लापरवाह तंत्र की नाकामी का नमूना

आलेख

  •     मनोज कुमार श्रीवास्तव

महाराष्ट्र, बंगाल, बिहार जैसे राज्यों में असमाजिक तत्वों ने जनजीवन असामान्य कर दिया है।एक साथ इतने राज्यों में दंगा या दंगे जैसी स्थिति कहीं न कहीं तंत्र की लापरवाही की ओर इशारा कर रही है।देश का संविधान सभी के लिए एकसमान  नियम और कानून की वकालत करता है।ऐसे में जो दंगाई हैं या अराजकता फैलाने की कोशिशों में लगे हैं उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।चाहे वे किसी भी धर्म और समुदाय के हों।यह सब राजनीतिक पार्टियों का खेल हो सकता है।यदि इन्हें जनता की सुरक्षा की चिंता रहती तो सभी दल  मिलकर ऐसी घटना को रोकने की कोशिश करते।यदि यह सत्य नहीं है तो इन घटनाओं के मास्टरमाइंड की शिनाख्त अब तक क्यों नहीं हो सकी।

             दोष हमारी नौकरशाही का है।अधिकारियों ने इसे अपना जरूरी होमवर्क नहीं समझा।बिहार के नालन्दा,सासाराम,बिहारशरीफ जैसे कई जिलों में रामनवमी के दिन जो हुआ उसकी पहली जिम्मेदारी तंत्र की बनती है।इस दावे में कोई दम नहीं है कि पर्याप्त सुरक्षा बल तैनात किए गए थे।सच्चाई यह है कि अधिकारियों ने जरूरी होमवर्क नहीं किया था ।हमें समझना होगा कि लोगों को बार-बार धर्म के मनं पर उलझाकर चुनाव जीतने वाले लोग कभी भी देश के हितैषी नहीं हो सकते,वे देश के दुश्मन हैं।

             पर्व-त्योहारों में खून बहाने वाले ऐसे नेता और संगठन देश की प्रगति के बाधक और मानवता के दुश्मन हैं। ऐसे नेताओं से बचे और ऐसे राजनीतिक दलों से अपना प्रतिनिधि चुनें जो भारत की संवैधानिक पहचान की हरसंभव रक्षा कर सके।देखा जाये तो धर्म की राजनीति ने निरंकुश नेता ही पैदा किये हैं।सच्चाई यह है कि देश का धर्म मानवता है।इंसानियत तमाम धर्मों की पहचान है।भाईचारा हमारे धर्मग्रंथों की भाषा है।                                                                                   रालोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कहा कि बिहारशरीफ व सासाराम की साम्प्रदायिक वारदात बिहार सरकार के संरक्षण में हुई इसकी जांच होनी चाहिए।राष्ट्रीय लोक जनता दल के प्रदेश प्रवक्ता व महासचिव राम पुकार सिन्हा ने कहा है कि बिहार में महागठबंधन की सरकार में शामिल राजद के लोग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बदनाम कराकर  दम लेने की कार्रवाई का परिणाम है।भाजपा पर राज्य का साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के प्रयास करने का आरोप लगाते हुए जदयू के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि किसी भी राज्य का माहौल बिगड़ कर वोटों की खेती करने में भाजपा को विशेषज्ञता हासिल है।

            जदयू महासचिव राजीव रंजन ने कहा कि गुजरात, मध्यप्रदेश और यूपी  जैसे सभी राज्यों में भाजपा ने हिन्दू-मुस्लिम को लड़वाकर अपना उल्लू सीधा किया है।बिहारशरीफ और सासाराम से इसकी शुरुआत हो चुकी है।अमित शाह पर तंज कसते हुए कहा है कि जिस नेता को लोग सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने का मास्टरमाइंड मानते हों ,उनके मुंह से बिहारिओं को दंगाई बताना वैसा ही है जैसे पाकिस्तान का भारत को आतंकवादी बताना।

           बिहारशरीफ और सासाराम के साम्प्रदायिक वारदात के मसले पर जदयू और भाजपा  के नेताओं के बीच खूब नोकझोंक हुई।जदयू ने बताया है कि साम्प्रदायिक वारदात को शाह ने भड़काया है जबकि उसके जबाब में भाजपा ने इस वारदात को बिहार सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।यह सरकार सम्पोषित हिंसा की घटना है।रामनवमी के अवसर पर निकले धार्मिक जुलूसों पर पथराव, आगजनी और हिंसा ने कई प्रदेशों की कानून व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया है।

     भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है और हमारा संविधान किसी को भी समाज में जहर घोलने की इजाजत नहीं देता।ऐसी घटनाओं के बाद केवल राजनीतिक रोटियां सेंकी जाती है।बिहार, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में जिस तरह से तनाव फैलाने की कोशिश की गई उससे यह अनुभव होता है कि मामला गम्भीर है और इसका इलाज यूँ ही नहीं हो सकता।और इतना कहने से की पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती बल्कि वे इसके लिए ज्यादा जबाबदेह है।क्योंकि बर्बादी आम लोगों की होती है।इसलिए हर धर्म के त्योहारों का लोग आदर करना सीखें।मजहबी हिंसा तो किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं कि जानी चाहिए।

       इसलिए जरूरी है कि स्थानीय प्रशासन राजनीति से ऊपर उठकर सभी असामाजिक तत्वों के खिलाफ सख्ती दिखाए।सरकार और कानून व्यवस्था लागू करनेवाली एजेंसियां चाह ले तो किसी भी अपराधी को बहुत कम समय में पकड़ सकती है।ऐसे में यदि दंगाई खुलेआम घूम रहे हैं तो उसे कहीं न कहीं सियासी सह मिली हुई है।हमारे देश में राजनेता कितना घिनौना खेल खेलते हैं यह कहने की नहीं , केवल समझने की बात है।

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