पटनाः देश की अर्थव्यवस्था और युवाओं को रोजगार की चुनौतियों पर जदयू के प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व विधान पार्षद डॉ. रणबीर नंदन ने एक बार फिर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर करारा हमला किया है। डॉ. नंदन का कहना है कि भले ही केंद्र सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर फरेबी आंकड़ों के जरिए अपनी पीठ थपथपा रही है। लेकिन वास्तविक स्थिति यह है कि भारत का युवा वर्ग रोजगार की तलाश में दिशाहीन हो रहा है। मोदी सरकार की नीतियों ने न सिर्फ भारत के युवाओं का भविष्य संकट में डाल दिया है बल्कि रोजगार की एक वैश्विक मुसीबत भी खड़ी कर दी है।
उन्होंने कहा कि विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था तो है। लेकिन प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में भारत में बेरोजगार लोगों की संख्या भी सबसे अधिक है। भारतीय अर्थव्यवस्था में जो भी विकास दिख रहा है, वो मोदी सरकार की नीतियों के कारण आने वाले वक्त में धराशायी ही होगा। क्योंकि भाजपा ने देश की व्यवस्था को चुनावी मशीन में तब्दील कर दिया है। चुनावी फायदे के लिए हर काम और हम घोषणा होती है। वास्तविक विकास से इनका कोई नाता नहीं रहता।
डॉ. नंदन ने कहा कि CMIE के आंकड़ों के मुताबिक शहरी भारत में बेरोजगारी के लिए अगस्त 2022 में कुल श्रम शक्ति का 9.57% और ग्रामीण भारत के लिए 7.68% है। CMIE की ही रिपोर्ट बताती है कि 2021-22 में भारत में श्रम बल की भागीदारी दर केवल 42.6% थी। 2022 में, यह अप्रैल 2022 तक 40% तक गिर गई। इसके अलावा, जून 2022 में श्रम बल की भागीदारी दर 38.8% तक गिर गई। नतीजा यह हुआ कि बेरोजगारी के लिए समायोजन के बाद, केवल 35.8% कामकाजी उम्र की आबादी कार्यबल में थी। 2017 और 2022 के बीच, 2 करोड़ 10 लाख महिलाएं श्रम बल से गायब हो गईं। अब, योग्य कामकाजी उम्र की महिलाओं में से केवल 9% ही श्रम बल में शामिल होती हैं।
डॉ. नंदन ने कहा कि भारत में बेरोजगारी दर लगातार बढ़ रही है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2022 में भारत की बेरोजगारी दर बढ़कर 8.3% हो गई, जो पिछले 16 महीनों में सबसे अधिक रही। चिंतनीय स्थिति यह भी है कि देश के अंदर शहरी बेरोजगारी दर दिसंबर में बढ़कर 10.09% हो गई, जो उससे पिछले महीने में 8.96% थी। बेरोजगारी दर उन प्रदेशों में बढ़ी है, जो विकसित की श्रेणी में माने जाते हैं। दिसंबर में बेरोजगारी दर, हरियाणा में बढ़कर 37.4% पर जा पहुंची। इसके बाद राजस्थान में 28.5% और दिल्ली में 20.8% दर्ज की गई। यानि खुशहाल कोई नहीं है।