लंपी वायरस का प्रभाव ज्यादा नजर आ रहा है। बाड़मेर जिले में लगातार गोवंश की मौत के बाद दुग्ध उत्पादन आधा हो गया है। वहीं, जिला दुग्ध सहकारी उत्पादक संघ के प्रबंध संचालक ओपी सुखाड़िया के मुताबिक, लंपी स्किन बीमारी के बाद जिले का दुग्ध उत्पादन काफी प्रभावित हुआ है। पहले 15 हजार लीटर दूध आता था, जोकि अब महज 8 हजार लीटर रह गया है। ऐसे में दूध, घी, पनीर और छाछ के दामों में भी बढ़ोतरी हुई है।

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