-आचार्य मोहित पाण्डेय, लखनऊ
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
मां चंद्रघंटा देवी, दुर्गा मां की तीसरी शक्ति हैं। नवरात्रि में तीसरे दिन इनकी पूजा का विधान है। देवी का यह स्वरूप परमशांति प्रदान करने वाला एवं अत्यंत कल्याणकारी है।
इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसलिए ही इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है।
मां चंद्रघंटा ने राक्षसों के साथ युद्ध में घंटे की टंकार से उनको परास्त कर दिया था। यह स्वर विज्ञान एवं नाद की देवी हैं। माँ चंद्रघंटा देवी की भक्ति से साधक में कायरता का नाश होता है, उनकी पूजा से भक्तों में वीरता, निर्भयता, विनम्रता एवं सौम्यता आदि सद्गुणों का विकास होता है।
मां चन्द्रघंटा का वाहन शेर है
मां का वाहन सिंह है, जिस पर दस भुजाधारी माता चन्द्रघंटा प्रसन्न मुद्रा में विराजित हैं। देवी के इस स्वरूप में दस हाथ और तीन आंखें हैं। माँ चंद्रघंटा के आशीर्वाद से साधक को अद्भुत एवं असीमित शक्तियां प्राप्त होती हैं।
माँ चंद्रघंटा देवी की पूजा विधि
माँ चंद्रघंटा की पूजा के समय लाल वस्त्र धारण कर करना श्रेष्ठ होता है। माँ को लाल पुष्प, रक्त चन्दन और लाल चुनरी समर्पित करना उत्तम होता है। इस दिन इस चक्र पर “रं” अक्षर का जाप करने से मणिपुर चक्र मजबूत होता है और भय का नाश होता है। मणिपुर चक्र की मजबूती से लोगों के अंदर सद्बुद्धि का विकास होता है एवं किसी भी प्रकार के रोग, भ्रम एवं भय का नाश होता है।
इस दिन भक्तों को मिलती हैंअद्भुत शक्तियां
यदि इस दिन पूजा के दौरान कुछ अद्भुत शक्तियां प्राप्त होने जैसा अनुभव हो या तीसरी आंख पर, दोनों भृकुटियों के मध्य जागृति का आभास हो, तो उस पर ध्यान न देकर आगे की पूजा एवं साधना करते रहनी चाहिए…।।
मां चंद्रघंटा को प्रिय दूध से बनी मिठाई
आज के दिन दूध से बनी मिठाई का भोग मां को लगाना बेहद शुभ होता है। हमें स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें और अन्य लोगों को भी दें। ऐसा करने से हमारे एवं आपके जीवन में चल रहा दुःख अवश्य दूर होगा।
समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है
नवरात्रि के तीसरे दिन जो भी माता के तीसरे रूप मां चन्द्रघण्टा की पूजा एवं अर्चना करता है उन सभी को माता की कृपा प्राप्त होती है। उनकी उपासना से हम समस्त सांसारिक कष्टों से स्वतंत्र होकर सहज ही सर्वोच्च स्थान को प्राप्त करते हैं । माँ चंद्रघंटा की कृपा से साधक की समस्त बाधायें दूर हो जाती हैं। भगवती चन्द्रघन्टा का ध्यान, स्तोत्र और कवच का पाठ करने से मणिपुर चक्र जागृत हो जाता है और सांसारिक परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है।
-आचार्य मोहित पाण्डेय, लखनऊ
ज्योतिष विज्ञान एवं भविष्य दर्शन
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