मोटा अनाज पारंपरिक अनाज है, जिसे भारतीय उपमहाद्वीप में उगाया और खाया जाता है

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दिल्लीः  केंद्रीय संचार ब्यूरो, गोवा ने पणजी में कदम्बा परिवहन निगम बस स्टैंड पर अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष पर एक मल्टीमीडिया प्रदर्शनी का आयोजन किया है। इस प्रदर्शनी का उद्घाटन उत्तरी गोवा के पुलिस अधीक्षक (एसपी) निधिन वलसन ने किया। 3 मार्च तक जनता के लिए खुली इस प्रदर्शनी का उद्देश्य यहां आने वालों को मोटे अनाज के महत्व के बारे में शिक्षित करना और उसे दैनिक आहार में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करना है।

आईसीएआर-केंद्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने भी इस कार्यक्रम में एक स्टॉल लगाया है जहां लोग मोटे अनाज पर विशेषज्ञों के साथ बातचीत कर सकते हैं और इसके वास्तविक नमूने देख सकते हैं। इस प्रदर्शनी के लिए ज्ञान भागीदारों के रूप में भी ये संस्थान ऐतिहासिक और वर्तमान स्थिति के अवलोकन के साथ-साथ गोवा के संदर्भ में बाजरा पर विशेषज्ञ सलाह प्रदान कर रहा है।

एसपी निधिन वलसन जो कि एक कैंसर सरवाइवर और ट्रायथलॉन एथलीट हैं, उन्होंने उद्घाटन के अवसर पर कहा कि मोटा अनाज उनके स्वास्थ्य में बदलाव का एक बड़ा हिस्सा था। बाजरे के उपयोग के अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे हाल की आयरनमैन ट्रायथलॉन के लिए मोटा अनाज उनके प्रशिक्षण में महत्वपूर्ण था। उस ट्रायथलॉन को उन्होंने सफलतापूर्वक पूरा किया। अपने स्वस्थ कल के लिए आहार में मोटा अनाज शामिल करने का आह्वान करते हुए एसपी महोदय ने कहा, “पिछले 10 महीनों से मेरे रात के खाने और नाश्ते में बाजरा शामिल है। जब से मैंने पहली बार खान-पान बदला तब से रागी माल्ट हर दिन मेरा डिनर रहा है और बिना वजन बढ़े मेरी ताकत और धैर्य में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।”

आईसीएआर-केंद्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. प्रवीण कुमार ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में मोटा अनाज के उत्पादन में केवल मामूली बढ़ोतरी देखी गई है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे मोटा अनाज को बहुत कम लागत की आवश्यकता होती है और इसमें बहुत कम पानी की खपत होती है, जिससे किसानों के लिए इसे उगाना आसान हो जाता है। उन्होंने ये भी कहा कि मोटा अनाज शरीर को बड़ी मात्रा में पोषण प्रदान करते हुए जीवनशैली से जुड़ी कई तरह की बीमारियों से लड़ने में मदद कर सकता है। डॉ. प्रवीण कुमार अपना वजन घटाने और ब्लड शुगर लेवल में बेहतर नियंत्रण के लिए अपने आहार में शामिल मोटा अनाज को श्रेय देते हैं।

इस कार्यक्रम में मोटे अनाज से बने स्नैक्स वितरित किए गए और साथ ही स्थानीय कलाकारों द्वारा एक लघु सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुआ। इस प्रदर्शनी में प्रवेश नि:शुल्क है और ये सभी के लिए खुली है।

अंतर्राष्ट्रीय मोटे अनाज‘ के बारे में

मोटा अनाज पारंपरिक अनाज है, जिसे भारतीय उपमहाद्वीप में उगाया और खाया जाता है। मोटा अनाज घास परिवार से संबंधित छोटे दाने वाले, वार्षिक, गर्म मौसम वाले अनाज हैं। अन्य लोकप्रिय अनाजों की तुलना में इन्हें पानी और उर्वरता की कम आवश्यकता होती है। वर्तमान में 130 से अधिक देशों में उगाए जाने वाले मोटे अनाजों को पूरे एशिया और अफ्रीका में आधे अरब से अधिक लोगों के लिए पारंपरिक भोजन माना जाता है। भारत के एक प्रस्ताव के बाद 2023 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया गया है। ऐसे वक्त में जब वैश्विक कृषि खाद्य प्रणाली लगातार बढ़ती वैश्विक आबादी को भोजन देने में चुनौतियों का सामना कर रही है, ऐसे में मोटे अनाज जैसे लचीला अनाज एक किफायती और पौष्टिक विकल्प प्रदान करता है, और उसकी खेती को बढ़ावा देने के प्रयासों को बढ़ाने की आवश्यकता है। अप्रैल 2018 में मोटे अनाज को “न्यूट्री अनाज” के रूप में फिर से ब्रांड किया गया, इसके बाद वर्ष 2018 को राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया गया, जिसका उद्देश्य बड़े पैमाने पर प्रचार और मांग पैदा करना था। 2021-2026 के बीच पूर्वानुमान अवधि के दौरान वैश्विक मोटा अनाज बाजार में 4.5 प्रतिशत का सीएजीआर दर्ज करने का अनुमान है।

 

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