अपने डुमराँव नगर ही नहीं बल्कि अपने बक्सर जिले और पुराना शाहाबाद क्षेत्र में भित्तिचित्र, कैनवास आदि पर तैलीय रंग व जलरंग से सजीव चित्रण के चित्रकार एव विभिन्न प्रकार की मूर्तियों के उत्कृष्ट मूर्तिकार के रुप चर्चित श्री कृष्ण मुरारी जी का निधन हम सभी चित्रकला एवं मूर्तिकला के प्रशंसकों के लिए बहुत ही शोकाकुल भावों से आह भरने हेतु विवश कर दिया।
लगातार पाँच दशकों तक अपनी चित्रकला एवं मूर्तिकला से जन-जन में अमिट पहचान बनाकर दर्जनो शिष्य कलाकारों की श्रृंखला खड़ी करके सचमुच ही कला के प्रति एक सार्थक साधक रुप में बहुत ही सरल व साधारण वेशभूषा के धनी श्री कृष्ण मुरारी जी के विशिष्ट पहचान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। खासकर के हमारा डुमराँव नगर उन्हे एक कुशल एवं उत्कृष्ट कलाकार रुप में सदैव याद करेगा।
रंगमंच कलाकारों की सज्जा हो या चित्रकला की प्रदर्शनी हो या फिर किसी उत्सव पर देवी-देवताओं की मूर्तियाँ सभी में उनके सधे हुए हाथ और कुची की उत्कृष्टता ऐसी देखने को मिलती थी कि जैसे लगता था वे सभी हमारे समक्ष सजीव हो उठे।
हे प्रभु ! ऐसे अनेक अवसर आये हैं, जब मैने इस कलाकार को आपके विभिन्न रुपों और अवस्थाओं को अपनी कुशल कूची के सहारे सदैव जीवन्त करते देखा है। मेरी हार्दिक कामना है कि आप इस कलाकार की आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।
चित्रकला एवं मूर्तिकला के क्षेत्र मे साधनारत वर्तमान कलाकारों में इस कलाकार के निधन से बहुत शोक व्याप्त है। सचमुच में श्री कृष्ण मुरारी जी की कला कुशलता का अनुसरण कर पुनः कला को जीवन्त उत्कृष्ट स्थान प्रदान कराना ही यहाँ कलाकारों की उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।