-मनोज कुमार श्रीवास्तव
भारत कानून के राज एवं लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध है।कनाडा खालिस्तानी आतंकवादियों और अतिवादियों को प्रश्रय दे रखा है।यह भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखण्डता के लिए खतरा है।पिछले दिनों “जी 20″शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो दिल्ली पहुंचे थे।भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने जस्टिन ट्रुडो के समक्ष कनाडा में सिख अलगाववादी गतिविधियों और भारतीय राजनयिकों पर हमला का मुद्दा उठाया था।उसके बाद जस्टिन ट्रुडो स्वदेश लौटते हीं वहां की वाणिज्य मंत्री मैरी एनजी के प्रवक्ता ने भारत से द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत रोकने की बात कह दी।
कनाडा में किसी भी तरह की हिंसा में भारत सरकार के शामिल होने का आरोप,हास्यस्पद और राजनीति से प्रेरित है।पीएम मोदी के समक्ष, कनाडा के पीएम ने ऐसे ही आरोप लगाए थे तब भी उन्हें पूरी तरह से खारिज किया गया था।खालिस्तानी आतंकियों को लेकर भारत और कनाडा के बीच विवाद बढ़ गया है।कनाडा के पीएम ट्रुडो का आरोप है कि सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत सरकार हो सकती है।हालांकि निज्जर NIA के टॉप मोस्ट आतंकियों की सूची में शामिल था।खालिस्तानियों का साथ देने के कारण पूरी दुनिया में ट्रुडो की छवि लगातार बिगड़ रही है।
आतंकवादियो को समर्थन देना वहाँ के लोगों के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर सकता है।क्योंकि आतंकवाद किसी धर्म,जाति या देश तक हैं सीमित नहीं रहता है।कनाडा की तुलना में भारत आगे बढ़ता दिख रहा है।अब कनाडाई पीएम ट्रुडो के सामने समस्या यह है कि वह भारत से अपनी दोस्ती बचाये या अपनी सरकार।इन सब दृश्यों को देखने से पता चलता है कि भारत की सरकार सबसे ज्यादा नागरिक हितैषी है क्योंकि भारतीय प्रधानमंत्री अपनी सरकार बचने के लिए आतंकियों का समर्थन तो नहीं करते।अब कनाडा के नागरिक भी स्वीकार करने लगे हैं कि मोदी सरकार अलगाववादियों के खिलाफ है।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषी सुनक ने उम्मीद जताई है कि भारत और कनाडा के बीच जारी राजनयिक विवाद और निज्जर मामले में बढ़े तनाव में जल्द ही कमी देखने को मिल सकती है।सुनक कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रुडो से बात किये हैं और ब्रिटेन की स्थिति की पुष्टि करते हुए कहा है कि सभी देशों को राजनयिक सम्बन्धों पर वियना कन्वेंशन के सिद्धांतों सहित सम्प्रभुता तथा कानून का सम्मान करना चाहिए।
कनाडा में किसी के साथ धर्म,जाति या रंग के आधार पर भेदभाव नहीं है।किसी की राजनीतिक विचारधारा को रोकने के लिए वहां कोई कारवाई नहीं हो सकती।यदि कोई अनुशासन तोड़ता है तो उसे भारी जुर्माना लगता है कि देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है।विश्व भर मदन कनाडा की छवि पाकिस्तान जैसी हो रही है।अमेरिका स्वयं आतंकियो को विदेश में मारता रहा है।इस कारण इस पूरे मामले में भारत की एकतरफा जीत हो रही है।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो के विस्फोटक दावे ने कहा है कि कनाडा की धरती पर भारत में नामित आतंकवादी हरदीपसिंह निज्जर की हत्या में भारतीय खुफिया संलिप्तता के “विश्वसनीय आरोप है”ने द्विपक्षीय सम्बन्धों को खराब कर दिया है।कथित कृत्य को “हमारी सम्प्रभुता का अस्वीकार उल्लंघन”बताते हुए ट्रुडो ने एक भारतीय राजनयिक को निष्कासित कर दिया।भारत ने जबाबी कारवाई करते हुए एक कनाडाई राजनयिक को निष्कासित कर दिया और आरोपों को “बेतुका”बतातकर खारिज कर दिया।
जस्टिन ट्रुडो अच्छी तरह से जानते हैं कि अगली बार उन्हें प्रधानमंत्री नहीं बनना है बल्कि भविष्य में अपने बेटे के लिए वोट-बैंक तैया कर रहे हैं।अमेरिका के लिए ऐसी स्तिथि की जैसे भी बनाम मित्र का झगड़ा है।दिखावे के लिए भाई के पक्ष में कुछ तो बोलना ही पड़ेगा।वैसे भी इस मुद्दे पर कोई सामान्य अमेरिकी शायद ही कनाडा के समर्थन करेगा। यदि अनियंत्रित वृद्धि नहीं हुई तो सम्बन्धों में और गिरावट आने की स्थिति अब तैयार है।कनाडा को भारत का संकेत स्पष्ट है कि यदि खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ कारवाई नहीं करते हैं या हमारी सुरक्षा चिंताओं को कम नहीं करते हैं तो हम कारवाई करेंगें।नि:सन्देह इससे भारतीयों में खुशी है।
भारत और कनाडा आज जिस तल्खी भरे मोड़ पर आमने-सामने खड़े हैं उसके लिए सफर बहुत पहले शुरू हो गया था।भारत और कनाडा के ऐतिहासिक रिश्तों का दौर अब उस पटल पर आ खड़ा हुआ है जहां कनाडा को भारत अपना न दोस्त बन सकता है ना दुश्मन लेकिन मौजूदा हालातों को देखकर यह कहा जा सकता है कि अब दोनों ही देशों के बीच आई इस कड़वाहट को कम होने में लम्बा समय लग सकता है।इस टकराव के पीछे की वजह है जस्टिन ट्रुडो ,जनकी नादानियों के चलते आज दोनों देश एक दूसरे के साथ नहीं बल्कि विरोध में सुर बुलन्द कर रहे हैं।