मां दुर्गा का पंचम स्वरूप हैं देवी स्कंदमाता

धर्म ज्योतिष

आचार्य मोहित पाण्डेय, लखनऊ

नवरात्रि के पांचवे दिन देवी स्कंदमाता की पूजा का विधान है। देवी के पुत्र कुमार कार्तिकेय जी को ही स्कंद कहा जाता है, उनकी माता होने के कारण देवी को स्कंदमाता कहा गया। मां के इस स्वरूप में उनके पुत्र कुमार कार्तिकेय जी देवी के गोद में बैठे हैं। इसलिए देवी मां अपने इस रूप में बेहद ममतामयी होकर इस सम्पूर्ण चराचर जगत की रक्षा करती हैं। मां अपने भक्तों से शीघ्र प्रसन्न हो जाती हैं एवं उनपर करुणा एवं मातृत्व बरसाती हैं।

कैसा है देवी स्कंदमाता का स्वरूप
नवरात्रि में मां दुर्गा का पंचम स्वरूप देवी स्कंदमाता का है। मां कमल के आसन पर विराजमान हैं और इनका वाहन शेर है। इनका स्वरुप स्नेह से परिपूर्ण एवं मनमोहक है। इनकी चार भुजाएं हैं, दो भुजाओं में कमल सुशोभित हैं तो वहीं एक हाथ वर मुद्रा में रहता है, जिससे वो अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं। मां एक हाथ से अपनी गोद में अपने पुत्र स्कंद (कुमार कार्तिकेय) को लिए हुए हैं। स्कंदमाता सदैव अपने भक्तों का कल्याण करने के लिए तत्पर रहती हैं।

देवी स्कंदमाता की पूजा के फलदाई मंत्र

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

अर्थात् देवी स्कंदमाता, जो अपने पुत्र कुमार कार्तिकेय के साथ शेर पर सवार हैं, अपने दो हाथों में कमल और एक हाथ में वरमुद्रा धारण किए हुए हैं। ऐसी मां स्कंदमाता हम सभी पर शुभता प्रदान करें, देवी मां हम सभी का कल्याण प्रदान करें।

मां का एक और कल्याणकारी मंत्र है –
या देवी सर्वभूतेषू मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।

देवी स्कंदमाता को बेहद प्रिय है केला का हलवा

नवरात्रि के पांचवें दिन देवी स्कंद माता की पूजा में केला या उससे बने हुए पकवान जैसे केला का हलवा आदि का भोग लगाया जाना शुभ माना गया है। मां को इलायची की सुगंध से युक्त केला का हलवा बहुत पसंद है। इसलिए जो कोई भी भक्त आज उन्हें यह भोग लगाता है, उस पर माता विशेष कृपा करती हैं, एवं अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं।

देवी स्कंदमाता का प्रिय पुष्प
देवी स्कंदमाता को बेहद प्रिय है टह- टह लाल गुड़हल का फूल। आज के दिन माता को लाल एवं पीला गुड़हल चढ़ाने से भक्तों के जीवन में चल रहे समस्त दुःखों एवं कष्टों का नाश होता है, माता की कृपा से प्राणियों के जीवन में सुख, समृद्धि का संचार होता है एवं माता अपने भक्तों को सफल, स्वस्थ, दीर्घायु एवं यशस्वी जीवन का वरदान प्रदान करती हैं।

माता की कृपा से विशुद्धि चक्र होता है जागृत

नवरात्रि के पंचम दिन जो कोई भी भक्त देवी स्कंदमाता की पूजा एवं अर्चना सच्चे मन से करते हैं, उन पर मैय्या कृपा करती हैं, जिससे उनका विशुद्घि चक्र जागृत होता जाता है। इसके फलस्वरूप साधक को अत्यंत आध्यात्मिक अनुभूतियां होती हैं एवं उसका शरीर हानिकारक एवं विषैले पदार्थों से मुक्त होने लग जाता है। इस चक्र की जागृति के फलस्वरूप साधक की वाणी द्वारा जो भी कहा जाता है, वह सत्य होने लगता है। उसके वाणी में ओज एवं माधुर्य जैसे गुण सहज ही प्रकट होने लग जाते हैं। वह संसार में सबका प्रिय होने के साथ औरों के लिए पथ प्रदर्शक की भूमिका में आ जाता है। उसके अपने जीवन के कष्ट तो मिटते ही हैं बल्कि दूसरों के जीवन से भी वह कष्टों को दूर करने वाला एवं संपूर्ण संसार के लिए कल्याणकारी सिद्ध होता है।

देवी स्कंदमाता की कृपा से होते हैं सभी दुःख दूर

आज के दिन जो कोई भी कवच, कील, अर्गला, देवी सूक्तम, रात्रि सूक्तम, सप्तशती के पाठ के साथ सिद्ध कुंजिका स्तोत्र, देवी अपराध क्षमा स्तोत्र एवं मैय्या की आरती पढ़ता है एवं उनकी पूजा पूरे विधान से सच्चे मन से करता है। देवी मां उस पर अतुलित कृपा करती हैं। माता थोड़ी सी भक्ति में ही अत्यधिक प्रसन्न हो जाती हैं एवं अपने भक्तों पर अपने पुत्र कुमार कार्तिकेय के समान ही ममता एवं करुणा बरसाती हैं।
जय मां देवी स्कंदमाता।


जय माता दी।

  • आचार्य मोहित पाण्डेय, लखनऊ
    ज्योतिष विज्ञान एवं भविष्य दर्शन।
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