कुशलपुर पंचायत में विधिक जागरूकता का शिविर का आयोजन, 13 मई को राष्ट्रीय लोक अदालत में शामिल होने की कि गई अपील

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बक्सरः  बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशन में बच्चों को विषय “बाल अनुकूल सेवायें और उनकी सुरक्षा “हेतु जागरूकता अभियान के अंतर्गत बक्सर जल विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं सचिव सह अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र कुमार तिवारी के मार्गदर्शन में कुशलपुर पंचायत में विधिक जागरूकता का शिविर का आयोजन पैनल अधिवक्ता मनोज कुमार श्रीवास्तव एवं पीएलवी अनिशा भारती द्वारा किया गया।

पैनल अधिवक्ता मनोज श्रीवास्तव  ने विशेष रूप आगामी  13 मई को होने वाले राष्ट्रीय लोक अदालत के विषय में भी विस्तृत जानकारी नागरिकों को दी एवं बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने को बताया। उन्होंने यह भी कहा कि इसका लाभ अधिक से अधिक लेना चाहिए।लोक अदालत में सबसे सुगम एवं तत्काल सुविधा के तहत न्याय मिलता है।यहाँ निशुल्क अधिवक्ता उपलब्ध कराई जाती है। यहाँ से प्राप्त न्याय के खिलाफ किसी अन्य कोर्ट में अपील नहीं कि जा सकती है।                                                       पैनल अधिवक्ता मनोज कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि  सामाजिक जगरूकता पैदा करने,कानून को बढ़ाने और बच्चों की हिंसा, दुर्व्यवहार और शोषण को समाप्त करने की दिशा में कार्रवाई करने में प्रगति हुई है लेकिन उत्तरजीवीयों और उनके परिजनों को संवेदनशील, समय पर और कुशल सुरक्षा और सेवाओं से लाभ सुनिश्चित करने के लिए और अधिक किये जाने की जरूरत है।भारत में यूनिसेफ बाल संरक्षण प्रणालियों को मजबूत करने की दिशा में काम करता है।बाल विकास समाप्त करना,चलते-फिरते बच्चों की सुरक्षा करना,परिवार आधारित वैकल्पिक देखभाल, किशोरों की भागीदारी और जुड़ाव और मानसिक स्वास्थ्य और मनोसामाजिक समर्थन को बढ़ावा देना और बाल श्रम, बच्चों के खिलाफ हिंसा और लिंग आधारित हिंसा को रोकना।

       भारत में बाल शोषण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए यूनिसेफ सरकारी कार्रवाई के दो लापता तत्वों को बदलने में एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है।बालशोषण और शोषण से बचे लोगों की रोकथाम और पुनर्वास।भारत में बच्चों की सुरक्षा के लिए व्यापक कानून हैं और बाल संरक्षण को सामाजिक विकास के मुख्य घटक के रूप में तेजी से स्वीकार किया जा रहा है।जमीनी स्तर पर अपर्याप्त मानव संसाधन क्षमता और गुणवत्ता रोकथाम और पुनर्वास सेवाओं के कारण कानूनों को लागू करने में चुनौती है।

     लाखों बच्चे हिंसा,दुर्व्यवहार और शोषण के शिकार होते हैं।हिंसा सभी जगहों पर होती है।घर, स्कूल, चाइल्ड केयर संस्थानों, काम और समुदाय में।अक्सर हिंसा बच्चे को जानने वाले किसी व्यक्ति द्वारा किया जाता है।बच्चों के लिए संरक्षण कानून चार मुख्य कानूनों में निहित है।किशोर न्याय अधिनियम(2000,2015 में संशोधित),बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006,यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम 2012 और बाल श्रम अधिनियम 1986,2016 में संशोधित।

      संरक्षक माता-पिता की बच्चे की पहली जिम्मेदारी होती है।जिसमें बच्चे को सुरक्षित रखना,नैतिकता सिखाना, अच्छी शिक्षा, चिकित्सा, भवनात्मक रूप से साथ देना,आर्थिक खर्च उठाना आदि शामिल है।वहीं दूसरी तरफ गैर-संरक्षक माता-पिता को केवल बच्चे से मिलने का अधिकार है।सुरक्षा वह है जो हम नुकसान को रोकने के लिए करते हैं जबकि बाल संरक्षण वह तरीका है जिसे हम नुकसान का जबाब देते हैं।

      पीएलवी अनिशा भारती ने लोगों  को  कहा कि बच्चे विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 के अंतर्गत विधिक सेवाओं के लाभार्थी हैं।बच्चों की सेवा प्रदान करने के लिए कानूनी सेवाओं की क्षमता और अवधारनाओं को प्रभावी बनाने के लिए यह आवश्यक है कि विधिक सेवा प्रदाताओं चाहे वह अधिवक्तागण,अर्धविधिक स्वयं सेवी,पुलिस अधिकारी या न्यायिक अधिकारी हों प्रभावी प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए कि वह बच्चों के साथ कैसे संवाद और व्यवहार करें।

       पैनल अधिवक्ता मनोज कुमार श्रीवास्तव  ने यह भी बताया कि 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार देश में 5 से 14 वर्ष की उम्र के बीच काम करनेवाले बच्चों की संख्या 43.53लाख है।कृषि के क्षेत्र में लगभग 60% बालश्रम देखने को मिलता है।भारत में हरेक साल 1,35,000 बच्चों की तस्करी होने का अनुमान लगाया गया है।तस्कर वाले बच्चों को गुलामी, घरेलू नौकरी करने,भीख मांगने के लिए मजबूर किया जाता है। सेक्स उद्योग में बेच दिया जाता है। वर्ष 1996 में चाईल्ड लाइन इंडिया फाउंडेशन ने 1098 संकट के समय बच्चों की मदद करने के लिए एक टोलफ्री हेल्पलाइन की शुरुआत की थी।इसकी स्थापना से 3 करोड़ 10 लाख से अधिक कॉल आ चुकी है जिसके परिणाम स्वरूप बाल सुरक्षा और संरक्षण के क्षेत्र में प्रगति हुई।

       पिछले 5 वर्षों में फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध से निपटने के लिए उल्लेखनीय प्रयास किया गया है।बच्चों के खिलाफ हिंसा खत्म करने के लिए हम सभी को एक साथ आने की जरूरत है। हिंसा,दुर्व्यवहार और शोषण पर सटीक आंकड़े पर्याप्त नहीं है लेकिन कुल मिलाकर भारत बच्चों के प्रति खिलाफ हिंसा,विशेष रूप से यौन शोषण के प्रति जागरूक हो रहा है। कई मामले जिन पर पहले ध्यान नहीं दिया जाता था अब रिपोर्ट किये जा रहे हैं।

मौके पर सरपंच श्रीराम दुसाध, उप सरपंच अर्जुन कुमार, सचिव कन्हैया जी,मुखिया प्रभावती देवी,कृष्ण बहादुर के अलावे हरेन्द्र गोंड़ वार्ड पार्षद, ललन सिंह, कपिल सिंह, श्रीभगवान सिंह,लाल बचन सिंह, मंटू यादव, अमित कुमार, सुभाष गोस्वामी, लालबाबू, मोहन उपस्थित रहे।

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